GORAKHPUR: गोरखपुर में जन्मे मुकुन्दलाल घोष यानी परमहंस योगानंद ने अपने अनुयायियों को क्रिया योग का उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार-प्रसार किया। योगानंद के अनुसार, क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिससे अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।

कौन थे परमहंस योगानंद

परमहंस योगानंद बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरु युक्तेशवर गिरि के शिष्य थे। इन्होंने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया। योगानन्द प्रथम भारतीय गुरु थे। परमहंस योगानन्द की पुस्तक ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी (एक योगी की आत्मकथा) बुक भी लिखी थी।

योगानन्द प्रथम भारतीय गुरु थे

योगानन्द परमहंस ने 1920 में अमेरिका के लिए प्रस्थान किया और अमेरिका में उन्होंने अनेक यात्राएं की और क्रिया योग का प्रचार-प्रसार किया। विश्व को क्रिया योग के लिए प्रेरित किया। लोगों के बीच व्याख्यान देने, लेखन तथा निरंतर विश्वव्यापी कार्य को दिशा देने में अपने जीवन को लगा दिया।

क्या है क्रिया योग

संस्कृत के शब्द क्रिया का मतलब करना है। इसलिए क्रिया योग का मतलब है कि वे प्रणालियां जिनके द्वारा सेहद, आध्यात्मिक विकास, या एकता-चेतना का अनुभव हो। पतांजलि के 2000 साल पुराने योग सूत्र में लिखा है कि क्रिया योग का मतलब है मन और इन्द्रियों को वश में रखना, स्वयं विश्लेषण, स्वाध्याय, ध्यान का अभ्यास और अहंकार की भावना का ईश्वर प्राप्ति के लिए त्याग।

क्रिया योग का अभ्यास

क्रिया योग पारंपरिक रूप से गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही सीखा जाता है। उन्होंने बताया कि क्रिया योग में उनकी दीक्षा के बाद, बाबाजी ने मुझे उन प्राचीन कठोर नियमों में निर्देशित किया जो गुरु से शिष्य को संचारित योग कला को नियंत्रित करते हैं।

Posted By: Inextlive