- मैगी में खतरनाक इनग्रेडिएंट्स की मौजूदगी से इसके इस्तेमाल को लेकर असमंजस बरकरार

- शहर में कलेक्ट सैम्पल्स को जांच के लिए भेजा गया लखनऊ टेस्टिंग लैब, रिपोर्ट का इंतजार

- फूड सेफ्टी ऑफिसर्स का दावा- जांच करवा लिया जाए तो बाकी फास्ट फूड में भी पूरे नहीं मानक

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KANPUR : क्या मैगी वाकई सेहत के लिए खतरनाक है? क्या इस पर बैन भी लग सकता है? बच्चों को खिलाऊं या नहीं? जब से मैगी नूडल्स में हानिकारक तत्वों के मिलावट की पुष्टि हुई है, हर मां-बाप के मन में यही सवाल उमड़ रहे हैं। लखनऊ के बाद आगरा और फिर कानपुर में भी मैगी के नमूने भरे जाने से मैगी की विश्वसनीयता आशंकाओं व सवालों के घेरे में आ चुकी है। फूड एक्सप‌र्ट्स के अनुसार छापेमारी तो एक 'बैच विशेष' (मार्च-2014) के मद्देनजर की गई है। मगर, गलत ढंग से मैगी पकाकर खाना भी शरीर के लिए हानिकारक होता है। यही नहीं मैगी के अलावा पिज्जा, बर्गर समेत रेडी टू कुक फूड, अदर फास्ट फूड आइटम्स भी मानकों पर सौ फीसदी खरे नहीं उतरते।

एमएसजी की मात्रा ज्यादा

मैगी में एमएमजी डालने से उसका स्वाद बढ़ जाता है। इसे फ्लेवर एनहेंसर भी कहा जाता है। मानक के हिसाब से इसकी मात्रा 0.01 से 2.5 के बीच होनी चाहिए। मगर, मार्च-2014 में मैगी के पैकेट्स में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम (पा‌र्ट्स पर मिलियन) पाई गई, जोकि मानक से काफी अधिक है। यह तय मानक से करीब सात गुना अधिक है। अमेरिका के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने जब इस बात की पुष्टि की तो हड़कंप मच गया। तब मैगी ने दुनिया के विभिन्न देशों में मार्च-2014 बैच नंबर वाले सभी प्रोडक्ट्स मार्केट से री-कॉल कर लिए। मगर, इंडिया में कुछ जगहों पर यह अब भी बिक रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब बाराबंकी में एफडीए की टीम ने छापा मारकर सैम्पल भरे। जांच में जब सैम्पल फेल निकले तो अन्य शहरों में भी चेकिंग और छापेमारी अभियान शुरू हो गया है।

यहां भी भरे नमूने, अब रिपोर्ट का इंतजार

सब-स्टैंडर्ड कंटेंट की मिलावट के शक में कानपुर में भी पिछले दिनों मैगी के डिस्ट्रिब्यूटर के आउटलेट पर छापेमारी के दौरान कुल पांच नमूने भरे गए थे। सभी सैम्पल्स को जांच के लिए लखनऊ टेस्टिंग लैब भेजा जा चुका है। हालांकि, अब तक लखनऊ लैब से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया है। फूड सेफ्टी विभाग के डेजिगनेटेड ऑफिसर एसएच आबिदी ने बताया कि जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। अगर हेडऑफिस से बिक्री पर रोक लगाने के आदेश मिलते हैं तो उसे भी प्रभावी रूप से लागू करवाया जाएगा।

तो नप जाएंगे सारे फास्ट फूड

यूं तो मार्केट में तरह-तरह के फास्ट फूड बिक रहे हैं। मगर, निशाने पर मैगी आ गई। एफडीए विभाग के एक आला अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मैगी तो महज एक प्रोडक्ट है। अगर दूसरे फास्ट फूड को टेस्टिंग के लिए लखनऊ लैब भेज दिया जाए तो वह भी मानकों पर खरे नहीं उतरते। कुछ अहम ब्रांड्स का नाम लेते हुए उन्होंने बताया कि कानपुर में भी इन सब कम्पनियों के आउटलेट्स हैं, जहां रोजाना लोग फैमिली संग हैंगआउट को जाते हैं। मगर, उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।

