ऐसे कानून जो प्रचलन में नहीं हैं और इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे उनको खत्म करने वाले निरस्त एवं संशोधन विधेयक को लोकसभा में बुधवार को मंजूरी दे दी गयी.


इस विधेयक में 35 कानूनों को निरस्त करने के साथ जन प्रतिनिधित्व, विवाह, चुनाव, तलाक, आनंद विवाह अधिनियम तथा गवाही कानून में संशोधन की बात कही गई है. सरकार का कहना है कि जल्द ही 741 पुराने कानूनों को हटा दिया जाएगा और दो साल में प्रचलन में नहीं रहने वाले सभी पुराने कानूनों (1,741) खत्म कर दिया जाएगा. लोकसभा में पास हुए विधेयक के माध्यम से विदेशी न्यायाधिकार अधिनियम 1947 और चीनी उद्यम (प्रबंधन अधिग्रहण) कानून तथा भारतीय मत्स्य अधिनियम को निरस्त करने की बात कही गई है. शुरुआत में सरकार 36 कानूनों को हटाने का प्रस्ताव लाई थी, लेकिन स्थायी समिति की टिप्पणी के बाद इंप्लायमेंट ऑफ मैनुअल स्कैविंज एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ ड्राई लैट्रीन (रोकधाम) अधिनियम, 1993 को इससे हटा लिया गया.
केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री सदानंद गौड़ा ने बताया, ‘नई सरकार ने यह शुरुआती कदम उठाया है. हम एक या दो वर्षों की अवधि में इन्हें कानून की किताबों से हटा देंगे.’ विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गौड़ा ने कहा कि कई कानून ऐसे हैं, जो पुराने हैं और प्रचलन में नहीं हैं. इस विधेयक के जरिये ऐसे ही अप्रचलित कानून को समाप्त करने की पहल की गई है.


इस विधेयक के माध्यम से व्हिसिलब्लोअर विधेयक पारित करते समय विधि मंत्रालय की ओर से हुई त्रुटि को भी सुधारा गया है. इसमें वर्ष में सुधार करते हुए 2011 के स्थान पर 2014 किया गया है.

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Posted By: Molly Seth