दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि चरमपंथी संगठन 'लश्कर-ए-तैयबा ने मुज़फ़्फ़रनगर में लोगों की भर्ती की कोशिश' की थी. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में स्पेशल कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने एक प्रेस वार्ता में इसकी जानकारी दी.


हालांकि उन्होंने साफ़ कर दिया कि जिन दो लोगों को बहकाने की कोशिश की जा रही थी वो मुज़फ़्फ़रनगर के दंगा पीड़ित नहीं थे.दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने लश्कर से जुड़े दो लोगों को हरियाणा के मेवात से गिरफ्तार किया था. उनसे पूछताछ में ही यह जानकारी मिली कि लश्कर मुज़फ़्फ़रनगर से लोगों को संगठन में शामिल करने की कोशिश कर रहा है.कुछ महीने पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ख़ुफ़िया विभाग के एक अफ़सर के हवाले से दावा किया था कि आईएसआई मुज़फ़्फ़नगर के दंगा पीड़ितों के संपर्क में है. इससे पहले मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुज़फ़्फ़नगर में हुए दंगों के पीड़ितों को अपने साथ मिलाने की कोशिश की थी.गवाहों के बयान दर्जइस मामले में दिल्ली पुलिस लश्कर के चरमपंथी अब्दुल सुभान के अलावा दो और चरमपंथियों की तलाश कर रही है.
"उन्होंने ज़मीर से अपहरण करने को कहा ताकि उससे मिले पैसे को मस्जिद बनाने में इस्तेमाल किया जा सके. इसके बाद ज़मीर ने खुद को इस मामले दूर कर लिया और उन लोगों से संपर्क नहीं किया."-एस एन श्रीवास्तव, स्पेशल कमिश्नर, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेलदिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीमें अब भी मुज़फ़्फ़नगर और मेवात इलाके में छापे मार रही है.


स्पेशल कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव का कहना है कि शामली के रहने वाले दो व्यक्तियों - लियाकत और ज़मीर - ने दिल्ली पुलिस को बताया कि राशिद और एक अन्य व्यक्ति ने उनसे मुलाकात की थी.58 साल के लियाकत उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में नौकरी करते हैं. उन्होंने ही दो अन्य व्यक्तियों से ज़मीर की मुलाकात करवाई थी.इसके बाद उन लोगों की दिल्ली में भी दो बार मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने ज़मीर से अपहरण करने को कहा ताकि उससे मिले पैसे को मस्जिद बनाने में इस्तेमाल किया जा सके.इसके बाद ज़मीर ने खुद को इस मामले से दूर कर लिया और उन लोगों से संपर्क नहीं किया.सोमवार को दिल्ली पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पटियाला हाउस कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने दोनों के बयान दर्ज करवाए थे.स्पेशल कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि दिल्ली पुलिस इन लोगों को गवाह के रूप में इस्तेमाल करेगी जिससे उसका केस और मज़बूत होगा.उन्होंने कहा, "मैं ये साफ़ कर दूं कि लियाकत और ज़मीर मुज़फ़्फ़रनगर में रहते हैं लेकिन वो दंगा पीड़ित नहीं हैं."'स्पष्टीकरण दे सरकार'

इस बीच कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, "अगर यह सही है कि लश्कर के लोग मुज़फ़्फ़रनगर के राहत शिविरों में मौजूद थे और लोगों को प्रोत्साहित कर रहे थे तो इससे राहुल गांधी की बात को बल मिलता है."वहीं भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, "यह देश की सुरक्षा में गंभीर चूक का मामला है. उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए."समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल का कहना था, "अगर वहां कोई अपराधी था तो दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए."

Posted By: Subhesh Sharma