-कुम्भ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शहर में मौजूद एक दर्जन रैन बसेरा में नहीं कोई इंतजाम,

-रैन बसेरा की जानकारी नहीं होने से भटकने को मजबूर होते हैं श्रद्धालु

 

स्पॉट वन

दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क में रैन बसेरा बनाया गया है। यह शहरवासियों के अलावा कुंभ से काशी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी है। सुविधाएं बेहतर हैं, दोनों वक्त भोजन की भी व्यवस्था है। पर यहां तक पहुंचना मुश्किल है। क्योंकि शहर में इसका पता बताने वाला कोई साइनबोर्ड नहीं है।

स्पॉट-टू

अलईपुरा स्थित सिटी स्टेशन के सामने शेल्टर होम बना है। यहां की स्थिति देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कोई ठहर नहीं सकता है। आदमी तो दूर की बात यहां जानवर भी ठहरने नहीं सकते हैं। ऐसे में श्रद्धालु कैसे रह पाएंगे। वैसे भी न तो साफ-सफाई और न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। इसके अलावा बहुतों को पता भी नहीं है कि यहां रैन बसेरा भी है।

 

स्पॉट-थ्री

शिवाला पर बना रैन बसेरा भी सिर्फ नाम का है। पर्याप्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। शौचालय भी नदारद है। रौशनी का इंतजाम नहीं है। यहां तो शहरवासी ही नहीं ठौर ले पाते तो कुंभ से लौटने वाले श्रद्धालु कहां से पाएंगे। सिक्योरिटी परपज को देखते हुए अक्सर रैन बसेरा के बाहर ताला ही लटकता रहता है।

 

नहीं कोई पता

यह तो सिर्फ महज तीन स्पॉट की स्थिति है। शहर में बनाए गए एक दर्जन रैन बसेरा को कुम्भ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खोल दिया गया है। लेकिन हर जगह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। जबकि चार फरवरी को मौनी अमावस्या पर कुम्भ का महत्वपूर्ण स्नान है। प्रयागराज से पलट प्रवाह होगा तो शहर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ आएगी। इस दिन बड़ी संख्या में अन्य प्रांतों से श्रद्धालु काशी में पुण्य की डुबकी लगाने आते है। इतनी भीड़ को देखते हुए नगर निगम की ओर से कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। कहने तो रैन बसेरा खोल दिया गया है लेकिन बसेरों में मूलभूत सुविधाओं के नाम पर व्यवस्थाएं शून्य है।

 

सिटी में इंट्री करते ही गुम हो जाएंगे

कुंभ से काशी लौटने वाले श्रद्धालुओं को तो यह भी नहीं पता होता है कि काशी में कहां-कहां रैन बसेरा की व्यवस्थाएं है। जबकि पूर्व में शहर में जगह-जगह रैन बसेरा की सूची मौजूद होती थी। कुंभ से काशी लौटते समय श्रद्धालुओं को रास्ते में कहीं नहीं दिखेगा कि शहर में उनके ठहरे का इंतजाम कहां है। मकर संक्रांति के दौरान शहर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ कुंभ से काशी में आई थी। जानकारी के अभाव में मजबूरन घाट किनारे या मंदिर परिसरों में ठिठुरते रात काटनी पड़ी थी। जबकि शासन का खास निर्देश है कि श्रद्धालुओं के लिए भी व्यवस्थाएं बेहतर हो। रैन बसेरा में श्रद्धालुओं को भी पूरी सुविधाएं मयस्सर हो।

 

दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क में रहने और खाने-पीने का ठीक-ठाक इंतजाम है। केशरियामय रैन बसेरा में श्रद्धालुओं को ठौर दिया जा रहा है, करीब 40 से 50 श्रद्धालु एक बार में ठहर सकते है। शौचालय का इंतजाम पार्क के अंदर नहीं है। महिलाओं के लिए भी कुछ खास सुविधाएं नहीं की गई है।

 

एक नजर

12 रैन बसेरा सिटी में बनाए गए है

40 लोगों के ठहरने का इंतजाम होता है एक रैन बसेरा में

05 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ होगी मौनी अमावस्या पर

04 फरवरी को होगा मौनी अमावस्या का स्नान

 

स्थाई-अस्थाई बने रैन बसेरा में श्रद्धालुओं को ठहरने का इंतजाम किया गया है। चितरंजन पार्क से लेकर अन्य शेल्टर होम में व्यवस्थाएं काफी अच्छी की गई है। जहां खामियां है उसे दुरूस्त करा लिया जाएगा।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive