- वोटर लिस्ट में कुलविंद्र के सन ऑफ में पिता काम नाम नहीं

- डीएम की जांच में खुलासा, पिता मुखिया की मुनिया नाम दर्ज

- कुलविंद्र के अलावा परिवार किसी भी सदस्य का वोट गांव में नहीं

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : मुखिया एंड फैमिली की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। जहां एक ओर मुखिया गूर्जर की गिरफ्तारी के बाद जमानत होने में परेशानी आ रही है। वहीं पूत्र कुलविंद्र मुखिया की सदस्यता खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है। मुखिया गुर्जर का नाम वोटिंग लिस्ट में न होना और कुलविंद्र मुखिया का नाम वोटिंग लिस्ट में गड़बड़ी मिली है। जिसके कारण कुलविंद्र के डॉक्युमेंट्स की दोबारा से जांच शुरू हो गई है। गौरतलब है कि कुलविंद्र मुखिया ने वार्ड-1 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है।

डीएम ने लिया संज्ञान

मुखिया गूर्जर प्रकरण में डीएम को बताया गया था कि मुखिया अपने बेटे को वोट डलवाने के लिए आए थे। ऐसे में उन्होंने केली रामपुर के बूथ की वोटिंग लिस्ट मंगवाई तो देखा कि कुलविंद्र के अलावा मुखिया और उसके परिवार में से किसी और का वोटर लिस्ट में नाम ही नहीं है। जिसे देखकर सभी अधिकारी चौंक गए। उन्हें बाद में पता चला कि मुखिया गुर्जर गांव तो क्या मेरठ जिले का ही मूल निवासी नहीं है, अब अधिकारियों की नजर कुलविंद्र मुखिया भी आ गए हैं।

इन सबकी होगी जांच

अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि कुलविंद्र गूर्जर से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स की जांच की जाएगी जो चुनाव लड़ने और वोट बनवाने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं। डीएम ने साफ कहा कि वो मूल निवासी नहीं है। ऐसे में उसका वोट कैसे बना? आखिर वोट बनवाने के लिए किस तरह और कौन से डॉक्यूमेंट लगाकर वोट बनवाए। वहीं उस बीएलओ से भी पूछताछ की जाएगी जिसने कुलविंद्र गूर्जर का वोट बनाया और वेरीफिकेशन किया था। सबसे बड़ा साक्ष्य तो ये भी है कि उसके परिवार में किसी भी सदस्य का वोट नहीं बना हुआ है।

आखिर से मुनिया कौन है?

वोटर लिस्ट में देखा गया तो कुलविंद्र के नाम के आगे पिता/माता/पत्नी के कॉलम में मुनिया लिखा हुआ है। कुलविंद्र के परिवार में मुनिया नाम का कोई सदस्य नहीं है। अब सवाल ये है कि आखिर ये मुनिया कौन है? क्या कुलविंद्र ने वोट बनवाने और परिवार का सदस्य या गांव का होने के लिए गांव की निवासी मुनिया का तो इस्तेमाल नहीं किया? जब इस बारे में कुलविंद्र से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में मिसप्रिंट हुआ है। 'मुखिया' की जगह 'मुनिया' हो गया है। अब ये जांच का विषय बन गया है कि कुलविंद्र सच बोल रहा है या फिर वाकई में कोई गड़बड़ी हुई है।

जा सकती है सदस्यता

अगर जांच के बाद कोई सुबूत कुलविंद्र के खिलाफ मिलता है तो उसकी पूरी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी जाएगी। जानकारों की मानें तो चुनाव आयोग कुलविंद्र की सदस्यता भी समाप्त की जा सकती है। आपको बता दें कि मुखिया एंड फैमिली बिजनेस बैकग्राउंड की फैमिली है। इनके परिवार में पहली बार कोई चुनाव लड़ा और जीता है। अगर ऐसी कोई कार्रवाई होती है भाजपा समेत परिवार की साख पर बट्टा लग सकता है।

वर्जन

वोटर लिस्ट को देखकर कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिनकी जांच होना काफी जरूरी है। पिता/माता/पत्नी के कॉलम में परिवार के किसी सदस्य का नाम नहीं है। गांव का मूल निवासी नहीं है। ऐसे कई चीजें हैं जांच का विषय है। जिनकी जांच कराने के लिए बोल दिया गया है।

- पंकज यादव, डीएम

Posted By: Inextlive