Gorakhpur : आजमगढ़ कोरे कागज की एक किताब है जिस पर जिसने जो चाहा वह लिख दिया. उसी को पढ़कर लोग आजमगढ़ को जानते रहे. मुस्लिम होने का मतलब नहीं है कि हर किसी का आतंकवाद से रिश्ता हो. बदनामी से ज्यादा आजमगढ़ में नामीगिरामी चीजें हैं जो खो गई है. यह कहना है फिल्म प्रोड्यूसर चंद्रप्रकाश सिंह का. वे एक्टर रघुवीर यादव और एक्ट्रेस कुनिका के साथ सिटी में थे. इस दौरान उन्होंने आई नेक्स्ट से अपनी आने वाली फिल्म पर खुलकर बात की.

भूरी के बजाय फिल्म का नाम प्रलय क्यों किया गया?
पूरी दुनियां कम्हरिया घाट का प्रलय देखेगी। एक साल पहले कम्हरिया घाट और आस-पास के गांवों में फिल्म भूरी की शूटिंग की गई, लेकिन फिल्म एडटिंग में लगा कि इसका नाम प्रलय होना चाहिए। रघुवीर यादव, कुनिका, शक्ति कपूर, मोहन जोशी, सीताराम पंचाल और मुकेश तिवारी जैसे दिग्गज कलाकारों को लेकर बनी फिल्म के कुछ महत्वपूर्ण सीन्स बाकी रह गए थे। कम्हरिया घाट पर पक्का पुल बनाने को लेकर हुए जल सत्याग्रह ने इसका महत्व बढ़ा दिया। एक दो शॉट और पोस्टर के स्टील फोटो की जरूरत हुई तो चार जुलाई की सुबह यूनिट लेकर दोबारा यहां पहुंच गए। फिल्म पूरी हो चुकी है नवंबर में रिलीज होने की उम्मीद है।  
फिल्म की कहानी किस प्रकार की है।
प्रलय एक स्त्री भूरी की कहानी है। गंभीर बीमारी की चपेट में गांव के छह सौ मर्दों में 995 की मौत हो जाती है। इस वजह से इसको प्रलय कहा जा रहा है। एक वूमेन के साथ खिलवाड़ की कीमत पूरे गांव के चुकानी पड़ती है। इसलिए स्त्री और प्रकृति को कभी नहीं छेड़ना चाहिए। वह यह इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।  
भोजपुरी सिनेमा को कामयाबी क्यों नहीं मिल रही।
भोजपुरी फिल्में अपने मूल सबजेक्ट को खो देती है। गांव-गिराव की पृष्ठभूमि पर बनने वाली हिंदी फिल्में कामयाब हो रही है। भोजपुरी को टच करने वाली हिंदी फिल्मों की कामयाबी की वजह यह है कि वह अपना मूल नहीं खोती है। भोजपुरी फिल्मों में भोजपुरी की आत्मा को खत्म करके काम किया जा रहा है। गांव की असलियत को बनावट का मुखौटा ओढ़ा देने से यह दुर्गति हुई है। इसलिए भोजपुरी के मूल को बनाए रखना होगा।
गोरखपुर के गांव में शूटिंग तो महंगी पड़ी होगी?
प्रलय में एक गांव की कहानी है जिसमें ईंट भट्ठे के मजदूरों का दुख दर्द भी दुनियां जान सकेगी। इमारतों के लिए ईंट बनाने वाले मजदूरों के साथ ही ओरिजनल लोकेशन फिल्म की जान है। गांव में किसी तरह का बनावटीपन नहीं है। बल्कि एक्टर्स को गांव वाला बनाने में पसीने छूट गए। कहानी से मैच करने वाली ओरिजनल लोकेशन यहां खींचकर लाई। पहली बार ऐसा हुआ कि बड़े स्टारकास्ट ने गोरखपुर के गांवों में फिल्म की शूटिंग की। दोबारा आने में कोई परहेज नहीं है। रघुवीर की तबियत खराब होने से जल्दी लौटना पड़ा।

 

report by : arun.kumar@inext.co.in

Posted By: Inextlive