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PATNA: पीडि़ताओं को मदद करने वाले महिला हेल्पलाइन को खुद हेल्प चाहिए. हेल्पलाइन की आर्थिक स्थिति दयनीय है. कर्मचारियों की मानें तो 14 महीने से ऑफिस खर्च की राशि हेल्पलाइन को उपलब्ध नहीं करवाई गयी है. हेल्पलाइन में आने वाली पीडि़ताओं को खुद से ही आवेदन के लिए लगने वाले कागज, फाइल और अन्य खर्च करने पड़ते हैं. इतना ही नहीं, महिला हेल्पलाइन में अगर कोई पीडि़ता

भूखी-प्यासी पहुंचती हैं तो भी उसे खुद ही व्यवस्था करनी पड़ती है.

कर्मियों की आर्थिक स्थिति दयनीय

हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक, काउंसलर समेत जूनियर कर्मियों को भी 14 महीने से वेतन नहीं मिला है. कर्मियों का कहना है कि बिना वेतन लगातार काम करने से परेशानी हो रही है. पीडि़ताओं की इतनी संख्या होती है कि उनकी समस्याएं दूर करने में लगे रहते हैं.

पीडि़त महिलाओं की संख्या अधिक

महिला हेल्पलाइन में प्रतिदिन चार से पांच मामले दर्ज होते हैं. पीडि़ता दूर से अपनी फरियाद लेकर पहुंचती हैं. इसके साथ ही कई मामले फोन पर भी दर्ज किए जाते हैं. कोर्ट की ओर से घरेलू हिंसा जांच संबंधी मामले भी हेल्पलाइन में आते है. ऐसे में महिला हेल्पलाइन के प्रति निगम और जिला प्रशासन की लापरवाही से कई सवाल उठ रहे हैं.

क्या है नियम

समाज कल्याण विभाग के महिला विकास निगम की तरफ से हेल्पलाइन का संचालन किया जाता है. इसमें पीडि़ताओं को घरेलू हिंसा सहित अन्य सभी मामलों का निपटारा किया जाता है. साथ ही पीडि़ता को तत्काल आसरा देने के लिए शॉर्ट स्टे होम और खाने की व्यवस्था भी की जाती है. अगर महिला घर जाना चाहती हैं और उसके पास पैसे नहीं हो तो कर्मी वह भी कार्यालय से देंगे. इन सारी चीजों के लिए हेल्पलाइन को अलग से राशि दी जाती है.

हेल्पलाइन को राशि उपलब्ध करवाने के लिए डीएम को लेटर भेजा गया है. एक हफ्ते में भुगतान कर दिया जाएगा.

-रुपेश कुमार, परियोजना प्रबंधक, महिला विकास निगम

Posted By: Manish Kumar