lucknow@inext.co.in LUCKNOW : निजी स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए जो अध्यादेश सरकार ला रही है उससे स्कूलों की मौजूदा फीस कम नहीं होगी. क्योंकि सरकार फीस निर्धारण नहीं करने जा रही लेकिन यह अध्यादेश स्कूलों द्वारा हर साल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने पर अंकुश जरूर लगाएगा. अध्यादेश का फायदा स्कूल में पढ़ रहे पुराने स्टूडेंट्स को ज्यादा मिलेगा. वहीं जिन स्कूल प्रबंधकों ने अपने हिसाब से मनमाने तरीके से अधिक फीस बढ़ा रखी है. उनको इस अध्यादेश से काफी नुकसान होने वाला है. सरकार ने जिस फॉर्मूले के तहत फीस निर्धारित करने की प्रक्रिया अपनाई है. उसमें राजधानी के कई बड़े स्कूल प्रबंधकों का झटका लगाना तय है. कई स्कूल प्रबंधकों ने अपने यहां पर 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है उनको अब दोबारा से फीस रिवाज करनी होगी.

-पिछले साल की टोटल फीस पर ही लागू होगा नया नियम

-निर्धारित फीस से ज्यादा बढ़ाने पर स्कूलों का नुकसान

पुराने साल के फीस पर लगेगा अध्यादेश
जानकारों का कहना है कि सरकार ने फीस निर्धारित करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया है। बल्कि कितनी फीस हर साल बढ़ा सकते हैं। इसे तय कर दिया है। सरकार के प्रस्ताव की मानें तो सभी स्कूलों में बीते साल में जितनी टोटल फीस अभिभावकों से ली है, उसी टोटल फीस पर पांच प्रतिशत प्लस कज्यूमर प्राइज इंडेक्स (सीपीआई) आज के हिसाब से फीस लेनी है। मौजूदा समय में अगर इन दोनों को जोड़ा जाए तो यह करीब आठ परेसेंट होता है। इसके अलावा स्कूल प्रशासन किसी तरह से फीस में बढ़ोत्तरी अब नहीं कर सकता है। राजधानी के कुछ स्कूलों ने जहां, 10 से 15 प्रतिशत फीस बढ़ाई हैं, वहीं कुछ स्कूलों में एक ही साल में बच्चे के फीस में 30 से 40 प्रतिशत तक का अंतर आ गया है। ऐसे स्कूल प्रबंधकों को परेशानी होने वाली है।

फीस कैसे लेनी यह स्कूल तय करेंगे
अध्यादेश के अनुसार स्कूल अभिभावकों से कैसे फीस लेंगे यह उन पर छोड़ा गया है। सेंट जोजफ इंटर कॉलेज के प्रबंधक अनिल अग्रवाल बताते हैं कि फीस कैसे लेनी है यह खुद स्कूलों को तय करना होगा। स्कूल मंथली, क्वार्टली, हाफ इयर्ली या फिर साल में एक बार में ही पूरी फीस ले सकते हैं। ज्यादातर स्कूल प्रबंधक क्वाटर्रली फीस लेते है।

अध्यादेश केवल झुनझुना : अभिभावक कल्याण संघ
पिछले कई वर्षो से स्कूलों की गलत फीस के खिलाफ मोर्चा लेने वाले अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह अध्यादेश केवल लोकसभा चुनाव को देखते हुए झुनझुना भर हैं। अध्यादेश में स्कूलों की फीस कितनी होगी इसे तय करने का कोई सिस्टम नहीं है। उनका सुझाव है कि जिस प्रकार प्राइवेट इंजीनिय¨रग व मेडिकल कॉलेजों की कमाई व खर्चे को देखकर सरकार फीस तय करती है, उसी प्रकार स्कूलों में भी सरकार को फीस निर्धारण करना चाहिए। अभी हर कालेज फीस निर्धारण में अपनी मनमानी करते हैं। अभिभावक कल्याण संघ 10 साल से इसी मसले की लड़ाई लड़ रहा है और आगे भी लड़ता रहेगा। अभिभावक संघ इस अध्यादेश से खुश नहीं है।

अध्यादेश में खास

- हर साल एडमिशन फीस नहीं ले सकेंगे स्कूल

- निजी स्कूल बिना पूर्वानुमति के फीस नहीं बढ़ा सकेंगे

- स्कूल निर्धारित फीस से अधिक फीस नहीं ले सकेंगे

- कुल फीस का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी डेवलपमेंट फीस

- निजी स्कूल किसी भी प्रकार का कैपिटेशन शुल्क नहीं लेंगे

- प्रत्येक फीस की छात्रों को देनी ही होगी रसीद

- हर साल 31 दिसंबर तक डिस्प्ले करनी होगी फीस

-बीच सत्र में नहीं बढ़ सकती है फीस

- पांच साल से पहले स्कूल ड्रेस में भी नहीं होगा बदलाव

- कॉपी-किताब, जूते-मोजे व ड्रेस आदि के लिए किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा

स्वागत योग्य अध्यादेश
यह सरकारी की अच्छी पहल है। इसमें अधिकांश पहले ही स्कूलों में लागू हैं। नियम बन जाने से स्कूल और अभिभावकों के बीच में समन्वय बन सकेगा।
- सैफी यूनुस, निदेशक, इरम ग्रुप ऑफ स्कूल्स एंड कॉलेजेज

 

फार्मूला अच्छा है लेकिन, 20 हजार की फीस की सीमा को स्पष्ट नहीं किया गया है। यह सीमा किसी कक्षा की फीस को लेकर लागू की जाएगी।
- सरवजीत सिंह, प्रबंधक, अवध कॉलिजिएट

हम सरकार के साथ है। यह फैसला अभिभावक और स्कूल दोनों के पक्ष में है। इससे स्कूलों को अनावश्यक परेशान होने से बचाया जा सकेगा।
- अनिल अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, सेंट जोजफ कॉलेज

Posted By: Inextlive