- अपने बर्थडे पर एक पालने की विश

बरेली।

मैं पालना हूं। पता है एक महीने का होने को आया हूं। लेकिन अनाथ हूं। किसी ने 5 अक्टूबर 2018 को जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में मुझे टांग दिया था। तब से अकेला हूं। अब तक मुझे कोई साथी नहीं मिला। रोज ना जाने कितने लोगों को टुकुर-टुकुर देखता हूं। लेकिन वे मुझे देखकर भी नजरें फेर लेते हैं। और तो और जिन्होंने मुझे टांगा था, वे भी मुझे भूल गए हैं। फिर बैठे -बैठे सोचता हूं कि यह सही भी हैकि कोई मुझे याद ना करे। पता है क्यों? क्योंकि मैं भी किसी को अपनी तरह अनाथ नहीं देखना चाहता। आपको पता है मुझे यहां क्यों टांगा गया था? ताकि कोई अपने कलेजे के टुकड़े को यहां-वहां लावारिश ना छोड़े। बस मेरी गोद में डाल दे। फिर भी मैं अपने बर्थडे पर भगवान से एक विश मांगता हूं कि कभी कोई अपने बउआ को मेरी गोद में ना डाले। बस अपने सीने से लगा कर रखे। खूब प्यार करे। सारे जहां कि खुशियां दे। मैं तो अनाथ ही अच्छा।

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बॉक्स : सालभर में शहर में मिले दो लावारिश नवजात

इस साल जून में शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर दो लावारिश नवजात मिले थे। एक भुता में और दूसरा रेलवे स्टेशन के बाहर। भुता से बरामद शिशु को रामपुर के राजकीय आश्रय गृह भेजा गया था, जहां उसकी मौत हो गई।

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-पालना डिस्ट्रिक्ट महिला हॉस्पिटल में 5 अक्टूबर 2018 को लगाया गया था। इसके बाद से अभी तक किसी ने इसमें बच्चा नहीं छोड़ा। इस दौरान लावारिस शिशुं मिलने का मामला भी सामने नहीं आया। लावारिस बच्चा पालना में मिलने के बाद हम उसे चाइल्ड लाइन को सौंप देते हैं।

डॉ। युगल किशोर, पालना नोडल अधिकारी

Posted By: Inextlive