एक साल. दर्द आंसू और यादों की टीस के 365 दिन. हर दिन हर पल उसे अपने आस-पास तलाशतीं मां-बाप की नजरें. बिटिया को मैनेजर बनाने के अरमान की मौत का एक साल. और अब फैसले की घड़ी. ठीक एक साल बाद. इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और. घटना के 365वें दिन थर्सडे को खुशबू मर्डर केस पर कोर्ट ने अपना फाइनल डिसीजन सुनाया.वही मर्डर केस जिसमें 27 अप्रैल 2011 को सेंट जेवियर्स कॉलेज में एग्जाम देने आई खुशबू शाहदेव का सिर उसी के सो कॉल्ड ब्वॉयफ्रेंड ने धड़ से अलग कर दिया था. घड़ी दुख भरी और इंसाफ के इंतजार की थी फिर भी वेडनसडे को खुशबू की मां शीला देवी और पिता लाल महेश्वर नाथ शाहदेव ने आई नेक्स्ट के साथ अपना दर्द साझा किया.

बहुत खुश थी वो
घटना के लगभग एक साल बाद भी तुपुदाना बस्ती स्थित खुशबू के घर में उदासी छाई हुई है। खुशबू का नाम आते ही पिता लाल महेश्वर नाथ शाहदेव की आंखों से आंसू निकल आए। जुबां लडख़ड़ाने लगी। रुआंसे गले से कुछ कहना चाहते, पर कुछ बोल नहीं पाते। पहले तो उन्होंने फैसला आने से पहले कोई बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में वह इसके लिए तैयार हुए। रुआंसे गले से वह कहने लगे- इसी तुलसीदल की तो वह पूजा करती थी। बहनों के साथ खेलती थी। जब उसकी सगाई हो गई थी, तो वह बहुत खुश थी, पर एक क्षण ने जैसे सबकुछ लील लिया। यह कहते-कहते उनकी आंखों में फिर से आंसू आ गए।

हाल की ही तो बात लगती है
अपने हाथों से अपने आंसू पोछते हुए और अपनी लडख़ड़ाती आवाज को संभालते हुए लाल महेश्वर नाथ शाहदेव कहने लगे- औरों के लिए भले ही खुशबू की हत्या का एक साल गुजर गया हो, पर मेरे लिए तो यह एक महीने जैसा है। हमेशा लगता है जैसे हाल की ही तो बात है। वह चली गई, दूसरों को तो इसका कोई असर नहीं होता, पर मां-बाप को तो असर होता है। मां-बाप बहुत तकलीफ से बच्चों को बड़ा करते हैं। हमें उम्मीद है कि इस केस में हमें इंसाफ मिलेगा।


घर की गार्जियन थी वो
लाल महेश्वर नाथ शाहदेव कहते हैं-  खुशबू घर की सबसे बड़ी बेटी थी। घर का सब काम वही करती थी। घर में कोई भी डिसीजन लेने से पहले उससे डिस्कस जरूर किया जाता था। उसकी हर बात याद आती है। हम उसे बहुत मिस करते हैं। उसकी इंगेजमेंट वाली फोटो देखकर तो कलेजा हिल जाता है। उसका जन्म रांची में इसी घर में हुआ था, पर नानी उसको बहुत प्यार करती थी, इसलिए उसको पढ़ाने के लिए वह उसे जमशेदपुर ले गईं। वहां खुशबू ने साल 2008 तक पढ़ाई की। फिर यहां प्राइवेट से एग्जाम दिलवा रहे थे। हमने सोचा भी नहीं था कि उसके साथ ऐसा हो जाएगा।

पिज्जा भी नहीं खा सकी
जिस दिन खुशबू का मर्डर हुआ था, उस दिन उसने एग्जाम देने के लिए कॉलेज जाते समय 100 रुपए मांगे थे। कहा था पिज्जा खाने का मन कर रहा है, पिज्जा खाऊंगी। मैंने उसे 100 रुपए दिए थे। पैसे लेकर खुश होते हुए उसने कहा था कि आते समय नानी के साथ हटिया में उतर जाऊंगी। पर, ऐसा नहीं कर पाई। वह पिज्जा भी नहीं खा पाई। जिस दिन उसका मर्डर हुआ, उसके दूसरे दिन उसका लास्ट एग्जाम था। उसके साथ एक खास बात थी। वह अकेले कभी नहीं खाती थी। जो भी चाट-पकौड़ी खरीदती थी, सब भाई-बहनों के लिए ले आती थी। सब मिलकर खाते थे।

मैनेजमेंट पढ़ाते उसको
रुंधे गले से मां शीला देवी कहने लगीं- तीन बहनों और एक भाई में खुशबू सबसे बड़ी थी। पढऩे में बहुत तेज थी। हर क्लास में उसको अच्छे नंबर मिलते थे। सबसे मिलजुलकर रहती थी और घर में भी सब उसको मानते थे। उसके बिना घर का कोई काम नहीं होता था। उसने मैट्रिक पास कर लिया था, तो हमने सोचा था कि और पढ़ेगी,  तो उसको मैनेजमेंट पढ़ाएंगे। पर, सारे सपने  स्वाहा हो गए।

इंसाफ का इंतजार
इस बीच खुशबू के पड़ोस में रहनेवाली एक महिला ने अपनी बेबाक राय रखी। कहने लगी- इस उम्र में दोस्ती तो सब लड़के-लड़की करते हैं, पर भला ऐसा भी कोई करता है कि लड़की को मार दे। हमें पूरी उम्मीद है कि खुशबू के घरवालों के साथ कोर्ट में पूरी तरह न्याय मिलेगा।

Posted By: Inextlive