नेस्ले ने वापस मंगाए मैगी नूडल्स

नेस्ले इंडिया ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा था कि नूडल्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट नहीं मिलाते हैं। हम जो रॉ मटेरियल मिलाते हैं उसमें नेचुरल ग्लूटामेट हो सकता है, जिसके बारे में कामर्शियली प्रोड्यूज्ड एमएसजी का भ्रम पैदा हो गया। ग्लूटामेट सुरक्षित है और यह हर दिन यूज की जाने वाली हाई प्रोटीन वाली चीजों जैसे टमाटर, पनीर, प्याज, दूध, मटर जैसी चीजों में पाया जाता है।

क्या है मोनोसोडियम ग्लूटामेट

एमएमजी एक प्रकार की अमीनो एसिड है जो नेचुरली एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। इसका प्रयोग पैकेज्ड फूड का फ्लेवर बढ़ाने के लिए कृत्रिम तौर पर होता है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक इस तरह के केमिकल्स हेल्थ, खासतौर पर बच्चों के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। फूड सेफ्टी रेगुलेशंस कंपनियों को पैकेजिंग पर यह उल्लेख करने का भी निर्देश देती है कि उन्होंने एमएमसी का यूज किया है।

रिपोर्ट आने तक तो कंज्यूम हो गया मैगी

जिस रिपोर्ट के आधार पर अब एफएसडीए के अधिकारी मैगी को अनसेफ बता रहे हैं और मार्केट से वापस लेने के आदेश दिए हैं। वह मार्केट से घरों तक पहुंच गया और लोगों के शरीर में भी हानिकारक तत्व पहुंच गए। जिस सैंपल की जांच की गई वह मार्च 2014 का था। अब एक साल दो माह बाद उसकी जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ। अब जब अधिकारी कार्रवाई की बात कर रहे हैं तो मार्केट में उस बैच का मैगी है ही नहीं। बताते चलें लेड हमारी बॉडी में तय मात्रा से अधिक जाने पर लेड प्वॉयजिंग की समस्या हो जाती है। जिसमें लर्निग एंड बिहेवियरल डिस्आडर्स, पेट में दर्द, हेडेक, एनीमिया, झटके आना, कोमा और डेथ होने की समस्या हो सकती है।

पकाने का तरीका भी जान लीजिए, काम आएगा -

जिस 'एमएसजी' को लेकर इतना हो-हल्ला मचा है। अब जरा उसकी हकीकत भी समझ लीजिए। गलत तरीके से मैगी को पकाने पर यह इनग्रेडिएंट बेहद टॉक्सिक (विषैला) हो जाता है। फूड एक्सप‌र्ट्स की मानें तो यह सबकुछ 2 से 3 मिनट में मैगी पकाने के चक्कर में होता है। हकीकत में मैगी नूडल्स को जिस तरह से पकाया जाना चाहिए, लोग वैसा करते नहीं।

गलत तरीका -

ø एक बर्तन में पानी भरकर चूल्हे पर तेज आंच में गर्म होने के लिए चढ़ा दिया जाता है।

ø फिर मैगी नूडल्स को तोड़कर बर्तन में डालकर उबाला जाता है।

ø मसाले का पैकेट फाड़ा और थोड़ा सा उबाल आया नहीं कि हो गई मैगी तैयार

ø फूड सेफ्टी ऑफिसर्स के अनुसार लोगों से कुकिंग प्रॉसेस समझने में यहीं पर चूक हो जाती है।

ø इस सिचुएशन में नूडल्स अच्छी तरह पक नहीं पाते और एमएसजी इनग्रेडिएंट विषैले तत्व में कन्वर्ट होकर ह्यूमन बॉडी को नुकसान पहुंचाता है।

