आप सत्य साईं बाबा के बारे में क्या जानते हैं? क्या आपको पता है कि गांव के एक लड़के से भगवान बनने तक सा सफर उन्होंने किस तरह पूरा किया?

सत्य साईं बाबा का लम्बी बीमारी के बाद संडे को पुट्टापर्थी के 'सत्य साईं बाबा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल' में निधन हो गया. उनके लाखों भक्त उन्हें भगवान अवतार के रूप में देखते थे. केवल 14 साल की उम्र में उन्होंने खुद को 'अवतार' घोषित कर दिया था और हिन्दू धर्म का उपदेश देना शुरू कर दिया था.

उनका जन्म 23 नवम्बर, 1926 को पुट्टापर्थी में सत्यनारायण राजू के रूप में हुआ था. उनकी दो बड़ी बहनों, एक बड़े भाई और एक छोटे भाई की मौत हो चुकी है. भाई-बहनों के कुछ बच्चे उनके ट्रस्ट से जुड़े हैं.

उनके फॉलोअर्स का कहना है कि 1940 में एक बिच्छू के काटने के बाद उन्होंने संस्कृत के श्लोक का उच्चारण शुरू कर दिया, जबकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.

इसके बाद दो माह के भीतर उन्होंने खुद को शिरडी के साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया, जिनके बारे में कहा जाता है कि 1918 में अपनी मौत से पहले उन्होंने अपने भक्तों से कहा था कि आठ साल बाद वह दोबारा मद्रास प्रेसीडेंसी में अवतरित होंगे.

इस बीच यह किशोर आध्यात्म की एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा. समय के साथ घने बाल और भगवा वस्त्र उनकी पहचान बन गए. हाथों से भभूत, शिवलिंग, घंटियां और गले का हार निकालने वाले चमत्कारिक गुणों के साथ-साथ वह सत्य साईं बाबा के रूप में प्रख्यात हो गए.


इसके बाद छोटा सा गांव पुट्टापर्थी धीरे-धीरे तीर्थस्थान के रूप में चर्चित हो गया, जिसका अपना रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट भी है.

आध्यात्मिक गुरु ने वर्ष 1944 में मंदिर बनवाया. चार साल बाद उन्होंने पुट्टापर्थी में प्रशांति निलायम (सर्वोच्च शांति का निवास स्थान) की स्थापना की. उन्होंने बेंगलुरू के बाहरी इलाके में व्हाइट फील्ड तथा तमिलनाडु के कोडैकनाल में भी आश्रम खोला और अनुयायियों को अपना मूल धर्म नहीं छोड़ने को कहा.

उनका उपदेश था, "मेरा उद्देश्य सनातन धर्म की स्थापना करना है, जो सभी धर्मों के संस्थापकों द्वारा इस स्वीकार्यता में यकीन करता है कि ईश्वर एक है." आज 130 देशों में उनके करोड़ों अनुयायी हैं.

बाबा ने पुट्टापर्थी के अनंतपुर जिले और चेन्नई में पेयजल योजना शुरू करने का श्रेय भी जाता है. उनके आश्रम में भोजन बेहद सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाता है और यह उन्हें भी दिया जाता है, जो उनके अनुयायी नहीं हैं.

वर्ष 2001 में उन्होंने शांति तथा सौहार्द का संदेश देने के लिए 'रेडियो साईं ग्लोबल हार्मोनी' नाम से डिजिटल रेडियो नेटवर्क शुरू किया. उनके करोड़ों फॉलोअर्स में देश दुनिया के बड़े नाम शामिल हैं.  

Posted By: Kushal Mishra