माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के रूप में प्रसिद्ध है यह 04 फरवरी को है। इस पवित्र तिथि में मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।

माघ मास 21 जनवरी 2019 को प्रातः 10:46 बजे से 19 फरवरी 2019 तक है। इसे भगवान की कृपा प्राप्ति का मास भी कहा जाता है। पद्मपुराण के अनुसार, भगवान विष्णु दान व तपस्या से इतने प्रसन्न नहीं होते, जितना माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान मात्र से होते हैं।

माघ मास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहां कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है। इस मास की प्रत्येक तिथि पर्व है। इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवत पूजा अत्यन्त फलदायी होती है। आइए जानते हैं इस मास के प्रमुख व्रत एवं स्नान के बारे में—

1. माघ कृष्ण एकादशी: स्नान से मोक्ष और दान से दरिद्रता का नाश 

शास्त्रों में षट्तिला एकादशी का विशेष महत्व है, यह 31 जनवरी को है। इस दिन काले तिल को जल में मिलाकर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सबसे खास महत्व किसी पवित्र नदी में स्नान करने का है। साथ ही इस दिन दान का भी अधिक महत्व है। इस दिन गरीबों को दान करने से दरिद्रता का नाश होता है।

इस दिन 6 प्रकार के तिलों का उपयोग किया जाता है - तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल का पान, तिल का भोजन और तिल का दान। इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा महत्व है। ये 6 कर्म पाप का नाश करने वाले होते है।

2. मौनी अमावस्या- बन रहा है सर्वाथ सिद्ध योग


माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के रूप में प्रसिद्ध है, यह 04 फरवरी को है। इस पवित्र तिथि में मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।

इस बार माघ मास के त्योहार एवं स्नान की तिथियों में माघी अमावस्या का खास महत्व है। इस दिन सोमवार को श्रवण नक्षत्र में बनने वाले सिद्धियोग में सर्वाथ सिद्ध योग प्रातः 07:08 बजे से अगले दिन प्रातः 06:01 बजे तक, सिद्ध योग एवं अमृत योग प्रातः 07:08 बजे से रात्रि 02:33 बजे तक रहेगा।

3. उमा चतुर्थी: सफेद फूलों से पूजन का विशेष महत्व

माघ शुक्ल चतुर्थी को ही उमा चतुर्थी कहा जाता है जो इस बार 09 फरवरी को है। इस दिन पुरुषों और विशेष रूप से स्त्रियों द्वारा सफेद रंग के फूलों तथा कुछ अन्य फूलों से देवी उमा का पूजन किया जाता है। पूजन के साथ ही उनको गुण, लवण तथा जौ भी समर्पित किया जाता है। व्रती को सधवा महिलाओं, ब्राह्मणों तथा गाय का सम्मान करना चाहिए। इस दिन उत्तरा भाद्र पद नक्षत्र के सिद्धयोग में बनने वाला सिद्ध योग प्रातः 07:05 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक विशेष रहेगा। 

4. बसंत पंचमी

इस दिन विद्या एवं बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा होती है, जो इस बार 10 फरवरी को है। इस दिन पवित्र जल से स्नान होने के बाद माता सरस्वती को केसरिया चावल का घोप लगाने के विशेष फल मिलता है। इस दिन पंचमी तिथि के साथ अमृत योग प्रातः 07:04 बजे से दोपहर 02:09 बजे तक एवं सर्वाथ सिद्ध योग का भी शुभ समय रहेगा। 

5. अचला सप्तमी: व्रत से बैकुण्ठ की प्राप्ति


अचला सप्तमी को माघ शुक्ल सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, इस बार यह 12 फरवरी को है। इस सप्तमी को व्रती अपने व्रत का अनुष्ठान करते हैं। इसमें सूर्योदय से पूर्व मनुष्य को अपने सिर पर 7 बरगद वृक्ष के पत्ते और 7 आर्क के वृक्ष के पत्ते रखकर किसी नदी अथवा गंगा जी में स्नान करना चाहिए। उसके बाद जल में 7 बरगद के फल, 7 आर्क के पत्ते, चावल, तिल, दूर्बा में चन्दन मिलाकर सूर्य को अध्र्य देना चाहिए। उसके बाद सप्तमी को देवी मानते हुए प्रणाम करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को स्नान-दान और पितरों का तर्पण करने से बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से साल भर किए गए रविवार के व्रत के बराबर फल मिलता है।

6. जया एकादशी

इस दिन को भीष्म एकादशी भी कहा जाता है, यह इस बार 16 फरवरी को है। इस दिन सूर्यास्त के समय तुलसी के पास दीपक जलाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन प्रीति योग में अमृत योग का प्रातः 06:59 बजे से पूर्वाह्न 11:02 बजे तक अमृत योग के साथ त्रिपुष्कर योग का भी विशेष सहयोग रहेगा।

7. माघ कृष्ण द्वादशी: तिल के दान का विशेष महत्व

इस दिन माघ कृष्ण द्वादशी के साथ प्रदोष व्रत (शुक्ल) का भी विशेष सहयोग रहेगा, यह 17 फरवरी को है। इस दिन आयुषमान योग में सर्वाथ सिद्ध योग, सिद्ध योग, त्रिपुष्कर योग के साथ विशेष रूप से रवि पुष्प योग का भी शुभ रहेगा।

इस दिन यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हे पृथ्वी पर लाकर खेतों पर बोया, तभी से देवताओं ने भगवान विष्णु को तिलों का स्वामी बनाया। इस दिन तिल के दान का विशेष महत्व है।

8. पूर्णिमा: दान से शुभ फल की प्राप्ति

19 फरवरी को इस दिन माघ स्नान समाप्त होगा। इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद गरीबों को दान करने से अत्यन्त शुभ फल की प्राप्ति होती है।  

- ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा

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Posted By: Kartikeya Tiwari