आसानी से डिलीवर हो जाने वाले सामान की शॉपिंग ई-कॉमर्स वेबसाइट पर पहले से ही हिट है लेकिन फर्नीचर और लाइफस्टाइल से जुड़े प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन खरीदना एक बड़ा टास्क है। हालांकि पेपरफ्राई ने इस काम को लोगों के लिए काफी हद तक आसान बना दिया है। अब न केवल लोग ऑनलाइन फर्नीचर खरीद सकते हैं बल्कि ऑनलाइन कस्टमाइज भी इसे करा सकते हैं। क्या है पेपरफ्राई की सक्सेस स्टोरी जानते हैं...


features@inext.co.inKANPUR : हम ऐसे स्टार्टअप्स की सक्सेस स्टोरीज सुनते आए हैं, जहां लोगों ने पढ़ाई के कुछ सालों के बाद ही अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया और तरक्की की राह पर निकल गए। लेकिन पेपरफ्राई डॉट कॉम की शुरुआत करने वाले आशीष शाह ने अपने अच्छे-खासे लंबे करियर के बाद कुछ ऐसा करने की शुरुआत की जो उन्हें पर्सनल लेवल पर सुकून दे सके। पेपरफ्राई की शुरुआत करने के पहले वो एक लीडिंग ऑर्गनाइजेशन में टॉप पोजीशन पर थे। लेकिन अपने ग्लोरिफाइड करियर से वो कहीं न कहीं पूरी तरह से सैटिस्फाइड नहीं थे। तभी उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जो रिस्की तो था लेकिन उनका सपना भी था। पर यहां सबसे इंपॉर्टेंट फैक्टर था, उनका प्रोफेशनल एक्सपीरियंस। इस फील्ड का उन्हें जबरदस्त एक्सपीरियंस था और यहीं से उन्होंने डिसाइड किया कि वो ये रिस्क लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। दमदार था पुराना एक्सपीरियंस


आशीष के पास केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है। प्रोफेशनल एक्सपीरियंस की बात की जाए तो ईबे मोटर्स- इंडिया और फिलिपीसं में बतौर बिजनेस हेड, बाजी डॉट कॉम में बी2बी प्रोक्योरमेंट में बतौर मैनेजर और कॉमर्स वन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में बतौर एसोसिएट कंसल्टेंट काम करने का अशीष के पास एक्सपीरियंस है। 2012 में पेपरफ्राई की शुरुआत करने से पहले उनके पास सेल्स ऑपरेशन, बिजनेस डेवलपमेंट, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर्स में काम करने का करीब 15 साल का एक्सपीरियंस था। ये आशीष की लीडरशिप का ही कमाल था कि ईबे को मार्केट में बड़ा फायदा हुआ था। आशीष उन चुनिंदा लोगों में शामिल थे जिन्होंने ईबे मोटर्स को 100 करोड़ तक पहुंचाने में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन दिया था।यूं आया बिजनेस आइडिया

कई सालों की जॉब के बाद आशीष ने ये रियलाइज किया कि उनमें अपना कुछ काम करने का पूरा पोटेंशियल है और इसी के साथ शुरुआत हुई ऑनलाइन फर्नीचर रीटेल सेलिंग वेबसाइट पेपरफ्राई की। उन्होंने अपने एक कलीग अंब्रीश मूर्ती के साथ पेपरफ्राई की शुरुआत की।  