चेन्नई के तीन इंजीनियरिंग छात्रों ने मिल कर महिलाओं के लिए एक ऐसा अंडर-गार्मेंट बनाया है जो उन्हें यौन उत्पीड़न से बचा सकेगा.

ये अंडर-गार्मेंट इस तरीके से बनाया गया है कि इसे पहनने वाली महिला के अंगों को कोई छूता है तो उसे 3,800 किलोवाट का करंट लगेगा. हालांकि ये करंट जानलेवा नहीं होगा.

इसके अलावा इसमें जीपीएस सिस्टम लगा है, जिससे यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिला के परिवार और पुलिस को खुद-ब-खुद फोन चला जाएगा.

हालांकि फिलहाल इस अंडर-गार्मेंट का केवल नमूना बनाया गया है, लेकिन इसे बनाने वाले छात्रों का दावा है कि कई निवेशकों ने इसे बाज़ार में लाने के लिए उनसे संपर्क किया है. चेन्नई के एसआरएम यूनिवर्सिटी के इन तीन छात्रों के नाम हैं – मनीषा मोहन, रिम्पी त्रिपाठी और निलाद्री बसु. इस तीनों को उनकी इस नवरचना के लिए गांधियन यंग अवॉर्ड भी दिया जा चुका है.

नायाब रचना
मनीषा मोहन ने बीबीसी से बातचीत में बताया, “इस एंटी-रेप अंडर-गार्मेंट में एक प्रेशर सेंसर को इलेक्ट्रिक सर्किट के साथ मिला कर इस्तेमाल किया गया है, जिसके अंदर से करंट निकलता है. ज़्यादातर बदमाश महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की शुरुआत उनके अंगों को दबाने से करते हैं.

हमने इस अंडर-गार्मेंट में एक प्रेशर सेट किया है, जिसकी सीमा पार होने के बाद करंट पैदा होगा और महिला के परिजनों और पुलिस को फोनकॉल चला जाएगा.” इसके अलावा इस अंडर-गार्मेंट की खासियत ये है कि इससे पैदा होने वाले करंट का असर इसे पहनने वाली महिला के शरीर पर नहीं पड़ता. इसकी बाहरी परत कंडक्टर का काम करती है, जबकि अंदरुनी परत इंसुलेटर का काम करती है.

महिला सशक्तिकरण
जब उनसे पूछा गया कि ऐसा यंत्र बनाने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली तो उन्होंने कहा, “मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूं और मुझे पढ़ाई के लिए चेन्नई भेजते समय मुझे मेरे पापा की आंखों में मेरी सुरक्षा की चिंता साफ दिखाई दी. उसके बाद दिल्ली गैंगरेप वारदात के बाद हमें लगा कि कुछ तो ऐसा करना है जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

जो महिलाएं देर रात तक काम करती हैं, उनके पास घर के लिए निकलते वक्त एक ऐसा यंत्र होने चाहिए जो उन्हें आत्मविश्वास दे सके.” उनका कहना था कि समाज का बड़ा तबका पीड़ित महिला को वो समर्थन नहीं देता जिसकी उसे ज़रूरत होती है और ऐसे में ये ज़रूरी है कि उनके सशक्तिकरण के लिए ऐसे यंत्र बनाए जाएं.

मनीषा ने बताया कि वे चाहती हैं कि सरकार इस यंत्र को सब्सिडी दे और इसे बाज़ार में लाने में मदद करे. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उनका मकसद ग्रामीण महिलाओं तक ये यंत्र पहुंचाना है.

उनका कहना था, “गांवों में कितने ही ऐसे हादसे होते हैं जिनमें महिलाओं को रात को सोते हुए उनके घर से उठा लिया जाता है. मेरा मकसद तब तक पूरा नहीं होगा जब तक मैं ग्रामीण महिलाओं तक उनकी आबरू बचाने वाले इस यंत्र को न पहुंचा दूं.”

फिलहाल ये अंडर-गार्मेंट केवल एक नमूने के स्तर पर है और इसे बनाने वाले छात्रों का कहना है कि कई निजी निवेशकों ने इस यंत्र खरीदने का प्रस्ताव इन्हें दिया है.

Posted By: Garima Shukla