एक्सक्लूसिव

बेहद संवेदनशील है बनारस फिर भी लोकल इंटेलीजेंस इनपुट है कमजोर

-विभाग की स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए दौड़ रही है फाइल लेकिन साल दर साल कम हो रहा स्टाफ

-वीआईपी मूवमेंट के अलावा कई अन्य ड्यूटीज में ही फंसी रह जा रही है एलआईयू टीम

तीन आतंकी हमले झेल चुका बनारस कितना संवेदनशील है, ये किसी से छिपा रही है। एक तरफ पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण इसे वीआईपी सिटी का तमगा मिला हुआ है। दूसरी तरफ इसकी संवेदनशीलता के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण विभाग ही सबसे कमजोर हालत में काम कर रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं लोकल इंटेलीजेंस यूनिट यानि एलआईयू की। वीआईपी और सेंसेंटिव सिटी होने के नाते यहां एलआईयू टीम बढ़ाने की बात कौन कहे, साल दर साल टीम छोटी होती जा रही है। वैसे तो इस विभाग में टॉप टू बॉटम स्वीकृत स्टाफ स्ट्रेंथ 90 की है लेकिन मौजूदा समय में महज 36 लोग की इसकी बागडोर थामे हुए हैं।

वीआईपी ड्यूटी में उलझे

बनारस में वीआईपी मूवमेंट इधर पांच सालों में बहुत तेजी से बढ़ा है। 2014 में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के बाद से तो यहां डेली किसी न किसी वीआईपी का दौरा लगा ही रहता है। हाल यह है कि इनकी ड्यूटी में ही एलआईयू स्टाफ हांफ जा रहा है। पहले 90 लोग इस विभाग में काम करते थे लेकिन अभी 36 लोग ही हैं। उनमें से भी कई वीआईपी ड्यूटी में उलझे रहते हैं। ऐसे में वीआईपी ड्यूटी से लेकर खुफियागिरी करना और संवेदनशील इलाकों में बराबर बने रहना एलआईयू टीम के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। चार सालों से एलआईयू डिपार्टमेंट की स्टे्रंथ बढ़ाने के लिए फाइल बनारस से शासन तक दौड़ रही है लेकिन बढ़ाने को कौन कहे, टीम और घटती ही जा रही है।

बवाल की नहीं लगती भनक

स्टे्रंथ कम होने का ही परिणाम है कि शहर में अपराधिक घटनाओं से लेकर सुनियोजित घटनाओं की भनक एलआईयू को नहीं लग पाती है। ऊपर से वीआईपी लोगों की आवोभगत में मुस्तैद रहने प्रेशर अलग से है। जानकार लोगों की माने तो खुफिया इनपुट के लिए एलआईयू के लोग पब्लिक के बीच रह ही नहीं पाते। इससे खुफिया इनपुट के मामले में ये टीम कई बार फिसड्डी साबित हुई है। बीएचयू बवाल से लेकर शहर में कई स्थानों पर हो चुके साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं की भनक पाने में एलआईयू फेल साबित हुई है। वजह ये है कि इंस्पेक्टर से लेकर सब इंस्पेक्टर और सिपाही तक फील्ड से दूर हैं।

वेरीफिकेशन तक सीमित

ज्यादातर मामलों में एलआईयू टीम को घटनाओं की इन्फॉरमेशन नहीं मिल पाती है। इसलिए ये सिर्फ वीआईपी ड्यूटी, पासपोर्ट वेरीफिकेशन, जुलूस, रैली तक ही सीमित हैं। संवदेनशील इलाकों व मुहल्लों में भी एलआईयू के अब कदम नहीं पड़ते हैं। सिटी के होटल, लाज, गेस्ट हाउस से लेकर गंगा घाटों पर भी अब पहले की तरह एलआईयू के लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं। नेटवर्क के जरिये ही रिपोर्टिग करना इनकी मजबूरी है। सूत्रों की मानें तो ऊपर से भी काम के लिए आ जा रहे प्रेशर के चलते भी फुर्सत ही नहीं मिल पा रही है कि ये अपना मूल काम देख सकें।

एलआईयू वाराणसी टीम की स्ट्रेंथ

पद पहले अब

डीएसपी 01 01

इंस्पेक्टर 08 04

सब इंस्पेक्टर 26 10

हेड कांस्टेबल 25 10

कांस्टेबल 22 10

क्लर्कियल 06 01

Posted By: Inextlive