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PATNA: दैनिक जागरण डॉक्यूमेंट्री सीरीज में आज आपका परिचय कराने जा रहे हैं पटना के ऐतिहासिक पीपल के पेड़ से. पटना म्यूजियम में लगे इस वृक्ष की पूजा अर्चना म्यूजियम देखने वाले पर्यटक भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां जल चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जिस वजह से यहां पर लोगों ने मंदिर निमार्ण कर पूजा अर्चना प्रति दिन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पेड़ के तीन बार चक्कर लगाने से लोगों की सभी परेशानी दूर होती है.

परिक्रमा करने से मिलता है सुख

पीपल को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है. माना जाता है कि इस वृक्ष के पास दिव्य चेतना होती है. गीता में श्रीकृष्ण तो यहां तक कहते हैं कि समस्त वृक्षों में पीपल का वृक्ष उन्हीं का स्वरुप है. पंडित अखिलेश्वर झा की माने तो लोकजीवन में व्याप्त प्रचलन भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि देवी-देवताओं को मनाने या पूजने के लिए भी लोग पीपल के पास ही जाते हैं. पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने से दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य का विनाश होता है. पीपल के दर्शन और पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है.

पेड़ को वैज्ञानिक ढंग से सहेजा जा रहा

लगभग 100 साल पुराने पीपल के इस वृक्ष की देखरेख कला संस्कृति विभाग की ओर से की जाती है. पीपल वृक्ष को कीटाणु से बचाने के लिए वैज्ञानिक ढ़ंग से छिड़काव इसके जड़ में समय-समय पर किया जाता है. इसकी हवा स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभदायक है.

Posted By: Manish Kumar