-बाबा का रुद्राक्ष प्रेम कुंभ में आकर्षण का केंद्र बना है.

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PRAYAGRAJ: जब तार भक्ति का जुड़ता है तो संसार का मोह छूट जाता है। ऐसे ही भक्ति रस में डूबने वालों का संगम प्रयागराज में हुआ है। यहां आने वाला हर बाबा और नागा डिफरेंट है। कोई हठ से भगवान को प्रसन्न करने में लगा है तो कोई भक्ति से खुश करने में जुटा है। इन्हीं भक्तों में से एक हैं ग्वालियर से आए पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के हरिओम भारती उर्फ रुद्राक्ष बाबा। भोले को प्रसन्न करने के लिए वह हमेशा शरीर पर मोटी मोटी रुद्राक्ष की माला धारण किए रहते हैं। इसके पीछे उद्देश्य बस इतना है अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो और सनातन धर्म का झंडा हमेशा बुलंद रहे।

बचपन से जुड़ गया भक्ति का तार
ग्वालियर के नागा बाबा हरिओम भारती को याद ही नहीं वह कब से भक्ति की राह में चल दिए हैं। बस इतना याद है कि भगवान को पाना है और फिर संसार को बचाना है। ग्वालियर से लेकर प्रयागराज तक भगवान को प्रसन्न करने के लिए आए हैं। भगवान शंकर की जटा से गंगा निकली है और इसलिए वह गंगा के पास आए हैं। गंगा मां से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि वह शिव को प्रसन्न करने में सफल होने का आर्शीवाद दें।

गर्दन में चार किलो रुद्राक्ष
बाबा के शरीर में चार किलो वजन से अधिक का रुद्रक्ष है। यह समय के साथ बढ़ता जाएगा। बाबा हरिओम का कहना है कि वह रुद्राथ की माला की संख्या व वजन तब तक बढ़ाते जाएंगे जबतक उनकी भोलेनाथ सुन नहीं लेते हैं। उनका मानना है कि रुद्राक्ष भक्त और भोले के बीच बड़ी कड़ी है। इस कड़ी से वह शिव को प्रसन्न कर सनातन धर्म की रक्षा का आह्वान करेंगे। प्रयागराज में संगम से वह और रुद्राक्ष धारण कर अपने मिशन में आगे बढ़ेंगे।

रुद्राक्ष से प्रेम करें
बाबा हरिओम ने हर किसी से शिव की भक्ति में रमने की अपील करते हुए कहा कि अगर रुद्राक्ष धारण किया जाए तो भोले शंकर प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करेंगे। गृहस्थ आश्रम में लोगों को रुद्राक्ष पहनने की बात कहते हुए बाबा ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए जप, तप और रुद्राक्ष जरूरी है। बाबा की धूनी के पास हमेशा डमरू और रुद्राक्ष का ढेर होता है। वह बार- बार डमरू बजाते हैं। वह जय शिव जय शिव के उच्चारण से संगम तट पर भक्ति की गंगा बहा रहे हैं।

 

 

 

Posted By: Inextlive