हममें से अधिकतर लोग आत्मविश्वास व साहस से इस दुनिया को अपनाने के बजाय हीनता और असुरक्षा की भावना से घिरे हुए हैं। सिर्फ इसी कारण से हम खुद को भय और दुख से घिरा हुआ पाते हैं।

मेरे मन में कई बातों को लेकर संशय है। एक प्रकार का डर भी मेरे भीतर व्याप्त है। ये दोनों ही बातें मेरे दिमाग को दुख देती हैं। मैं मन-मस्तिष्क की शांति के लिए क्या करूं? पूनम गुप्ता, कानपुर

भय, संदेह और तनाव, दुखद रूप से अक्सर हमारे मन-मस्तिष्क को तकलीफ देते हैं। दरअसल हम अपनी सच्ची दिव्य प्रकृति को भूल गए हैं और ऐसा महसूस करने लगे हैं कि हमारे अंदर कोई गहरी, गहन व स्थाई कमी है। हममें से अधिकतर लोग आत्मविश्वास व साहस से इस दुनिया को अपनाने के बजाय, हीनता और असुरक्षा की भावना से घिरे हुए हैं। सिर्फ इसी कारण से हम खुद को भय और दुख से घिरा हुआ पाते हैं। जवाब यह है कि हमेशा यह बात याद रखें कि ईश्वर ने आपको न सिर्फ बनाया है, बल्कि अपने अंश से बनाया है। इसका अर्थ है कि आप जो भी हैं, अपने आपमें संपूर्ण हैं।

आप क्या करती हैं या उसमें कितनी सफल हैं, इससे आपकी पहचान नहीं हैं इसलिए खुद को छोटा व कमजोर न समझें। अपनी दिव्य क्षमता को पहचानें। साथ ही खुद के बारे में कम और दूसरों के बारे में ज्यादा सोचें। अगर आप इस पर ध्यान केंद्रित करें कि अपने समय व प्रतिभा द्वारा आप दूसरों की सेवा किस प्रकार कर सकती हैं, तो ईश्वर भी मानवता की भलाई के लिए आपका साथ देंगे।

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Posted By: Kartikeya Tiwari