-अपरान्ह 04:29 बजे तक रहेगी त्रियोदशी तिथि, फिर पूरी रात रहेगी चतुर्दशी

महानिशीथ काल-4 मार्च को रात्रि 11:47 बजे से 5 मार्च को रात्रि 12:37 बजे तक

पूजा प्रथम पहर की सायं 06:09 बजे

पूजा द्वितीय पहर की रात्रि 09:14 बजे

पूजा तृतीय पहर की रात्रि 12:15 बजे (5 मार्च)

पूजा चतुर्थ पहर की प्रात: 03:37 बजे (5 मार्च)

BAREILLY: फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि इस बार 4 मार्च सोमवार को मनाई जाएगी। सोमवार को श्रवण, धनिष्ठा नक्षत्र में महाशिव रात्रि का होना अधिक शुभ है। यह दिन चन्द्र दोष निवारण के साथ काल सर्प दोष निवारण के लिए भी अति उत्तम है।

शिव रात्रि का क्या है अर्थ
बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा का कहना है कि फाल्गुन मास की त्रयोदशी को भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे। इसलिए इसे महा शिवरात्रि कहा जाता है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप होते है। अत: इसी समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिव रूपी सूर्य के साथ योग मिलन होता है। चर्तुदशी तिथि को शिव पूजा करने से जीव को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसमें जया त्रयोदशी का योग अधिक फलदायी होता है।

व्रत विधान
इस दिन प्रात: काल स्नान ध्यान से निवृत होकर व्रत रखना चाहिए और पत्र, पुष्प तथा सुन्दर वस्त्रों से मण्डप तैयार करके कलश की स्थापना के साथ-साथ गौरी शंकर की मूर्ति एवं नन्दी की मूर्ति रखनी चाहिए। कलश को जल भरकर रोली, मौली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चन्दन, दूध, दही, घी, शहद, कमल कट्टा, धतूरा, बिल्बपत्र आदि का प्रसाद शिवजी को अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। इसी दिन सायंकाल या रात्रिकाल में काले तिलों से स्नान करके रात्रि को जागरण करके शिवजी की स्तुति का पाठ कराना अथवा रूद्र अभिषेक करवाना चाहिए। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ मंगलकारी है।

पूजन सामग्री
शिवपूजन में प्राय: भयंकर वस्तुएं ही उपयोग होती हैं जैसे-धतूरा, भांग, मदार आदि इसके अतिरिक्त रोली, मौली, चावल, दूध, चन्दन, कपूर, बिल्बपत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, भांग, आक-धतूरा, एवं इनके पुष्प, फल, गंगाजल, जनेऊ, इत्र, कुमकुम, पुष्पमाला, शमिपत्र, रत्‌न आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, लौंग, सुपारी, पान, दक्षिणा बैठने के लिए आसन आदि।

पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर उपयुक्त पूजन सामग्री एकत्र कर भगवान शिव के मन्दिर में अथवा घर में पूर्व अथवा उत्तर मुखी होकर आसन पर बैठें, समस्त सामग्री अपने पास रखकर साथ ही पात्र में जल भर कर रख कर पंचामृत भी तैयार कर लें, परिमल द्रव्य के लिए जल में कपूर, केसर, चन्दन, दूध और खस मिलाकर तैयार करें। पूजा के लिए प्रयुक्त होने वाले चावलों को केसर अथवा चन्दन से रंग लें इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन करें।

विशेष शिवलिंग से विशेष कार्यसिद्धि

पूरी दुनिया में शिव मंदिरों की संख्या सबसे अधिक है। मंदिरों में शिवलिंग की पूजा विशेष रूप से की जाती है। विशेष प्रकार के शिवलिंगों के माध्यम से पूजा-अर्चना करने पर विशेष एवं शीघ्र कृपा होती है।

शत्रु नाश के लिए: यदि आपके शत्रु अधिक है तो लहसुनियां से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

भय दूर करने के लिए: यदि आपको किसी भी प्रकार का भय लगता तो आप दूर्वा को पीस-गूंध कर शिवलिंग की आकृति दें और फिर उसकी पूजा करें।

संतान प्राप्ति के लिए: संतान प्राप्ति के लिए बांस के अंकुर से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करें।

सुख समृद्धि के लिए: सुख समृद्धि के लिए दही को कपडे़ में बांधकर पानी निकलने के बाद दही जब कठोर हो जो तब उससे शिवलिंग बनाकर पूजा करें। चीनी से बने शिवलिंग की पूजा करने से सुख शान्ति बनी रहती है।

रोग निवारण के लिए: रोग निवारण के लिए मिश्री से बने शिवलिंग की पूजा करने से तुरन्त लाभ प्राप्त होता है। इस शिवलिंग के समक्ष रूद्राष्ठाधायी का पाठ करें

कृषि उत्पादन के लिए: गुण में अन्न चिपका कर शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा करें।

विवाह बाधा निवारण: विवाह बाधा निवारण के लिए मोती अथवा नवनीत के वृक्ष के पत्ते से बने शिवलिंग की पूजा करें। इससे विवाह बाधा शीघ्र समाप्त होगी।

आयु वृद्धि के लिए: आयु वृद्धि के लिए कस्तुरी व चन्दन से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

Posted By: Inextlive