Luckno: आगे बिरयानी की दुकान और पीछे ट्वॉयलेट. गंदगी के बीच लोग बिरयानी का स्वाद चख रहे हैं. शहर में कई फूड जोन ऐसे हैं जो गंदगी के बीच ही चल रहे हैं. भीड़ भी अच्छी-खासी उमड़ रही है. लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है लेकिन नगर निगम को यहां की सैम्पलिंग का कोई ख्याल नहीं है. आज तक कभी भी रोड पर लगने वाले इन खान-पान के स्टॉल की सैम्पलिंग का ध्यान नहीं है. आई नेक्स्ट ने शहर के कई ऐसे फूड ज्वांइट्स पर नजर डाली तो सच्चाई सामने आई.


ट्वायलेट के पास लगे हैं ठेले

कृषि भवन के पास एक बड़ा फूड जोन है। यहां कई ऑफिस भी हैं। दोपहर करीब दो बजे के बाद से जो भीड़ उमडऩी शुरू होती है तो शाम तक खत्म नहीं होती। यहीं पर दयाल चैम्बर के पास नगर निगम का ट्वॉयलेट है। ट्वायलेट के एक तरफ लकड़ी का टट्टर लगा है तो दूसरी तरफ गंदगी। इसके बावजूद इसी के ठीक सामने पूड़ी की दुकान है। नालियों में चारों तरफ गंदगी है। सालों से सफाई नहीं हुई है। वजह है कि इन नालियों पर दुकानदारों का कब्जा है। केवल इतना ही नहीं यहां लोग खाने के बाद दोने रोड पर ही फेंक देते हैं.

सफाई का नहीं रहता है ध्यान

फन रिपब्लिक मॉल के पीछे तो और भी ज्यादा बुरा हाल है। यहां पर भी कतार से मोमो, पूड़ी-छोला, कढ़ी-चावल सहित कम से कम एक दर्जन से ज्यादा ठेले लगते हैं। बगल में ही कूड़े का ढेर लगा है। मक्खियां भिनभिना रही हैं और ऐसे माहौल में भी लोग यहां चाव से स्वाद चख रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि आम लोग यहां खाने आते हैं। यहां खाने वालों में हाई प्रोफाइल लोग भी शामिल हैं। पत्रकारपुरम चौराहे के पास भी कुछ ऐसा ही सीन नजर आया। दोपहर करीब दो बजे यहां लग्जरियस गाडिय़ों से ऑर्डर दे रहे थे। साथ में उनकी मैडम भी थीं। कोई छोला-भठूरा खा रहा था तो कोई चाउमिन का स्वाद चख रहा था। उनके पास यह देखने की भी फुर्सत नहीं थी कि वहां सफाई का कोई ध्यान रखा गया है। प्लेट और ग्लास ठीक से साफ कर रहे हैं या नहीं.

पुलिस करती है वसूली

कुछ दुकानदारों ने बताया कि पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी उनसे रोज का करीब 100 रुपये ले जाते हैं। आधी से ज्यादा कमाई तो यही कर्मचारी ले जाते हैं। ऐसे में सफाई का ख्याल कहां से आए। हमें तो इतना पता है कि बचत हो न हो पहले उन सरकारी कर्मचारियों का हिस्सा कमाना है। तब जाकर अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करना है। उन्होंने बताया कि ऐसे में जब वे खुद यहां से रुपया और मुफ्त का खाना लेकर जाते हैं तो सफाई का ध्यान कौन रखेगा.

नहीं होती है सैम्पलिंग

सैम्पलिंग के नाम पर केवल दिखावा ही किया जाता है। केवल त्योहार के समय पर फूड सैम्पलिंग की जाती है, वह भी मिठाई और खोया तक ही सीमित रहती है। रिपोर्ट आने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। लेकिन, स्ट्रीट फूड की तो सैम्पलिंग ही नहीं की जाती है.

लगता है जाम

इन स्ट्रीट फूड की दुकानों की वजह से ही चारों तरफ जाम लगा रहता है। श्रीराम टावर के पास तो दोपहर से शाम तक निकलना ही मुश्किल रहता है। नेहरू इन्क्लेव के पास तो सुअर लोटते रहते हैं.

मजबूरी में कर रहे हैं काम

श्रीराम टावर के पास पूड़ी का ठेला लगाए दुकानदार किशन ने बताया कि क्या करें, दुकान इतनी महंगी है कि ले नहीं सकते। गोरखपुर से यहां आए हैं। बीवी बच्चों का पेट पालना है। लिहाजा यही सोचा कि भीख मांगने से बेहतर है कि रोड पर ठेला लगा लें। हां, यह बात सही है कि रेस्टोरेंट में सफाई रहती है। हमारी भी कोशिश रहती है कि सफाई रहे लेकिन लोग भी जागरूक नहीं है.

क्‍या कहते है जानकार

सैम्पलिंग का काम सिटी मजिस्ट्रेट के अधीन है। नगर निगम की कोशिश रहती है कि सभी जगह सफाई रहे, लेकिन इसके लिए आम आदमी को जागरूक होना पड़ेगा। डा। पीके सिंह सिटी मजिस्ट्रेट, ये छोटे दुकानदार होते हैं। इनकी रोजी-रोटी इसी से चलती है। लेकिन, यदि कोई व्यक्ति इन वेंडर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए कि यहां घटिया खान-पान मिल रहा है तो अवश्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

पीपी पाल सिटी मजिस्ट्रेट

Posted By: Inextlive