जब सुस्त मानसून और कम वर्षा के खतरों से काफी आशंकायें जाग रहीं थी तब सरकारी आंकड़ों से पता चला है इस सबका खरीफ की फसलों की बुवाई पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा विशेष कर दलहन और लिलहन की बुवाई पर।


अगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो 563.35 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में अब तक खरीफ की फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस अवधि में ये आंकड़ा केवल 346.46 लाख हेक्टेअर ही था। चालू मानसून में खरीफ फसलों की अब तक लगभग 34 फीसदी बुवाई हो गई है। उसमें सबसे अच्छा काम दलहन और तिलहन की फसलों की बुवाई में हुआ है।अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगले एक पखवाड़े में बुवाई कार्य पूरा हो जाएगा। इसबार लक्ष्य से अधिक बुवाई होने की संभावना है। इस समय मौसम मेहरबान है। लगातार हो रही वर्षा से किसानों के चेहरे खिल गए हैं और उन्होंने जोर-शोर से बुवाई शुरू कर दी हैं। यदि मानसून और बुवाई इसी गति से चलते रहे, तो करीब एक पखवाड़े से भी कम समय में बुवाई कार्य पूरा होने की उम्मीद है।
खरीफ फसलों की बुआई के लिए जुलाई का महीना अव्वल होता है। जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता रहती है। जुलाई की शुरूआत में हुई बरसात ने खेती के लिए सुधार कर दिया है। जबकि पिछले पांच सालों में 2012 को छोड़ इस वक्त बारिश के लिए आकाश की टकटकी लगानी पड़ती थी। परंतु भगवान इंद्र की समय से हुई मेहरबानी ने अच्छी खेती की संभावना जगा दी है। जुलाई के दूसरे सप्ताह के शुरू होते ही करीब 5 हजार हेक्टेयर रकबा में धान का आच्छादन कर लिया है। जबकि गत वर्ष अभी तक रोपनी का कार्य प्रारंभ भी नहीं हो पाया था। हालांकि बारिश की यह स्थिति जुलाई के सामान्य वर्षापात से काफी कम है, लेकिन अभी इस महीना पूरा होने में काफी दिन शेष है। लिहाजा मानसून के प्रति भरोसा बढ़ा है।

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Posted By: Molly Seth