रैन बसेरों में ताला, सड़कों पर बेसहारा
दावों के बावजूद भी रहने लायक नहीं रैन बसेरे
रैन बसेरों पर तैनात कर्मचारी भी रहते हैं गायब अक्सर सड़कों के किनारे ही सोने को मजबूर हैं गरीब Meerut। शहर के रैन बसेरों की हालत काफी दयनीय है। निगम के लाख दावों के बावजूद कहीं दरवाजा टूटा मिला तो कहीं गद्दे फटे थे और कंबल भी काफी गंदे थे। इसके अलावा रैन बसेरों के रखरखाव के लिए तैनात कर्मी भी मौके से गायब मिले। नौचंदी मैदान स्थित रैन बसेरे की हालत अधिक खराब मिली जबकि सूरजकुंड के रैन बसेरे पर स्थानीय लोगों की महफिल जमी थी। वही मेडिकल स्थित रैन बसेरे में ताला लटका था। इसके अलावा मेडिकल कालेज स्थित रैन बसेरे में तैनात कर्मी किसी को भी प्रवेश नही देता है। नहीं हैं सुविधाएंनियमानुसार रैन बसेरों में सफाई के लिए वाइपर, झाडू, मच्छरों से बचाव के लिए मॉर्टिन, बाल्टी, मग, रिकार्ड अंकित करने के लिए रजिस्टर और पैन, शौचालय, साबुन, फिनाइल आदि के साथ सर्दी व गर्मी में प्रयोग होने वाले बिस्तर और बिजली आदि की व्यवस्था होनी जरूरी है। किसी भी रैन बसेरे में जांच के दौरान निम्न स्तर के बिस्तर के अलावा कोई अन्य सुविधा नहीं मिली।
यहां हैं रैन बसेरेशहर में नगर निगम द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज के अंदर मौजूद बेसरा, दिल्ली-रुड़की बाइपास हाईवे भोले की झाल रोड पर, शेरगढ़ में, पल्लवपुरम, मुल्तान नगर मलियाना के सामने, कासमपुर कंकरखेड़ा, परतापुर गगोल रोड, बच्चा पार्क बिजली घर के पास, सूरजकुंड वाहन डिपो के पीछे, नौचंदी ग्राउंड पानी की टंकी के पास, टाउन हॉल में रैन बसेरा मौजूद है।
शहर को चाहिये 20 रैन बसेरे निगम ने फिलहाल 12 रैन बसेरे बनाये हैं। इनमें डूडा ने चार नए रैन बसेरे निर्मित किये हैं, लेकिन वे अभी जनता के लिए उपलब्ध नहीं हो सके हैं। निगम प्रशासन का कहना है कि शहर में कम से कम 20 रैन बसेरे चाहिये। जिसके लिए प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। जल्द ही सभी रैन बसेरे का औपचारिक निरीक्षण किया जाएगा। तथा वहां पर मिलने वाली सभी खामियों को दूर किया जाएगा। अली हसन कर्नी, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम