जनवरी माह में संगम तट पर लगने वाले माघ मेला में किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा के नाम से सुविधा नहीं मिलेगी। किन्नर की तरह महिलाओं के परी अखाड़ा को भी तवज्जो नहीं दी जाएगी। यह निर्णय अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के विरोध के चलते हुआ है। 2017 के माघ मेला में किन्नर संन्यासियों के प्रयाग में लगने वाले माघ मेला में शिविर लगाने की चर्चा थी परंतु उचित सुविधा न मिलने पर वह यहां नहीं आए।


नियमानुसार सुविधा मांगीकिन्नर संन्यासियों ने अबकी पुन: प्रशासन से सुविधा व भूमि की मांगी है। मेला प्रशासन किसी संस्था के नाम पर किन्नरों को सुविधा देने का मन तो बना रहा है, परंतु अखाड़ा के नाम पर पेंच फंस रहा है। नियमत: 13 अखाड़ों को ही धार्मिक व प्रशासनिक मान्यता मिली है। परी व किन्नर अखाड़ा इधर कुछ वर्षों में बने हैं, जिससे उन्हें अखाड़ा परिषद मान्यता नहीं देता। वहीं माघ मेलाधिकारी राजीव राय का कहना कि हम माघ मेला में किन्नर अखाड़ा नाम से भूमि आवंटन या सुविधा नहीं देंगे, क्योंकि यह धार्मिक मान्यता व शासन के नियम के विरुद्ध है। हां, संस्था के नाम पर नियमानुसार सुविधा मांगी है।अखाड़ा के नाम पर सुविधा


इस संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि किन्नर या परी कोई अखाड़ा नहीं हैं। उन्हें अखाड़ा की मान्यता देना अनुचित है। मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता की है कि 13 के अलावा किसी को अखाड़ा के नाम पर सुविधा न दी जाए, उन्होंने हमारी मांग को स्वीकार किया है।हमारा वजूद खत्म नहीं होगा

वहीं किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी कहना है कि प्रशासन बिना अखाड़ा के नाम से सुविधा दे रहा है तो हमें एतराज नहीं है, हमें तो सुविधा चाहिए। रही बात अखाड़ा को मान्यता न देने से तो हमें उससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी के मानने न मानने से हमारा वजूद खत्म नहीं होगा।क्या 37 साल की बेटी है अम्मा की संपत्ति की हकदार, जयललिता ने तो इन्हें किया था सबसे ज्यादा प्यार

Posted By: Shweta Mishra