Meerut: मुजफ्फरनगर दंगों का दंश पूरा यूपी झेल रहा है. इस दंश ने ही देश को मेडल से नवाजने वाले होनहार शूटर्स के भी कंधे झुका दिए हैं. निशाना साधकर मेडल जीतने की ललक अब उन्हें तिल-तिल झकझोर रही है. मुश्किल हो गया है आगामी चैंपियनशिप में उनका मेडल जीतने का सपना. चूर-चूर हो रहे हैं मेडल को चूमने की कसक.


यूं नहीं बन रहे शस्त्र लाइसेंसमुजफ्फरनगर दंगे के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक व्यक्ति ने रिट दायर करते हुए कहा कि प्रदेश में शस्त्र लाइसेंस बनवाने पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि जितने हथियार हमारी फोर्स के पास उप्र में है, उससे कहीं ज्यादा तो आम आदमी के पास हो जाएंगे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए शस्त्र लाइसेंस बनाने पर 20 नवंबर तक रोक लगा दी थी, जिसके बाद इसे बढ़ाकर 20 मार्च 2014 तक कर दिया गया। कितनों के फंसे लाइसेंस


गौर देने वाली बात ये है कि मेरठ में करीब 25 शूटर्स के लाइसेंस काफी समय से अटके पड़े हैं। पहले ही प्रदेश सरकार द्वारा शस्त्र लाइसेंस बनाने में शूटिंग के खिलाडिय़ों को कोई कोताही नहीं दी जा रही थी। ऐसे में कई शूटर्स लाइसेंस बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे थे। ऐसे में अब हाईकोर्ट के आर्डर के बाद शूटर्स की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने डीएम को अतिआवश्यकता के चलते लाइसेंस बना सकते हैं। अब ऐसे में खिलाडिय़ों की मुश्किल को देखते हुए लाइसेंस क्यों नहीं बनाए जा रहे ये समझ से परे है। इन शूटर्स का जीना मुहाल

- मो। असब: मो। असब भारत के डबल ट्रेप इवेंट के शूटर हैं। लेकिन पुरानी हो चुकी राइफल को बदलना चाहते हैं। जिससे नई ली जा सके, उन्होंने लाइसेंस के लिए अप्लाई किया हुआ है.  - अभिनव चौधरी: अभिनव .32 सेंटरफायर की पिस्टल के लिए लाइसेंस बनवाना चाहते हैं। जिससे उन्हें चैंपियनशिप में दूसरों की पिस्टल उधार लेकर नहीं खेलना पड़े। लेकिन सीजन खत्म हो गया और लाइसेंस बना नहीं। ऐसे में अब उन्हें हाथ पर हाथ रखकर बैठना पड़ा।

जहीन अहमद रिजवी: जहीन अहमद भी देश के अच्छे ट्रेप शूटर हैं। लेकिन लाइसेंस के लिए अप्लाई किया हुआ है, कोई विचार अभी तक नहीं हुआ। आमिर रिजवी: मो.असब के भाई आमिर डबल ट्रैप के शूटर हैं। आमिर असब और दूसरे शूटर्स की राइफल लेकर ही प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इंतजार अब भी लाइसेंस बनने का है.  ये भी लाइन में सिर्फ ये ही खिलाड़ी नहीं है जो लाइसेंस बनवाने का इंतजार कर रहे हैं। इनके अलावा मसद अहमद रिजवी, अहवर रिजवी, अनंत शिवम प्रताप समेत 10 से 15 शूटर अभी भी लाइसेंस बनने का इंतजार कर रहे हैं। बॉक्स- तो एशियन गेम्स का क्या?


गौरतलब है कि अगले साल एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स होने हैं। जिसमें देश के टाप डबल ट्रेप शूटर्स में शुमार मेरठ के मो.असब को भी भाग लेना है। क्योंकि असब अपनी बहुत पुरानी राइफल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उनके लिए इसे बदलना जरूरी है। कई कंपनियां असब को स्पांसर भी कर रही हैं, लेकिन मुश्किल सिर्फ लाइसेंस बनने की है। अगर लाइसेंस नहीं बन पाता तो देश के ये टॉप शूटर अत्याधुनिक राइफल नहीं होने से मेडल से चूक सकता है। साथ ही अगले चार वल्र्डकप के मेडल भी दांव पर हैं। शूटर्स के रूके लाइसेंस- 25 के करीबप्रतिबंध की तिथि- 20 मार्च 2014 तक2014 बड़ी चैंपियनशिप- एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, चार वल्र्डकप, नेशनल चैंपियनशिप सहित कई बड़ी प्रतियोगिताएंअभी तो लाइसेंस पर रोक ही लगी हुई है। ये हाईकोर्ट का आदेश है। अब खिलाडिय़ों को मुश्किलों से तो गुजरना ही पड़ रहा है। लेकिन इसमें अंतिम फैसला तो मेरठ डिस्ट्रिक राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष खुद डीएम नवदीप रिणवा ही ले सकते हैं। वेदपाल सिंह, सचिव एमडीआरए

Posted By: Inextlive