- लोहिया अस्पताल और इंस्टीट्यट के विलय होने के बाद खत्म हो सकती है मुफ्त इलाज की सुविधा

- सुविधाएं बेहतर होने के साथ कई गुना बढ़ सकती की कीमतें

- एक दो दिन में जारी होगी विलय की समय सीमा

-मैटरनिटी विंग जाएगा मातृ शिशु चिकित्सालय में

-गर्भवती महिलाओं को कई किमी। दूर जाकर मिलेगा इलाज

लोहिया अस्पताल

बेड -467

हर रोज 4 से 5 हजार की ओपीडी

- पर्चा 1 रुपए

- दवाएं सभी फ्री

- जांचे फ्री

- 95 डॉक्टर

- 200 पैरामेडिकल व नर्सिग स्टाफ

- 241 चतुर्थ श्रेणी स्टाफ

लोहिया इंस्टीट्यूट

- बेड-350

- पर्चा 100 रुपए

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW :

डॉ। राम मनोहर लोहिया अस्पताल का इंस्टीट्यूट में विलय होने का आदेश जारी हो चुका है। अब बस स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सा शिक्षा विभाग को हैंडओवर होने की समय सीमा भी एक दो दिन में फाइनल हो जाएगी। अस्पताल में मरीजों के लिऐ सुविधाएं तो बढ़ेंगी, लेकिन इसके लिए उन्हें जेब ज्यादा ढीली करनी होगी। मरीजों को एक रुपए पर्चे की जगह 250 रुपए का रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाना होगा। संस्थान के अधिकारी दरों को रिवाइज करने पर मंथन कर रहे हैं।

पिछले हफ्ते जारी हुआ आदेश

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पिछले हफ्ते आदेश जारी कर डॉ। राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय को चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन स्थानांतरित करते हुए उसका विलय डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के पालन यानी कि विलय की समय सीमा अगले एक दो दिन में तय हो जाएगी। विलय के बाद लोहिया इंस्टीट्यूट के पास बेड्स की संख्या बढ़ जाएगी। जिससे संस्थान की एमबीबीएस कोर्स की मान्यता पर कोई खतरा नहीं रहेगा। पीजी की सीटें भी बढ़ेंगी। जिससे अधिक डॉक्टर प्रदेश को हर वर्ष मिलेंगे।

100 रुपए होगा पर्चा

डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट के अधिकारियों की मानें तो अस्पताल में सभी प्रकार के मरीजों को अभी एक रुपए का पर्चा बनता है। विलय के बाद यह दरें 100 रुपए हो जाएंगी। जिससे मरीजों को अधिक जेब ढीली करनी होगी। सामान्य मरीजों को इलाज की सुविधाएं तो बेहतर होंगी, लेकिन कीमतों में तुरंत से कई गुना अधिक का इजाफा हो जाएगा।

आदेश के अनुसार ही शुल्क

डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक डॉ। दीपक मालवीय ने बताया कि मरीजों को सरकार के आदेशों के अनुसार शुल्क लिया जाएगा। सरकार पैसा देगी तो वर्तमान दरों पर इलाज दिया जाएगा अन्यथा इंस्टीट्यूट की दरे लागू होंगी।

ये सुविधाएं होंगी पेड

अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के तहत आता है। जहां पर पर्चा एक रुपए के बाद करीब सभी दवाएं नि:शुल्क हैं। बेड चार्ज भी नहीं पड़ता और सभी ब्लड टेस्ट से लेकर अल्ट्रासाउंड और एक्सरे भी नि:शुल्क होता है, लेकिन लोहिया इंस्टीट्यूट में इन सभी चीजों का शुल्क पड़ता है। दरों में दो गुने से लेकर 200 गुना तक बढ़ोत्तरी करने की तैयारी है। दवाएं जो अभी मुफ्त में मिलती हैं वह भी खरीदनी पड़ सकती है।

शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव

शासन के निर्देश पर लोहिया इंस्टीट्यूट अगले कुछ दिनों में विलय की प्रक्रिया की समय सीमा तय करते हुए इलाज का भी प्रस्ताव इसी हफ्ते शासन को भेजा जाएगा। जिसमें पेड और नि:शुल्क दोनों प्रकार के प्रस्ताव भेजे जाएंगे। यानी कि लोहिया इंस्टीट्यूट या एसजीपीजीआई की तरह सभी सेवाएं पेड होने का प्रस्ताव होगा और वर्तमान दरों यानी सब्सिडाइज्ड या नि:शुल्क का भी प्रस्ताव भेजा जा सकता है। इसके बाद शासन को निर्णय लेना है कि इलाज पहले की तरह नि:शुल्क होगा या कई गुना अधिक दाम वसूले जाएंगे। संस्थान के एक बड़े अधिकारी के अनुसार नि:शुल्क सुविधाएं देने के आसार कम ही हैं क्योंकि ऐसा होने पर अलग से बजट सरकार को देना होगा। ऐसा होने पर केजीएमयू, पीजीआई, सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों के अस्पताल भी नि:शुल्क इलाज की सुविधा के लिए अलग से बजट मांगेंगे। जिसे दे पाना सरकार के लिए फिलहाल आसान नहीं है।

रेफरल अस्पताल में जाएगा मैटरनिटी विंग

विलय के साथ ही मैटरनिटी विंग को सुल्तानपुर रोड के निकट शहीद पथ के किनारे बने मातृ शिशु रेफरल चिकित्सालय में स्थानांतरित करने की तैयारी है। यानि कि वर्तमान के लोहिया अस्तपाल में गर्भवती महिलाओं को इलाज की सुविधा पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। इमरजेंसी में जो भी केस आएंगे उन्हें रेफरल अस्पताल में भेज दिया जाएगा। फिलहाल मातृ शिशु चिकित्सालय में वर्तमान में केवल रेफर केसेज को ही लिया जाता है। जहां पर महिलाओं और बच्चों के लिए विश्वस्तरीय सेवाएं उपलब्ध हैं। लोहिया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो। दीपक मालवीय ने बताया कि एक ही जगह पर बेहतर सेवाएं दी जाएंगी। यहां पर अस्पताल का कोई फायदा नहीं है। इसकी जगह पर यहां दूसरे विभाग खोले जाएंगे। ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दी जा सकें। अभी लोहिया की मैटरनिटी विंग में 100 बेड का विभाग है। साथ में प्री मेच्योर बच्चों के लिए 12 बेड की एसएनसीयू और 12 बेड का एनआईसीयू की भी सुविधा है। विभाग में रोजाना 250 से 300 मरीज ओपीडी और करीब 70 से 75 मरीज इमरजेंसी में पहुंचती हैं।

सरकार पैसा देगी तो मरीजों को पहले की तरह ही नि:शुल्क या कम दरों पर इलाज किया जाएगा। अभी यह लंबी प्रक्रिया है। अगले एक दो दिनों में आगे की गाइडलाइन तय की जाएंगी।

- प्रो। दीपक मालवीय, निदेशक, लोहिया इंस्टीट्यूट

Posted By: Inextlive