सच्ची सफलता में यद्यपि किसी कार्य में आनंद की प्रथम उत्तेजना फीकी भी पड़ जाए तो भी सफलता की सुखद स्मृति बनी रहती है।

सच्ची सफलता क्या है? यदि आप इस जीवन में प्रत्येक अभीष्ट वस्तु प्राप्त कर लें, तो भी अंतत: किसी न किसी प्रकार से आपका मोह भंग हो जाएगा। स्वयं का विश्लेषण करने पर मैंने देखा कि किसी वस्तु में जो भी सुख मुझे मिला, वह केवल मेरे मन ने ही उस वस्तु में मान लिया था। यदि मैंने अपने मन को हटा लिया, तो किसी भी वस्तु का सुख समाप्त हो गया। अत: मैंने देखा कि सुख आंतरिक है। व्यक्ति के अपने मन की धारणा। आपकी सबसे अनमोल वस्तु की सुंदरता, जिसे आप अपनी आंखों से देख रहे हैं। उस वस्तु से आपके विचार हटते ही लुप्त हो जाती है। केवल जब आप अपने मन को उस पर लगाते हैं तब आपको उसकी सुंदरता का बोध होता है। इसलिए यह कहना उचित है कि जो प्रसन्नता हम खोजते हैं, इसका ज्यादातर हमारे भीतर है न कि हमारे बाहर। हम अपनी प्रसन्नता को बढ़ा सकते हैं अथवा इसे घटा भी सकते हैं।

एक व्यक्ति के पास एक छोटा सा घर है और वह कहता है, मैं इसमें महल से अधिक आनंद पाता हूं। किसी अन्य व्यक्ति के पास एक महल है, जिसमें वह उतना आनंद नहीं पाता, जितना कि दूसरा व्यक्ति अपनी सादी कुटिया में पाता है। सफलता और सुख का रहस्य आपके भीतर है। यदि आपने बाहरी सुख और सफलता प्राप्त की है, परंतु आंतरिक नहीं तो वास्तव में आप सफल नहीं हैं। मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि आपके पास बहुत अधिक पैसा है, तो आप सुखी नहीं हैं। सफल नहीं हैं। चाहे आप गरीब हैं अथवा अमीर, यदि आप जीवन में सुखी हैं, तो आप वास्तव में सफल हैं।

वह सुख जो केवल एक क्षण में समाप्त हो जाता है और बाद में आपके दुख का कारण बनता है, सुख नहीं है। सच्ची सफलता में यद्यपि किसी कार्य में आनंद की प्रथम उत्तेजना फीकी भी पड़ जाए, तो भी सफलता की सुखद स्मृति बनी रहती है। आपके जीवन में किए गए सभी अच्छे कार्य आपकी स्मृति में सदा रहने वाले आनंद के रूप में बने रहते हैं। वे ही सच्ची सफलता हैं, जो आपने प्राप्त की है।

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Posted By: Kartikeya Tiwari