RANCHI : कोई उसे कर्नल पीके सिंह के नाम से जानता है तो कर्नलडीकेसिंह. रहस्यमयी शख्सियत वाला ये व्यक्ति आज पुलिस के लिए सर दर्द बन चुका है. ये एक ऑर्गनाइज्ड गैैंग का है सरगना. जितने मुंह उतने किस्से. सिटी की पुलिस उसके लिए गली-गली की खाक छान रही है.

कर्नल नहीं, लुटेरा कहिए
ऐसे कई बंदे जो अनइंप्लॉयड हैैं और आर्मी में जाना चाहते हैैं, उनके ख्वाबों का सौदा इस कर्नल सिंह ने किया। ठगे गए यूथ्स में लोहरदगा, गुमला और रांची के कई अनइंप्लॉयड यूथ शामिल हैैं। इन्हें मिलिट्री में बहाल करने को लेकर लाखों रुपए वसूले गए। फर्जी कर्नल बनकर ये शख्स मिलिट्री में बहाली के नाम पर कई लोगों को चूना लगाता रहा। मामले में आरोपी पहले जेल की सलाखों के पीछे भी जा चुका है। फर्जी कर्नल ने जिन लोगों से जॉब दिलाने के नाम पर पैसे लिए हैं, उन्होंने इस मामले में चुटिया थाना में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एक एप्लीकेशन दिया है। एप्लीकेशन देनेवालों में क्रमश: सूबेदार चैतू नायक, आरती साहू, डब्ल्यू साहू, हरि साहू, जयराम महतो, रविंद्र महतो, रविंद्र साहू, रवि कुमार टाइगर, कृष्णा कुमार समेत ठगी के कई युवक शामिल हैैं।

कर्नल की ड्रेस पहनता था ठग
पिछले दिनों पीडि़त आरती साहू और सूबेदार चैतू नायक ने चुटिया थाना प्रभारी कृष्णमुरारी से कॉन्टैक्ट किया। उन्हें बताया गया कि फर्जी युवक खुद को आर्मी का कर्नल बताता है। वह डीके सिंह और पीके सिंह के नाम से अपना इंट्रोडक्शन देता है। पीडि़त आरती साहू ने पुलिस को बताया कि तीन माह पहले फर्जी कर्नल ने उसके भाई रंजीत साहू से कॉन्टैक्ट किया था। कॉन्टैक्ट करने पर उसने आर्मी में जॉब लगा देने की बात कही थी। वह जब भी उससे मिलता था, तो कर्नल की ड्रेस पहन कर मिलता था। जिससे लोगों को लगे कि वह रियलिटी में सेना में कर्नल है। बाद में जब पीडि़तों ने मिलिट्री ऑफिस में पता लगाया तो पता चला कि डीके सिंह और पीके सिंह के नाम से यहां कोई कर्नल पोस्टेड नहीं है। छानबीन में यह बात सामने आई कि आरोपी का नाम कुछ और है। जब पीडि़तों ने उसके घर पर दबिश दी, तो वहां से वह फरार हो गया। उसके साथ एक और शख्स का नाम आया, जो इस गोरखधंधे में लिप्त है।

पीडि़त का भाई भी  चंगुल में
लोहरदगा के निगनी गांव की पीडि़त आरती ने पुलिस को बताया कि उसने मिलिट्री में जॉब दिलाने के नाम पर फर्जी कर्नल को 3.20 लाख रुपए दिए थे। जब काफी दिन हो गए और उसके भाई रंजीत की जॉब मिलिट्री में नहीं लगी, तो उसने रांची आकर ओवरब्रिज स्थित मिलिट्री ऑफिस मेंं कर्नल के द्वारा दिए गए
ज्वाइनिंग लेटर को दिखाया। उसे बताया गया कि फिलहाल मिलिट्री मेंं कोई बहाली नहीं हो रही है और सारे डॉक्यूमेंट्स जाली हैैं। इस पर आरती को पक्का शक हो गया कि वह ठगी जा चुकी है। एक दिन खुद फर्जी कर्नल ने आरती को फोन किया और कहा कि उसके भाई रंजीत की जॉब लग चुकी है। इसके बाद उसने उसे रांची बुलाया और तब से रंजीत लापता है।

रिश्तेदार को ही लगाया चूना
फर्जी कर्नल ने रंजीत साहू को ही लोहरदगा डिस्ट्रिक्ट का एजेंट बना डाला था। उसने रंजीत को लालच दिया कि यदि वह उसके साथ काम करे, तो उसके पैसे भी लौटा देगा और एक्स्ट्रा इनकम भी होगी। उसकी बातों में आकर रंजीत लोहरदगा में सबसे पैसा वसूली करने लगा। आरती ने बताया कि वह मार्च महीने में अपने भाई से मिली थी। अप्रैल महीने के बाद वह कहां और किस हाल में है, उसे पता नहीं है। उसने पुलिस अफसरों से भाई को सही सलामत बरामद करने की भी गुहार लगाई।

ऐसे बनाता है नेटवर्क
जब पुलिस ने पुराना केस खंगाला, तो पाया कि मिलिट्री में बहाली करने के लिए एक ऑर्गनाइज्ड रैकेट गिरोह है। यह गिरोह चिटफंड कंपनियों की तरह सुदूर ग्रामीण इलाकों में किराए पर घर लेता है। घर लेने के बाद वह लोकल आदमी को कमीशन के आधार पर काम पर रख लेता है। जब पूरे पैसे कलेक्ट कर लिए जाते हैैं, तो ऑफिस को बंद कर दिया जाता है। छानबीन में यह बात भी सामने आई है कि इस गैैंग का नेटवर्क रांची के नामकुम, ओवरब्रिज, पटना, दानापुर और रामगढ़ के इलाके तक फैला है। गैैंग के लोग खुद को आर्मी ऑफिसर बताकर अनइंप्लॉयड यूथ्स से पैसे ऐंठते हैैं और फरार हो जाते हैैं। ये गैैंग अनइंप्लॉयड यूथ को फांसने के लिए सिटी के नामी गिरामी होटलों और स्टेशन के समीप का इलाका चुनते हैं।


धमकी दी, तो एकाउंट में डाले 20 हजार
जानकारी के अनुसार सूबेदार चैतू नायक ने जब आरोपी को केस करने की धमकी दी, तो उसने उसके एकाउंट में 20 हजार रुपए तत्काल डाल दिए। जब चैतू नायक ने एसबीआई एटीएम में जाकर चेक किया, तो उनके खाते में 20 हजार रुपए डाले गए थे। शेष रकम दूसरे दिन डालने की बात कही गई। आरोपी ने यहां तक कह डाला कि केस नहीं करें। पैसे लौटा दिए जाएंगे।

Posted By: Inextlive