फर्नीचर और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स को चुनने के पीछे वजह ये थी कि इसका मार्केट तो बहुत बड़ा था लेकिन काई प्रॉपर फॉर्मेशन मॉडल नहीं था। आशीष ने रियलाइज किया कि लोग लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पर पैसे तो खर्च करना चाहते हैं, लेकिन अभी इसके लिए ट्रेडिशनल तरीकों को ही अपना रहे हैं। इसके अलावा ऑनलाइन सेक्शन में भी फर्नीचर के कोई खास ऑप्शंस मौजूद नहीं थे जहां लोगों को भरपूर वैराइटी मिले। उन्होंने इसी गैप का फायदा उठाया। इंटरेस्टिंग बात ये है कि इसे शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी सेविंग्स इनवेस्ट कर दीं। पेपरफ्राई हुआ सक्सेसफुलपेपरफ्राई के साथ कई सालों का एक्सपीरियंस जुड़ा था इसलिए जैसा कि एक्सपेक्ट किया गया, इसके लॉन्च के बाद पहले महीने में ही इसने उम्मीद से ज्यादा बिजनेस किया। लॉन्च के बाद इसने स्मॉल-स्केल इंडस्ट्री प्रोडक्ट्स बनाने शुरू किए और साथ ही उनकी वेबसाइट पर ब्रांडेड प्रोडक्ट्स भी अवेलेबल थे। कंपनी ग्रो करने लगी और 2014-15 में इसकी ग्रोथ करीब 350 परसेंट थी। आज पेपरफ्राई 12 से ज्यादा देशों में बिजनेस कर रहा है और इसके पास 7 लाख से भी ज्यादा यूजर्स हैं।यहां आए चैलेंजेस ऐसा नहीं है कि ये काम बहुत आसान था, हर बिजनेस की तरह ही इसमें भी आशीष ने कई चैलेंजेस का सामना किया। टेक्निकल प्रॉब्लम्स सबसे बड़ा चैलेंजेस थींं, शुरुआत से लेकर सक्सेसफुल होने तक। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन में लूपहोल्स होना भी एक मेजर इश्यू था। आशीष का मानना है कि टेक्निकल प्रॉब्लम्स होने से ऑनलाइन कंज्यूमर्स तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है पर फिर भी चैलेंजेस को ओवरकम करना ही एक सक्सेसफुल बिजनेस की पहचान होती है और इसीलिए पेपरफ्राई भी सर्वाइव कर पा रही है।

हमने कुछ अच्छे डिसीजन लिए हैं। हमारे सेक्टर में कॉम्पिटीटर्स भी कम हैं तो कह सकते हैं कि हम थोड़ा लकी हैं। एक साल में हम तीन गुना से ज्यादा ग्रोथ देख रहे हैं।- आशीष शाहस्टार्टअप आइडियास्टार्टअप्स की पॉपुलैरिटी और प्रोग्रेस ने डेफिनेटली लोगों की जिंदगी को काफी हद तक आसान बना दिया है। धोबीवाला भी इसी का हिस्सा है जो वक्त के साथ पॉपुलर होता जा रहा है।साइंटिफिक टेक्नीक से कपड़े धोता है 'धोबीवाला'स्टार्टअप्स की पॉपुलैरिटी और प्रोग्रेस ने डेफिनेटली लोगों की जिंदगी को काफी हद तक आसान बना दिया है। धोबीवाला भी इसी का हिस्सा है जो वक्त के साथ पॉपुलर होता जा रहा है। बेंगलुरु बेस्ड दिलीप परम ने जब धोबीवाला जैसे इंटरेस्टिंग स्टार्टअप की शुरुआत की तो थी सिर्फ कपड़ों को स्टीम आयरन सर्विसेज देने से। फिर उन्होंने कपड़ों की धुलाई की सर्विस देना भी शुरू कर दिया। इंटरेस्टिंग बात ये है कि कम ही वक्त में उनका काम बेहद पॉपुलर हो गया है।  क्या है यूनीकनेस
