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- मांगलिक कार्य करीब माह भर के लिए रहेंगे वर्जित, जप तप का विशेष महत्व

BAREILLY:

थर्सडे को सूर्य का धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास शुरू हो जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन को सौर व्यवस्था, अमावस्या और पूर्णिमा पर आधारित मास व्यवस्था चंद्र मास व्यवस्था कहलाती है। मान्यता है कि जब सूर्य, गुरु की राशियों में होते हैं, तो सूर्य सामान्य होने से शुभ कार्यो में सहायक नहीं होते। इसीलिए इस मास में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाने का विधान है। इसमें कामनापूरक, काम्य, अनुष्ठान और पूजा पाठ पूरी तरह वर्जित होते हैं।

देव आराधना फलदायी

खरमास में यूं तो सभी मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। पं। राजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि भजन, कीर्तन, आराधना, प्रार्थना का इस मास में विशेष महत्व होता है। इस दौरान सूर्य उपासना से सर्वाधिक फल प्राप्त होता है। इसके लिए 'ऊं घृणि सूर्याय नम:' का जप करें तो नेत्र पीड़ा और अनिद्रा से राहत मिलती है। इसके अलावा गृह क्लेश और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि आराधना से यदि सूर्य देव प्रसन्न होते हैं, तो वह जप और तप करने वाले की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसीलिए पौष माह में भगवान सूर्य की उपासना किए जाने का विधान माना गया है।

वर्जित कार्य

- गृह निर्माण, विवाह, मुंडन, उपनयन, यज्ञ, गर्भाधान, पद ग्रहण

- देवालय निर्माण, देव प्रतिष्ठा, व्रत का उद्यापन और गोदान

- कुआं, तालाब, बावड़ी, बोरिंग, भूमिगत जलाशय का निर्माण

- व्यावसायिक विद्या को सीखना, व्यापार, दुकान, कंपनी खोलना

कब से कब तक है खरमास

14 दिसंबर की रात 8.55 बजे से 13 जनवरी 2017 तक रहेगा प्रभाव

भगवान सूर्य की उपासना करना फलदायी रहेगा। खरमास में शुभ कार्य अथवा शुभारंभ करना श्रेयष्कर नहीं होगा।

पं। राजीव शर्मा, ज्योतिषाचार्य

Posted By: Inextlive