डिजिटल सिग्नेचर में गड़बड़ी के चलते दोबारा प्रिंट हो रहे हजारों डीएल

Meerut. डिजिटल सिग्नेचर के फेर में फंसकर जनपद के हजारों आवेदकों के डीएल एक बार फिर विभाग की लेट-लतीफी में लटक गए हैं. दरअसल, मुख्यालय स्तर पर डिजिटल सिग्नेचर का प्रिंट स्मार्ट डीएल पर साफ न आने के कारण हजारों लाइसेंस को मुख्यालय से डिलीवर नहीं किया गया. जिस कारण से इस माह आने वाले स्मार्ट डीएल कार्ड के लिए आवेदकों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है.

डिजिटल सिग्नेचर हुए फेड

मुख्यालय स्तर पर आला अधिकारियों के डिजिटल साइन को स्मार्ट डीएल पर पि्रंट किया जाता है. यह साइन लाइसेंस के असली होने का प्रमुख सुबूत होता है. मगर साइन की क्वालिटी लो होने के कारण गत माह प्रिंट हुए लाइसेंस पर डिजीटल सिग्नेचर फेड प्रिंट हुए. जिससे मुख्यालय स्तर पर लाइसेंस को दोबारा प्रिटिंग के लिए वापस कर दिया गया.

करना होगा इंतजार

गत माह अंतिम सप्ताह में आवेदकों द्वारा अप्लाई किए गए स्मार्ट कार्ड डीएल के लिए आवेदकों को 15 मई तक इंतजार करना पड़ सकता है. कारण, करीब 12 जनपदों के हजारों लाइसेंस दोबारा प्रिंट किए जा रहे हैं. ऐसे में मेरठ के आवेदक भी रोजाना अपने लाइसेंस के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनका लाइसेंस डिलीवर नहीं हो रहा है.

अब मुख्यालय स्तर पर स्मार्ट डीएल की होम डिलीवरी की जाती है. लाइसेंस लेट होता है तो मुख्यालय स्तर पर होता है. डिजीटल सिग्नेचर के कारण कुछ लाइसेंस दोबारा प्रिंटिंग का मामला मुख्यालय में हुआ है.

सीएल निगम, आरआई

विभाग की गलती, आवेदकों पर भारी

परिवहन विभाग की लापरवाही ड्राइविंग लाइसेंस के लिए विभाग में आने वाले आवेदकों की जेब पर भारी पड़ रही है. आवेदक लाइसेंस आवेदन संबंधित फार्म में सभी प्रकार की डिटेल सभी भरकर देते हैं लेकिन लाइसेंस में डिटेल गलत प्रिंट होकर आ जाती है. इस गलती को सुधारने के नाम पर दोबारा आवेदक से फीस वसूली जाती है. ऐसे में आवेदकों को कार्यालय में नौसीखिए कर्मचारियों की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

लापरवाही से हो रही गलती

दरअसल, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन फार्म अप्लाई करने के बाद विभाग में कार्यरत आउटसोर्सिग कंपनी के कर्मचारियों द्वारा लाइसेंस के स्वीकृत आवेदनों का डाटा वेबसाइट पर फीड किया जाता है. इस डाटा के आधार पर लखनऊ से आवेदक का डीएल बनकर आता है लेकिन डाटा फीड करने के दौरान लापरवाही के चलते आवेदक के नाम से लेकर पते या मोबाइल नंबर आदि में गलतियां हो जाती है और वही गलत जानकारी आवेदक के स्मार्ट कार्ड पर पि्रंट हो जाती हैं.

200 से 400 रुपए में सुधर रही गलती

इस प्रकार की गलती को सुधारने के लिए आवेदक को दोबारा से करेक्शन के लिए अप्लाई करना होता है. इस करेक्शन के लिए निर्धारित फीस 200 रुपए देनी पड़ती है इसके बाद दोबारा जो स्मार्ट कार्ड प्रिंट होकर आता है उसके लिए भी 200 रुपए लिए जाते हैं. ऐसे में एक अक्षर से लेकर पूरा नाम या नंबर सही कराने के लिए आवेदक को 400 रुपए तक पेनल्टी भुगतनी पड़ रही है.

फैक्ट

200 से 250 लर्निग लाइसेंस के आवेदन आते हैं आरटीओ में रोजाना

100 से 125 आवेदन रोजाना आते हैं स्थाई लाइसेंस के लिए

150 से अधिक लाइसेंस में करेक्शन के आवेदन आते हैं एक माह में

लाइसेंस में गलती ना हो इसलिए आवेदक को लाइसेंस की पूरी डिटेल चेक करा दी जाती है. फिर भी हमने सभी कर्मचारियों को पूरी सजगता के साथ काम करने का आदेश दिया है.

श्वेता वर्मा, एआरटीओ

Posted By: Lekhchand Singh