धोबीवाला ईको-फ्रेंडली लॉन्ड्री प्रोवाइड करता है। यहां कपड़े धोने के लिए कम पानी, इलेक्ट्रिसिटी और डिटर्जेंट का यूज होता है। वॉटर सॉफ्टनर का यूज होता है ताकि डिटर्जेंट का यूज कम हो। डिटर्जेंट भी बायोडीग्रेडेबल होते हैं। रजाई और कंबल के लिए यूवी केयर भी प्रोवाइड की जाती है। साथ ही यहां काम करने वाला स्टाफ भी वेल-ट्रेंड होता है जिसका काम सिर्फ कपड़ों की सफाई नहीं बल्कि साइंटिफिकली सही तरीके से सफाई करना होता है।सेंट्रलाइज्ड प्लांटधोबीवाला का एक सेंट्रलाइज्ड प्लांट है जहां पर कपड़ों को सफाई के लिए छोड़ा जा सकता है। इसके कुछ पिकअप प्वॉइंट्स भी हैं। इसका काम सिर्फ कपड़े धोना नहीं बल्कि उन्हें प्रेस करना, दाग-धब्बे छुड़ाना, कलफ लगाना वगैरह की फेसिलिटीज भी यहां अवेलेबल हैं। इसके लिए कपड़ों को तीन से चार दिनों के लिए छोडऩा पड़ता है। ये सर्विस अभी बेंगलुरु में ही है जिसे एक्सपैंड किया जा सकता है।QnAमैं जानना चाहता हूं कि अगर मैं अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहूं तो इसकी पूरी इंफॉर्मेशन मुझे कैसे और कहां मिल सकती है? क्या गवर्नमेंट की ऐसी कोई वेबसाइट है?- अनुभव त्रिवेदी, मेरठस्टार्टअप हब स्टार्टअप ईकोसिस्टम में सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए एक वन-स्टॉप प्लैटफॉर्म है, जहां पर सभी स्टेकहोल्डर्स एक-दूसरे के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं, अपने थॉट्स को शेयर कर सकते हैं और एक हाइली डायनैमिक एनवॉयरमेंट में सक्सेसफुल पार्टनरशिप भी क्रिएट कर सकते हैं।मैं जानना चाहती हूं इनवेस्टर्स स्टार्टअप्स में कैसे इनवेस्ट करते हैं?- विशाखा खत्री, कानपुरकिसी भी स्टार्टअप में इनवेस्ट करना एक रिस्की स्टेट होता है लेकिन एक हाई पोटेंशियल वाले स्टार्टअप में इनवेस्ट करना इसे काफी ल्यूकरेटिव बना देता है। यही वजह है कि कम इनवेस्टमेंट के साथ भी इनवेस्टर्स स्टार्टअप्स में इनवेस्ट करने के लिए तैयार हो जाते हैं। द थॉमसन र्यूटर्स वेंचर कैपिटल रिसर्च इंडेक्स के मुताबिक 2012 में वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री का जो एनुअल रिटर्न आया है वो करीब 20 परसेंट के रेट पर आया है। इससे पहले ये 7.5 के लगभग ही था। यानि कि इस इंडस्ट्री को भी बहुत फायदा हो रहा है और इसके साथ ही स्टार्टअप्स को भी।Quick Guideमिलेगी कंप्लीट इंफॉर्मेशनदेश में ऐसे कई इंडिविजुअल्स हैं जो अपना स्टार्टअप शुरू करने का सपना देख रहे हैं। लेकिन उनके पास सही इंफार्मेशन नहीं होती कि आखिर वो कैसे अपने काम को शुरू करें। लेकिन स्टार्टअप इंडिया हब एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां किसी को भी स्टार्टअप से जुड़ी पूरी इंफॉर्मेशन आसानी से मिल जाएंगी। इंडियन गवर्नमेंट ने इसे इसी मकसद के साथ शुरू किया था कि एक ही जगह पर इनवेस्टर्स, फंडिंग एजेंसीज, इनक्यूबेटर्स, एक्सीलरेटर्स, कॉरपोरेट्स और गवर्नमेंट बॉडीज मिलें और अपने थॉट्स को एक-दूसरे के साथ शेयर करें। यह बेसिकली टियर 2 और टियर 3 शहरों को ध्यान मे रखकर बनाया गया, जहां पर लोगों को सही जानकारी नहीं मिल पाती। जिन लोगों को स्टार्टअप शुरू करना हो वो www.startupindia.gov.in/indiaHubLaunch.php पर विजिट कर सकते हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh