आगामी दो दिनों में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होने वाला है। ऐसे में इन 9 दिनों में मां दुर्गा के विभिन्‍न स्‍वरूपों समेत दुनिया भर में बने शक्तिपीठों की भी पूजा होगी। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बने। आपको जानकार हैरानी होगी कि इन 51 शक्तिपीठों में से 9 विदेश में भी हैं। जिसमें पाकिस्‍तान में है हिंगलाज देवी शक्तिपीठ स्‍िथत है। ऐसे में आइए जानें विदेशी धरती पर स्थित नौ शक्तिपीठों का महत्‍व...

पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्िथत शक्तिपीठ हिंगलाज शक्तिपीठ के नाम से जाता है। यह वही स्थान है जहां पर सती माता का सिर गिरा था। यहां भगवान शिव को भीमलोचन के रूप में व माता को भैरवी के रूप से पूजा जाता है।


श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ
श्रीलंका में स्थित शक्तिपीठ लंका शक्तिपीठ नाम से जाना जाता है। यहां पर देवी की पायल गिरी थी। इस स्थान पर भगवान शिव राक्षेश्वर के रूप में पूजे जाते है। वहीं माता इंद्राणी के रूप में पूजी जाती हैं।

नेपाल में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
नेपाल के काठमांडू में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ स्थित है। यह भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के निकट ही स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर सती के दोनो घुटने गिरे थे। यहा पर शक्ति को महामाया और शिव को कपाल रूप में पूजा जाता है।

बांग्लादेश में करतोयाघाट शक्तिपीठ
बांग्लादेश के भवानीपुर में करतोयाघाट शक्तिपीठ प्रसिद्ध है। करतोया नदी के किनारे माता सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां पर भगवान शिव को भैरव वामन  के रूप में माता सती को अर्पणा के रूप में पूजा जाता है।


बांग्लादेश में यशोर शक्तिपीठ
बांग्लादेश के जैशोर में यशोर शक्तिपीठ स्थित है। यहां पर बाएं हाथ की हथेली गिरी थी। इस स्थान पर भगवान शिव को चन्द्र के रूप में व माता सती को यशोरेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।


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Posted By: Shweta Mishra