इंटर में रिकार्ड स्टूडेंट्स पास होने के बाद भी डिग्री कॉलेजों की सीटें खाली
- कई बड़े एडेड डिग्री कॉलेजों में यूजी कोर्सेस में नहीं मिल रहे स्टूडेंट्स
- पहली बार राजधानी के डिग्री कॉलेजों में में 20 से 25 प्रतिशत तक सीटें खाली रहने की उम्मीदेंएडमिशन के लिए आवेदन किया
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LUCKNOW : राजधानी में इंटरमीडिएट के रिजल्ट में बड़ी संख्या में बच्चों ने सफलता हासिल की थी, लेकिन इसके बावजूद शहर के डिग्री कॉलेजों के यूजी में एडमिशन की रफ्तार काफी धीमी है। जिससे यह साफ पता चलता है कि स्टूडेंट्स का शहर के डिग्री कॉलेजों से मोह भंग हो रहा है। इतना ही नहीं अधिकांश एडेड कॉलेजों में सीटों के सापेक्ष पर्याप्त स्टूडेंट्स ने एडमिशन के लिए आवेदन ही नहीं किया है। वहीं लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए होनहारों ने काफी दिलचस्पी दिखाई है। एलयू में करीब 37 सौ से अधिक सीटों के लिए 28 हजार स्टूडेंट्स ने एडमिशन के लिए आवेदन किया है।
घट गई आवेदन की संख्या
एडेड डिग्री कॉलेजों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो अभी तक आए आवेदन के आधार पर 70 से 80 प्रतिशत ही सीटें भर पा रही हैं। यानी कॉलेजों में 20 फीसदी सीटें अब भी खाली रहने की उम्मीद है। डिग्री कॉलेजों में इस वर्ष स्टूडेंट्स के पंजीकरण बीते साल के सापेक्ष कम हैं। बीते साल डिग्री कॉलेजों में करीब एक लाख 20 हजार के आसपास आवेदन आए थे। इस बार यह संख्या 80 हजार के आसपास ही है। वहीं दूसरी ओर सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में ट्रेडिशनल कोर्स में भी छात्र नहीं हैं। यह स्थिति तब है जब इस साल राजधानी सहित आसपास के जिलों में इंटर में पास होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या दो लाख से ज्यादा है, लेकिन इससे यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजों की 53 हजार के आसपास की सीटें भरना मुश्किल हो रहा है। एडेड कॉलेजों और सेल्फ फाइनेंस की 36 हजार सीटों पर भी अभी छात्र नहीं मिल रहे।
लखनऊ मंडल के जिलों में इस वर्ष इंटर में सीबीएसई, आईएससी और यूपी बोर्ड में कुल दो लाख से अधिक स्टूडेंट पास हुए थे। अकेले यूपी बोर्ड में पास होने वाले छात्रों की संख्या एक लाख 15 हजार के आसपास थी। जबकि सीबीएसई में इस साल मंडल के सभी जिलों को मिलाकर 22 हजार और आईएससी में करीब 16 हजार स्टूडेंट पास हुए। वर्ष 2016 की तुलना में 2017 में इन नौ जिलों में इंटर पास छात्रों की संख्या करीब 20 हजार कम रही। लखनऊ में एडेड कॉलेज कोर्स वाइस एडमिशन की डिटेल
कोर्स सीट रजिस्ट्रेशन
बीए 9956 18723बीकॉम 4320 21174बीएससी 5035 14610कुल 19311 54507 शहर के बड़े एडेड कॉलेजों का हालकॉलेज कोर्स सीट पंजीकरणकालीचरण कॉलेज बीए 500 700बीकॉम 120 500महिला पीजी कॉलेज बीए 960 900बीकॉम 160 600बीएससी 630 760नारी शिक्षा निकेतन बीए 560 750बीकॉम 80 210बीएससी 100 250डीएवी कॉलेज बीए 500 700बीकॉम 385 560नेताजी सुभाष चंद्र बोस बीए 410 300बीकॉम 100 400बीएससी 100 280बीते दो वषरें में राजधानी में खाली सीटों का हाल
