Kanpur :सिटी में रोडवेज बसें मनमानी का दूसरा नाम बन गई हैं. कमाई के चक्कर में अब तक वीआईपी रोड जैसी सडक़ों पर दौडऩे वाली बसें अब पॉश रेजीडेंशियल एरियाज की गलियों में भी घुस आई हैं. शॉर्ट कट के चक्कर में ड्राइवर वीआईपी रोड स्वरूप नगर ब्रह्मम नगर निराला नगर की गलियों में भी बस दौड़ रहा हैं. जिससे ट्रैफिक रूल्स तो टूट ही रहें हैं इसके साथ एक्सीडेंट की आशंका भी बनी रहती है. हैरत वाली बात ये है कि आरटीओ अपनी आंखें बंद किए बैठा है. एक भी बस का चालान नहीं किया गया है.


तो करता क्या है आरटीओवीआईपी रोड पर किसी तरह का पब्लिक ट्रांसपोर्ट अलाउ  नहीं है। लेकिन आई नेक्स्ट कई बार वीआईपी रोड पर बिना रूट के बेधडक़ दौड़ रही रोडवेज बसों का इश्यू उठा चुका है। लेकिन आरटीओ ने इन्हें रोकने के लिए कोई स्टेप नहीं लिया। इसीलिए शायद अब इन बसों ने दूसरे रेजीडेंसियल इलाकों में घुसना शुरू कर दिया है। बस अड्डे तक जल्द से जल्द पहुंचने की होड़ में रोडवेज बसें ब्रह्म नगर, 80 फीट, स्वरूप नगर, निराला नगर के अंदर से भी पास हो रही हैं। हमको किसी का डर नहीं


गाड़ी सरकारी होने की वजह से रोडवेज बसों के ड्राइवर ट्रैफिक रूल्स की परवाह नहीं करते हैं। न तो उन्हें आरटीओ का डर है और न ट्रैफिक पुलिस की चिंता। हकीकत में भी आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने रोडवेज बसों की अराजकता को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। आरटीओ का रिकॉर्ड चेक करने पर पता चला कि रोडवेज बसों का तो चालान किया ही नहीं जाता, रोड पर वो कितनी भी अराजकता फैलाएं। मंडे को जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने आरटीओ के परमिट सेल से रोडवेज बसों के चालाना का रिकॉर्ड मांगा तो उनका कहना था कि रोडवेज बसों का तो चालान होता ही नहीं है। मंत्री जी क्या कह गए

सिटी में ट्रैफिक न्यूसेंस की असली वजह रोडवेज बसों की अराजकता है। ऐसा हम नहीं बल्कि पिछले दिनों सिटी में आए परिवहन मंत्री मनपाल सिंह का कहना है। उन्होंने इसको लेकर पिछले दिनों एक आदेश भी दिया था कि बिना स्टॉपेज सडक़ पर सवारी भरने वाली बसों का चालान कर हर्जाना ड्राइवर और कंडक्टर की सैलरी से काटा जाए। 'रिलैक्स ट्रांसपोर्ट ऑफिस'10 परसेंट भी चालान नहींआरटीओ ऑफिस ने तीन महीने में 983 ओवर लोड ट्रक के चालान किए हैं। जिसमें अप्रेल में 364, मई में 309, और जून में 310 ट्रक के चालान हुए हैं। जब कि आरटीओ के खुद के किए गए सर्वे में ही सिटी से एक महीने में 3000 से भी ज्यादा ओवर लोडेड ट्रक निकलते हैं। इससे साफ है कि आरटीओ की इंफोर्समेंट टीम और ऑफिसर्स कितने रिलैक्स मूड में रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक आरटीओ की टीम अधिकतर वाहनों से पैसे लेकर उन्हें ग्रीन सिग्नल दे देती है। क्यों नहीं करते चालान

आरटीओ ऑफिस में करीब 3100 टेम्पो रजिस्टर हैं, जब कि 2 हजार से ज्यादा फर्जी टेम्पो सिटी में दौड़ रहे हैं, ये बात आला अधिकारियों को बहुत अच्छे से पता है, लेकिन फिर भी तीन महीने में आरटीओ ने ओवर सवारी बैठाने, और पेपर न होने पर सिर्फ 688 टेम्पो के चालान किए हैं। टै्रक्टर ट्राली ही बनते हैं हादसे का सबबसिटी में टैक्टर-ट्राली ही सबसे ज्यादा हादसों का कारण बनते हैं। प्रतिबंध के बावजूद पूरे शहर में ट्रैक्टर-ट्रॉली दौड़ते हैं। लेकिन आरटीओ को ये दिखाई नहीं देता। तीन महीने में विभाग ने सिर्फ 37 ट्रैक्टर-ट्राली का चालान किया है। एक नजर मेंसिटी में रोडवेज बस- 500अप-डाउन- 1100बस स्टेशन- 2डिपो- 6

Posted By: Inextlive