- जन-धन योजना में एड्रेस प्रूफ मांगने वाले बैंक खुद को बता रहे मजबूर

- पब्लिक कर सकती है योजना का मिसयूज, आरबीआई की गाइड लाइन मानना भी जरूरी

ALLAHABAD: गवर्नमेंट भले ही कहे कि दो फोटो और आईडी प्रूफ लेकर प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत लोगों का बैंक खाता खोल दिया जाए। लेकिन, ऐसा व्यवहारिक तौर पर मुमकिन नहीं है। केंद्र सरकार के निर्देश के साथ-साथ सभी बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन का पालन करना भी जरूरी है। इसलिए किसी भी सड़क चलते का बैंक खाता नहीं खोला जा सकता। यह कहना है एक बैंक अधिकारी का। उन्होंने कहा कि योजना के मिसयूज से बचने और पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए योजना के लाभार्थियों से केवाईसी मांगना बैंकों की मजबूरी है।

फिर कैसे खुलेगा अंतिम व्यक्ति की खाता

जन-धन योजना के तहत समाज के अंतिम व्यक्ति को वित्तीय रूप से खुद से जोड़ने का सरकार का मकसद फिलहाल साकार होता नजर नहीं आ रहा है। इस महत्वपूर्ण योजना के तहत नियमानुसार केवल दो फोटोग्राफ और आईडी प्रूफ के जरिए बैंकों में आसानी से खाता खुलवाया जा सकता है। इसके इतर बैंक आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित फॉर्म म्0 भरवाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग कैसे इस योजना से जुड़ेगा, यह बहुत बड़ा सवाल है।

सबके अपने-अपने तर्क

सरकार के मकसद से हटकर खुद के नियमों पर चलने वाले बैंकों के अपने-अपने तर्क हैं। आई नेक्स्ट ने अलग-अलग बैंकों के अधिकारियों से इस बारे में बात की तो उन्होंने सवालों से बचने की कोशिश की। हालांकि उनका इतना ही कहना था कि हमारी सरकार के साथ-साथ समाज के प्रति और सिस्टम के प्रति भी जवाबदेही है। हम आंख मूंदकर किसी का भी खाता नहीं खोल सकते हैं। अगर लिबरल होकर खाता खोला जाएगा तो अपात्र बिना देरी किए इस योजना का मिसयूज करना शुरू कर देंगे।

शुरू हो गया फर्जीवाड़ा

शुरुआती दौर में बिना एड्रेस प्रूफ के खाता खोलने के बाद बैंक अब पछता रहे हैं। बैंक अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कई ऐसे भी लाभार्थी हैं जिन्होंने जन-धन योजना के तहत लाभ लेने की आस में एक साथ कई बैंकों की अलग-अलग ब्रांच में फर्जी तरीके से खाते खुलवा लिए हैं। आने वाले दिनों में सरकार यूनिक आईडी जमा करवाकर ऐसे फर्जी लोगों की पहचान कर उनके खाते बंद कर देगी। बता दें कि इस योजना के तहत खाता धारक को डेबिट कार्ड व छह महीने खाता संचालन के बाद पांच हजार के ओवर ड्राफ्ट की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा लाभार्थी को एक लाख रुपए के दुर्घटना बीमा के साथ तीस हजार रुपए का जीवन बीमा भी मिलेगा।

आई नेक्स्ट के अभियान में सामने आई हकीकत

जन-धन योजना अभियान शुरू करते समय जिस जितेंद्र नामक युवक को खाता खुलवाने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भेजा था, आखिरकार बैंक स्टाफ ने आधार कार्ड जमा नहीं करने पर उसका योजना के तहत खाता खोलने से इंकार कर दिया। बैंक ने उसे आधार कार्ड के साथ दोबारा बुलाया है। इसी तरह अन्य लाभार्थियों को भी पैन कार्ड और आधार कार्ड साथ बुलाया जा रहा है।

सीबीएस से जुड़े हैं सभी बैंक

जानकारी के मुताबिक सभी बैंक सीबीएस यानी कोर बैंकिंग सॉल्यूशन से कनेक्टेड हैं। इस सिस्टम के तहत बिना केवाईसी के कोई भी आइडेंटिटी साफ्टवेयर एक्सेप्ट नहीं करता है। बैंकों द्वारा एड्रेस प्रूफ मांगे जाने का यह भी बड़ा कारण है। उधर बैंकों का कहना है कि बिना केवाईसी खाता खोले जाने से फर्जीवाड़े के चांसेज बढ़ जाते हैं। अगर किसी ने खाते में गलत तरीके से पैसे जमा किए या निकाले तो फिर आरोपी की पहचान करना मुश्किल हो जाएगा।

Posted By: Inextlive