पीजीआई एरिया में यूको बैंक के कैशियर राहुल कुमार सिंह की हत्या नौकरी से निकलवाने की रंजिश का नतीजा थी.

- बैंक कैशियर राहुल कुमार सिंह हत्याकांड का पुलिस ने किया खुलासा

- तीन नामजद समेत चार आरोपी अरेस्ट, सुपारी किलर्स की तलाश जारी

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LUCKNOW: पीजीआई एरिया में यूको बैंक के कैशियर राहुल कुमार सिंह की हत्या नौकरी से निकलवाने की रंजिश का नतीजा थी। पुलिस ने मामले में नामजद तीन आरोपियों समेत चार आरोपियों को अरेस्ट करते हुए हत्याकांड का खुलासा कर दिया। हालांकि, वारदात को अंजाम देने वाले सुपारी किलर्स अब तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।

यह थी घटना
पीजीआई स्थित वृंदावन कॉलोनी सेक्टर 9 में एयरफोर्स से रिटायर्ड राहुल कुमार सिंह (42) पत्‌नी व एक बेटी के साथ रहते थे। रिटायरमेंट के बाद राहुल गोसाईगंज स्थित यूको बैंक में कैशियर के पद पर नौकरी करते थे। बीती 14 सितंबर की शाम को राहुल ड्यूटी खत्म कर बाइक से वापस घर लौट रहे थे। इसी दौरान जब वे बरौना गांव के करीब नहर पटरी पर पहुंचे तभी दो बाइकसवार बदमाशों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक के पिता अजय पाल सिंह ने इस मामले में उन्नाव के निहालखेड़ा निवासी अपने पड़ोसी तेज बहादुर सिंह, उसके बेटे लोकेंद्र, मानवेंद्र, पप्पू और शिवशंकर वर्मा पर हत्या का शक जाहिर करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।

पूछताछ में कबूला जुर्म
इंस्पेक्टर रवींद्र नाथ राय ने बताया कि छानबीन में पता चला कि दोनों परिवारों के बीच लंबे समय से रंजिश चल रही है। जांच में जुटी पुलिस टीम को सीसीटीवी फुटेज से सुराग हाथ लगे, जिससे नामजद आरोपियों की इस मामले में संलिप्तता का शक हुआ। बीती रात पुलिस को सूचना मिली कि कुछ आरोपी लोकेंद्र के यमुनापुरम स्थित घर पर मौजूद हैं। इस सूचना पर पीजीआई पुलिस और सर्विलांस सेल की संयुक्त टीम ने वहां छापा मारा और तेज बहादुर सिंह, उनके बेटे लोकेंद्र, मानवेंद्र और उन्नाव निवासी अनिल सिंह को कस्टडी में लेकर पूछताछ शुरू की। पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि उन्होंने दो सुपारी किलर्स दीपक और सूरज को 50 हजार रुपये में राहुल की हत्या का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। इस खुलासे के बाद उन चारों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया जबकि, फरार शूटर्स की तलाश शुरू कर दी है।

यह थी हत्या की वजह
इंस्पेक्टर राय ने बताया कि मृतक राहुल के पिता अजय पाल सिंह को हत्या के एक मामले में जेल जाना पड़ा था। अजय पाल व उनके परिवार को शक था कि तेजबहादुर व उसके परिवारीजनों की पैरवी की वजह से अजय पाल को जेल जाना पड़ा था। इसी बात को लेकर दोनों परिवारों में रंजिश हो गई थी। इसी बीच तेजबहादुर के बेटे लोकेंद्र को ऊंचाहार में प्राथमिक टीचर की नौकरी मिल गई। जेल से छूटे अजय को पता चला कि लोकेंद्र को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी मिली है। जिसके बाद अजय पाल ने आरटीआई के जरिये इसका खुलासा किया और इसकी शिकायत कर दी। जिसके बाद लोकेंद्र को 25 मई 2017 को नौकरी से निकाल दिया गया।

Posted By: Inextlive