भारत के पांच बड़े व खूबसूरत शहरों में हैदराबाद का नाम शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कभी दुनिया की सबसे अमीर रियासतों में गिना जाने वाला हैदराबाद पर भारत का अधिपत्य नहीं था। इसे 1948 में आॅपरेशन पोलो के तहत भारत में शामिल किया गया था।


कानपुर।1947  में भारत आजाद होने के बाद भी हैदराबाद रियासत भारत से अलग था। हैदराबाद के अपने खुद के कानून, सेना और नियम थे। यहां के निजाम मीर उस्मान अली थे। ऑपरेशन पोलो को लेकर साल 2 जुलाई 2013 में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने एक ब्लाॅग लिखा था। एक आधिकारिक वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लूडाॅटबीजेपीडाॅटओआरजी के मुताबिक  9  सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन पोलो'  की तैयारी का ऐलान करते हुए बैठक की। इसके बाद भारतीय सेना ने 13 सितंबर दिन सोमवार को हैदराबाद की ओर कूच कर दिया था। 'ऑपरेशन पोलो'  पांच दिन चला


सेना के जवानों को मेजर जनरल जेएन चौधरी लीड कर रहे थे। वहीं मेजर जनरल जेएन चौधरी को लेफ्टिनेंट जनरल महाराज श्री राजेंद्र सिंह द्वारा लगातार दिशा-निर्देश प्राप्त हो रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल महाराज श्री राजेंद्र सिंह दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिस कमांडिंग-इन-चीफ थे। इस अभियान को सेना मुख्यालय द्वारा 'ऑपरेशन पोलो' नाम दिया गया था। 13 सितंबर को शुरू हुआ  'ऑपरेशन पोलो'  पांच दिन बाद समाप्त हुआ था। पहले और दूसरे दिन तो स्थितियां काफी गंभीर थी लेकिन इसके बाद भारतीय सेना के लिए हालात थोड़े सामान्य हुए। आत्मसमर्पण का आदेश दे दिया

17 सितंबर की शाम को निजाम ने हार कर अपनी सेना को भारतीय सेनाओं के सम्मुख हथियार डालने का आदेश दे दिया था। हैदराबाद सेना ने निजाम का आदेश पाकर आत्मसमर्पण कर दिया था। इतना ही नहीं लाइक अली तथा उनके मंत्रिमंडल ने भी अपने पदों से त्यागपत्र दे दिए। इस दौरान निजाम ने केएम मुंशी  (जो पुलिस कार्रवाई शुरू होने के बाद से घर से गिरफ्तार किया गया था) को सूचित किया था कि उसने सेना को आत्मसमर्पण करने का आदेश दे दिया है। अब वह एक नई सरकार बनाएगा। केएम मुंशी ने इसकी जानकारी भारत सरकार को दे दी। देश में जश्न मनाया जाने लगा मेजर जनरल जेएन चौधरी ने 18 सितंबर को सैन्य गवर्नर के रूप में प्रभारी पदभार संभाला। इसी दिन इनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने हैदराबाद में प्रवेश पा लिया था। इसके बाद यहां लाइक अली मंत्रालय के सदस्यों को घर से गिरफ्तार कर लिया गया था।  ऑपरेशन पोलो मुश्किल से 108 घंटे  चला था। इस ऑपरेशन पोलो की खास बात तो यह है कि इस दौरान पूरे भारत में कोई सांप्रदायिक घटना नहीं हुई थी। वहीं हैदराबाद के भारत के शामिल होने की अधिकारिक घोषणा होने पर देश में खुशी की लहर दौड़ गई। बधाई अादि देने के साथ जश्न आदि मनाए जाने लगे थे।

Posted By: Shweta Mishra