जमा राशि की सुस्त रफ्तार इंटरेस्‍ट रेट को लेकर रिजर्व बैंक की तरफ से अस्पष्ट संकेत और महंगाई से राहत मिलने के आसार कम. ये कुछ ऐसी वजहें हैं जो बैंकों को लोन की दरों में कटौती करने से रोक रही हैं.


सेंट्रल बैंक की तरफ से रेपो रेट में 0.25 परसेंट की कटौती करने के बावजूद कोई भी बैंक इसका फायदा तुरंत ग्राहकों को देने को तैयार नहीं है. सभी बैंकों ने कहा है कि वे अगले महीने अप्रैल के दौरान ही ब्याज दरों को घटाने पर डिसीजन करेंगे. रेपो रेट का मार्च में असर नहीं


बैंक ऑफ बड़ौदा के सीएमडी वीआर अय्यर का कहना है कि रेपो रेट में कमी का असर इस महीने तो सीधे कर्ज की दरों पर नहीं पड़ेगा. अगले महीने के मध्य तक ही ब्याज दरों को लेकर बैंक डिसीजन कर सकेंगे. इंडियन ओवरसीज बैंक के सीएमडी एम नरेंद्र के मुताबिक बेस रेट (जिससे कर्ज की दरें संबंधित होती हैं) में अभी कटौती की संभावना कम है. इसी तरह से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सीएमडी एमवी टंकसाले का कहना है कि रेपो रेट में कटौती से बैंकों की लागत तो कम होगी, लेकिन इसे ग्राहकों को देने के बारे में मार्च के बाद ही विचार होगा. RBI इंटरेस्ट रेट पर लेगा डिसीजन

जानकारों के मुताबिक, बैंक फिलहाल अप्रैल, 2013 में पेश होने वाली आरबीआइ की वार्षिक मौद्रिक नीति का इंतजार करेंगे. वे यह देखना चाहते हैं कि रिजर्व बैंक पूरे साल के लिए ब्याज दरों को लेकर क्या डिसीजन करता है. बैंकों पर अभी डिपॉजिट बढ़ाने का भी दबाव है, लेकिन वे जमा दरों में कोई बदलाव नहीं करना चाहते. जनवरी में रेपो रेट में 0.25 परसेंट की कटौती के बाद स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) सहित कई बैंकों ने कर्ज को सस्ता किया था.

Posted By: Garima Shukla