अखाड़ा के रूप में मान्यता को लेकर चले लंबे विवाद के बाद भले ही जूना अखाड़ा में किन्नर अखाड़ा का विलय हो गया हो. लेकिन पूरे कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा का जलवा देखने का मौका मिलता रहेगा.

-विलय के बाद भी कुंभ मेला में आखिर तक रहेगा किन्नर अखाड़ा

-अखाड़ों में तीन स्नान तक ही रुकने की है परम्परा

PRAYAGRAJ: अखाड़ा के रूप में मान्यता को लेकर चले लंबे विवाद के बाद भले ही जूना अखाड़ा में किन्नर अखाड़ा का विलय हो गया हो। लेकिन पूरे कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा का जलवा देखने का मौका मिलता रहेगा। वजह, किन्नर अखाड़ा कुंभ मेले के आखिर तक यहां रहेगा। परंपरा पर नजर डालें तो अभी तक अखाड़ा तीनों शाही स्नान, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के बाद जाने लगते हैं। लेकिन किन्नर अखाड़ा पुरानी परम्परा को कायम रखेगा।

सभी स्नान में होगा शामिल
किन्नर अखाड़ा के संत सभी स्नान में शामिल होंगे। अखाड़ा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि तीनों शाही स्नान किन्नर अखाड़ा अपने जूना अखाड़ा के साथ करेगा। उसके बाद के सभी प्रमुख स्नान किन्नर अखाड़ा के संत अपने ढंग से करेंगे। जूना अखाड़ा के जाने के बाद किन्नर अखाड़ा के संत त्रिकाल संध्या स्नान करेंगे। किन्नर अखाड़ा के संत कुंभ के आखिर तक मेला क्षेत्र में मौजूद रहेंगे। ताकि वह कुंभ के पूरे पुण्य की प्राप्ति कर सकें और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ा सकें। अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि किन्नर अखाड़ा का एकमात्र लक्ष्य है मौजूदा पीढ़ी के अंदर सनातन धर्म के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ ही युवाओं को सनातन धर्म की परम्पराओं को फॉलो करने के लिए प्रेरित कर सके।

Posted By: Inextlive