-एमसीआई के मानकों पर तैयार हुई फारेंसिक मेडिसिन विभाग की बिल्डिंग

-जहर या केमिकल निगलने वाले मरीजों के लिए ट्रॉमा में अलग से वार्ड

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जहर खाने, सांप काटने या अन्य प्रकार का कोई केमिकल निगलने वाले मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा। मरीजों में जहर की जांच के लिए फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में देश की पहली टॉक्सिकोलॉजी लैबोरेटरी स्थापित होगी। फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग को नई बिल्डिंग हैंडओवर होने के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है।

देश की पहली लैबोरेटरी

फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। अनूप वर्मा और डॉ। शिउली ने बताया कि फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में देश की पहली लैबोरेटरी स्थापित की जाएगी। अब तक देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार की लैब मरीजों के लिए स्थापित नहीं है। पुलिस की फॉरेंसिक लैब में सिर्फ मेडिको लीगल केसेज की ही जांच की जा सकती है। मरीजों की जांच नहीं होती, लेकिन केजीएमयू की लैबोरेटरी में मरीजों की जांच की सुविधा शुरू की जाएगी। विभाग की नई बिल्डिंग तैयार है इससे लैबोरेटरी स्थापित करने का रास्ता साफ हो गया है। डॉ। शिउली ने बताया कि मरीज के ब्लड, यूरीन की जांच से पता चल जाएगा कि उसने क्या खाया है। उस प्रकार से उसका इलाज कर सकेंगे। इससे इंवेस्टीगेशन और रिसर्च को भी बढ़ावा मिलेगा।

जहर के मरीजों के लिए अलग से इलाज

डॉ। अनूप वर्मा ने बताया कि मरीजों के इलाज के लिए क्रिटिकल केयर टॉक्सिकोलॉजी की सुविधा शुरू की जा रही है। ट्रॉमा सेंटर में वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने छह बेड आरक्षित करने की अनुमति दे दी है। क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ। अविनाश अग्रवाल के साथ मिलकर इस वार्ड में मरीजों को अलग से इलाज की सुविधा मिलेगी। क्रिटिकल केयर टॉक्सिकोलॉजी के लिए छह बेड आरक्षित हो गए हैं इन पर जल्द से जल्द मरीजों को भर्ती करने की सुविधा शुरू की जाएगी।

सिर्फ लक्षणों पर हो रहा इलाज

फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। अनूप वर्मा ने बताया कि जहर खाने या कोई कीड़ा काटने पर लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। मरीज अस्पताल में आता है तो उसका पेट साफ करने के बाद लक्षणों का इलाज करना होता है, लेकिन यदि पता हो कि मरीज के शरीर में किस प्रकार का विष या केमिकल पहुंचा है तो उसका बेहतर इलाज कर सकेंगे।

लैब में यह होंगी जांचें

किसी भी प्रकार के मेटल प्वायजन, पेस्टीसाइड, इंसेक्टीसाइड, कोई दवा या केमिकल की जांच हो सकेगी।

कोट--

विभाग को नई बिल्डिंग हैंडओवर हो गई है। इससे टॉक्सिकोलॉजी लैब बनाने का रास्ता साफ हो गया है। ट्रॉमा सेंटर में वार्ड मिल गया है जल्द ही मरीजों की भर्ती भी शुरू की जाएगी। इससे रिसर्च और इंवेस्टिगेशन में मदद मिलेगी।

प्रो। अनूप वर्मा, एचओडी फारेंसिक मेडिसिन विभाग

Posted By: Inextlive