भारतीय जनगणना के हालिया अध्‍ययन में एक बात निकलकर सामने आई है कि लेट शादियों का चलन शुरु होने की वजह से भारत में प्रजनन की दर में पहले की अपेक्षा कमी आई है. इसके साथ ही तलाक के मामलों की संख्‍या में भी बढ़ोत्तरी हुई है.


घट गई प्रजनन दरभारतीय जनगणना के अध्ययन से एक ऐसी जानकारी निकलकर सामने आई है जिसे सुनकर आप चौंक सकते हैं. ताजा स्टडी में पता चला है कि लोगों के लेट शादी करने की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता पर भारी असर पड़ा है. इसका असर देश की कुल प्रजनन दर पर भी दिखाई पड़ता है. आंकड़ों के अनुसार साल 2001 की जनगणना में पुरुषों की शादी की उम्र 22.6 साल थी जो 2011 जनगणना में बढ़कर 23.3 हो गया है. महिलाओं की एवरेज मैरिज एज 18.3 से बढ़कर 19.3 हो गई है. इसके साथ ही पुरुषों एवं महिलाओं में तलाकशुदा लोगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है. 2001 सेंसस में राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.5 थी जो ताजा सेंसस में 2.22 हो गई है. जीवन अनुपात में बढ़ोतरी
प्रजनन दर में गिरावट के साथ ही जीवन अनुपात में वृद्धि देखी गई है. जनगणना आयुक्त की रिपोर्ट में सामने आया है कि 2001 की सेंसस के मुकाबले 2011 सेंसस में बच्चों में लिंगानुपात सभी एज ग्रुप्स में कम हो गया है. इसके साथ ही 2001 सेंसस में कुल महिलाओं में विवाहित महिलाओं का प्रतिशत 47.7 था जो नए सेंसस में बढ़कर 49.9 हो गया है. पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 43.6 प्रतिशत से बढ़कर 46.0 प्रतिशत हो गया है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra