इंडियन फिल्म म्‍यूजिक का इतिहास उठा कर देखे तो पता चलता है कि उनमें लोकगीत हमेशा से एक स्टैंर्ड प्वाइंट बना रहा. इसे आप बॉलीवुड फिल्‍मों की आत्‍मा भी कह सकते हैं. फिल्मों में फोक सांग्‍स ने कल्चरल हेरिटेज का काम किया है. शुरुआत से लेकर ताजातरीन फिल्मों के गीतों पर यदि डालेंगे तो आपको जरुर ही फोक गीत की खूश्बू का अहसास मिलेगा. यही वजह है कि हम सब इसके दीवाने हो गए.

 

मोरनी बागा मा बोले अधि रात मा

इसी तरह फिल्म दिल्ली 6 का गीत ससुराल गेंदा फूल भी छतीसगढ़ी फोक सांग पर बेस्ड है. छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में गूंजनेवाले इस गीत को जब प्रसून जोशी ने फिल्मी टच दिया तो लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया. इससे पहले आई फिल्म मिशन कश्मीर के भी गाने को फोक सांग की श्रेणीं में रखा जा सकता है. बूमरो-बूमरो को फिल्म के हिट गाने में शुमार किया गया था.

 

बॉलीवुड पर सबसे अधिक राजस्थानी फोक म्यूजिक का असर है. आपको तो फिल्म रुदाली का केसरिया बालम आवो नी.... याद ही होगा. यह गीत तो एक ब्रांड बन गया. यह राजिस्थानी विहरा पर आधारित लोक गीत है, जिन्हें मांड कहा जाता है. इसी तरह फिल्म लम्हे का मोरनी बागा मा बोले अधि रात मा भी राजस्थानी फोक है, जिसे मौरिया कहा जाता है. इन दोनों के अलावा फिल्म हम दिल दे चुके सनम का ढोली तारो ढोल बाजे ढोल बाजे ढोल.... और निम्बुणा निम्बुणा गीत को भी राजस्थानी फोक स्टाइल में ढला हुआ था.

 

खाई के पान बनारस वाला

राजस्थानी की तरह बॉलीवुड में भोजपुरी लोक स्टाइल में गए हुए गीतों की भी भरमार है. इसमें खाई के पान बनारस वाला सुपर डुपर हिट है. इस गाने को हाल ही में आई फिल्म डॉन (शाहरुख खान) में भी  शामिल किया गया. इसके अलावा फिल्म सिलसिले में गाया लोक गीत रंग बरसे भीगे चुनर वाली में भी आपको भोजपुरी फोक का असर मिलेगा.

 

 

 

 

 

 

 

Posted By: Garima Shukla