सही तरीका -

ø बर्तन में पानी भरिए और उसे मीडियम आंच में उबलने के लिए छोड़ दें।

ø जैसे ही पानी उबलने को हो, उसमें मैगी नूडल्स डाल दें। करीब एक से डेढ़ मिनट तक नूडल्स उबलने के लिए छोड़ दें।

ø मीडियम आंच में पकने से मैगी नूडल्स अंदर तक सॉफ्ट हो जाएंगे। वरना जल्दबाजी में अंदर का हिस्सा कच्चा ही रह जाता है।

ø अब मसाले का पैकेट फाड़ें और उसे ब्वॉयल हो रहे नूडल्स में मिक्स कर दें।

ø बर्तन का पानी जब सूखने लगे तो गैस का बर्नर बंद कर दें।

ø इस पूरे प्रॉसेस में 5-7 मिनट तक का समय लग सकता है। यह मत सोचें कि कम्पनी तो 2 में कहती है, लेकिन मुझे 5 या 7 मिनट लग गए।

फूड इंडस्ट्रीज ने दिया नया नाम -

मोनो सोडियम ग्लूटामेट यानि एमएसजी के नाम पर कम्पनियां लगातार मानकों की अनदेखी कर रही हैं। फूड विभाग का शिकंजा कसने के बाद फूड इंडस्ट्रीज ने इन्हें नया नाम दे दिया है। आप भी जानिए अब एमएसजी को किन-किन नामों से जाना और पहचाना जा सकता है।

- ऑटोलाइज्ड यीस्ट

- यीस्ट एक्सट्रैक्ट

- माल्टो डैक्सट्रिन

- हाइड्रोलाइज्ड प्रोटीन

- सोडियम कैरीनोट

- मोनो पोटैशियम

- ग्लूकामेट एंड टैक्सचर्ड प्रोटीन

एमएसजी के साइड एफेक्ट -

किसी भी फास्ट फूड या स्नैक्स में एमएसजी की मात्रा अगर शरीर में मानक से अधिक पहुंच जाती है तो खाने वाले व्यक्ति के शरीर पर काफी साइड एफेक्ट होता है। उदाहरण के लिए -

- स्किन रैशेज

- खुजली

- शीत पित्त (हाइव)

- उल्टी आने की शिकायत

- माइग्रेन

- सिरदर्द

- अस्थमा

- हार्ट रिलेटेड डिजीज

- डिप्रेशन

- दौरे आना

ø जिस बैच के सैंपल अनसेफ मिले थे उन्हें मार्केट से हटाने के आदेश दिए गए हैं। मामले में प्रदेश भर में सैंपल लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं। इनकी रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

- राम अरज मौर्य, एडिशनल कमिश्नर, एफएसडीए

ø एमएमजी के अधिक प्रयोग से हेडेक, पसीना आना, बॉडी में जलन और उल्टी के साथ कमजोरी भी हो सकती है। लांग टर्म में इसके बॉडी में पहुंचने पर नर्वस सिस्टम पर बुरा इफेक्ट डालता है। इसके कारण बीपी भी बढ़ सकता है और जो लोग पहले से ही हाइपरटेंशन के शिकार हैं उनके लिए समस्या और हो सकती है। इसके कारण सूजन, पानी की कमी और अचानक वजन बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है।

- डॉ। डी हिमांशु, सीनियर फिजीशियन, केजीएमयू

ø कानपुर और कन्नौज में मैगी आउटलेट्स पर छापा मारकर नमूने भरकर जांच के लिए भिजवा दिया गया है। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। अगर हेडऑफिस से मैगी की बिक्री पर बैन लगाने संबंधी आदेश मिलता है तो उसे प्रभावी तौर पर लागू करवाया जाएगा।

- एसएच आबिदी, डीओ, फूड सेफ्टी एंड ड्रग अथॉरिटी

Posted By: Inextlive