कोर्स 2016 2017बीए 2302 3580बीकॉम 3900 2000बीएससी 3232 2557 कॉलेजों में सीटों की स्थिति कॉलेज बीए बीकॉम बीएससीनेशनल पीजी कॉलेज 440 440 300क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज 460 440 700केकेसी पीजी कॉलेज 1080 1080 840केकेवी डिग्री कॉलेज 700 240 700कालीचरण पीजी कॉलेज 500 120 ---शिया पीजी कॉलेज 1046 1020 670महिला पीजी कॉलेज 960 160 630अवध गर्ल्स कॉलेज 400 240 ---नेताजी सुभाष चंद्र बोस 410 100 100डीएवी कॉलेज 500 --- 385एपी सेन गर्ल्स कॉलेज 475 80 ---मुमताज डिग्री कॉलेज 650 60 240नारी शिक्षा निकेतन 560 80 100नवयुग कन्या डिग्री कॉलेज 700 240 190करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज 1075 60 180
प्राइवेट स्कूल का बच्चा नहीं जा रहा सरकारी मेंकरियर काउंसलर प्रो। विशाल सक्सेना का कहना है कि आज प्राइवेट कॉलेजों के स्टूडेंट्स सरकारी कॉलेजों को ज्यादा तवज्जों नहीं दे रहे। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स शुरू से ही कंप्टीशन के लिए तैयारी करता है। हमारे सरकारी कॉलेजों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। वहां न तो बेहतर फैकेल्टी और न ही बेहतर माहौल है जो स्टूडेंट्स को अपने ओर खीच सके। ऐसे में स्टूडेंट्स बाहर की ओर रूख कर रहे हैं। मौजूदा समय में राजधानी में इंटरमीडिएट पास करने वाले 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स दूसरे शहरों और स्टेट का रूख कर रहे हैं।आज बच्चों के पास बहुत से विकल्प
छात्रों के पास अब बहुत सारे विकल्प हैं। प्राइवेट यूनिवर्सिटी में छात्र प्रवेश ले रहे हैं। इस क्षेत्र में कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं। साइंस में अभी भी छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं। कॉमर्स में छात्र सीए की तैयारी में जुट जाते हैं। वहां रेगुलर एडमिशन की अनुमति नहीं है। ऐसे में ये छात्र प्राइवेट से बीकॉम करते हैं। बीए में भी प्राइवेट छात्रों की संख्या बढ़ रही है। चूंकि कॉलेज में 75 फीसदी हाजिरी अनिवार्य है, ऐसे में ये छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने को रेगुलर के बजाय प्राइवेट को चुनते हैं। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में छात्राएं अपने क्षेत्र के करीब के कॉलेज में प्रवेश को वरीयता देती हैं। यही वजह है छात्रों पर जो दबाव पहले होता था वह नहीं आ रहा है। यही कारण है कि कुछ बड़े डिग्री कॉलेजों को छोड़ दे तो सभी को सीटें भरने के लिए प्रॉब्लम हो रही है। प्रो। मौलेंदु मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष फुफोक्टा ट्रेडिशलन कोर्स से छात्रों का मोहभंग
जो आउटस्टेंडिंग स्टूडेंट हैं वे दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में विभिन्न कोर्स में प्रवेश ले रहे हैं। यहां मध्यम श्रेणी का स्टूडेंट रह जाता है, लेकिन बच्चों के मन में यह भावना पैदा हुई कि बीए, बीकॉम या बीटेक करके भी क्या कर लेंगे। नौकरी की गारंटी नहीं है। छात्रों का कहना है कि जब सरकार ही रोजगार का मतलब नौकरी नहीं मानती तो फिर वे अपने रोजगार पर ध्यान दें। दूसरा कारण ट्रेडिशनल कोर्स का रोजगार से न जुड़ पाना है। बीए, बीकॉम, बीएससी करने के बाद छात्र को जॉब नहीं मिल रही है। ऐसे में स्टूडेंट स्किल डवलपमेंट पर जोर दे रहे हैं। यही वजह है कि ट्रेडिशलन कोर्स से छात्रों का मोहभंग हो रहा है।प्रो। एसपी सिंह, वीसी, एलयू