आज से 25 साल पहले जब कौरव पांडवों की गाथा पर आधारित सीरियल 'महाभारत' शुरू हुआ तो शायद इसके निर्देशक बीआर चोपड़ा को भी इल्म नहीं रहा होगा कि आने वाले दिनों में एक इतिहास रचा जाने वाला है.


इससे पहले रामानंद सागर निर्मित 'रामायण' ने भी दूरदर्शन पर अपार सफलता पाई थी. ऐसे में 'महाभारत' के लिए उतनी लोकप्रियता तक पहुंच पाना ख़ासा मुश्किल काम था लेकिन 'महाभारत' ने यह काम कर दिखाया.इसका निर्देशन किया था रवि चोपड़ा ने और संवाद लिखे थे राही मासूम रज़ा ने.कई विशेषज्ञों का मानना है कि इतना कामयाब टेली सीरियल भारतीय टेलीविज़न इतिहास में कोई नहीं हुआ.इसके पात्र मानो भारत के हर घर का हिस्सा बन गए. हर रविवार को प्रसारित होने वाले इस धारावाहिक में दिखाई जाने वाली घटनाओं का ज़िक्र लोगों की चर्चा का विषय बनने लगा.गजेंद्र चौहान ने 'महाभारत' में युधिष्ठिर का किरदार निभाया था.दरअसल लोगों ने इससे पहले यह गाथा सिर्फ सुनी थी. टीवी पर इसे लोगों ने पहली बार देखा तो उन्होंने हर कलाकार के चेहरे को उसके द्वारा निभाए गए किरदार से जोड़ लिया.
मैं उनके लिए युधिष्ठिर बन गया. रूपा गांगुली, द्रौपदी और नीतीश भारद्वाज कृष्ण बन गए.'राम और युधिष्ठिर साथ-साथ'हमें उस दौरान बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ने खाने पर आमंत्रित किया.


एक बार मेरे घर की घंटी बजी. मैंने दरवाज़ा खोला तो एक सज्जन बाहर खड़े थे और रो रहे थे. उन्होंने कहा कि वो कोलकाता से आए हैं और उनके पिता बहुत बीमार हैं. वह एंबुलेंस में मेरे घर के बाहर ही थे.उन सज्जन ने मुझसे उनके पिता के सिर पर हाथ रखने की ग़ुज़ारिश की ताकि वो ठीक हो जाएं. या ठीक ना भी हो पाएं तो उन्हें संतोष रहेगा कि मरने से पहले धर्मराज युधिष्ठिर ने उन्हें स्पर्श किया.'महाभारत' से मुझे अपार लोकप्रियता मिली लेकिन सीरियल ख़त्म हो जाने के बाद मेरा संघर्ष शुरू हो गया.दरअसल निर्माता दुविधा में थे कि मुझे कैसे रोल दें. युधिष्ठिर का रोल निभाने के बाद सब मुझे कुछ उसी तरह के आदर्श किरदार में देखना चाहते थे लेकिन हर रोल तो वैसा हो नहीं सकता तो मुझे दिक्कत पेश आने लगी. फिर मैंने सोचा ऐसे तो मैं टाइपकास्ट हो जाऊंगा. तो मैंने ख़ुद ही हटकर रोल स्वीकार करने शुरू कर दिए.मैंने जान-बूझकर कुछ नकारात्मक किरदार किए ताकि अपनी युधिष्ठिर की छवि को तोड़ सकूं. उस दौरान मैंने कुछ बी और सी ग्रेड की फ़िल्में भी कीं.

एक बार इस संघर्ष का दौर बीत जाने के बाद मुझे रोल लगातार मिलने लगे और आलम ये है कि अब तक मैं कोई 600 धारावाहिकों में काम कर चुका हूं. लेकिन कहना होगा कि इसके लिए सिर्फ 'महाभारत' ज़िम्मेदार है. उसी की वजह से लोग मेरा चेहरा पहचानने लगे.आज मैं जो हूं 'महाभारत' की वजह से हूं. पहले मैं एक संघर्षशील कलाकार था. कलाकार इसके बाद बना. इसने मुझे ही नहीं ज़्यादातर कलाकारों को पैरों पर खड़ा कर दिया.आजकल जो सीरियल टॉप पर हैं उनकी रेटिंग सात या आठ प्रतिशत होती है. 'महाभारत' की टीआरपी 99.6 प्रतिशत होती थी जो आज तक किसी सीरियल की नहीं है.आज भी हम कलाकार जब भी मिलते हैं तो सिर्फ़ 'महाभारत' के दौर की बातें होती हैं. अब ये हमारी ज़िंदगी का अभिन्न अंग बन चुका है.पुनीत इस्सर (दुर्योधन)पुनीत इस्सर कहते हैं कि महाभारत के बाद उन्हें फ़िल्मों में मुख्य खलनायक की भूमिका मिलने लगी.मैं अपने आपको बेहद सौभाग्यशाली समझता हूं कि ऐसी महान कृति में काम करने का मौका मिला. वो संस्कृत में कहते हैं, "ना भूतो ना भविष्यति". ये धारावाहिक भी ऐसे ही हैं.मैं आज जो हूं इसी सीरियल की वजह से हूं. इसके पहले मुझे फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलते थे लेकिन 'महाभारत' ने सारी कहानी बदल दी. मेरा अस्तित्व दुर्योधन की वजह से ही है.
साल 1982 में 'कुली' फ़िल्म की दुर्घटना किसे याद नहीं, जब मेरे साथ एक एक्शन दृश्य करते वक़्त सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को चोट लग गई थी.उसके बाद के कुछ साल मेरे लिए बड़े संघर्ष वाले थे. लेकिन 'महाभारत' ने मानो सब कुछ बदलकर रख दिया. इसके बाद मुझे फ़िल्मों में बड़े रोल मिलने लगे. मुख्य खलनायक की भूमिका मिलने लगी.'गुस्सा थूक दो राजा जी'एक दिलचस्प घटना बताता हूं. 'महाभारत' के क्लाईमेक्स की शूटिंग जयपुर में चल रही थी. लोग दूर से शूटिंग देख रहे थे. कोई मेरे पास आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.एक बुज़ुर्ग महिला काफी देर बाद हिम्मत जुटाकर मेरे पास आई और बोली, "राजा जी, अब गुस्सा थूक भी दो, दे दो ना पांडवों को पांच गांव."इसी तरह से एक बार हमें एक मारवाड़ी उद्योगपति ने खाने पर आमंत्रित किया. मेरे अगल-बगल में अर्जुन और रूपा गांगुली (द्रौपदी) बैठे हुए थे.घर की महिलाएं आतीं, वो अर्जुन को परोसतीं, फिर रूपा को और मुझे परोसे बिना बढ़ जातीं.मैंने तब घर की बुज़ुर्ग महिला से पूछा, "माताजी, मुझसे कोई ग़लती हुई क्या." तो उन्होंने मुझे झिड़कते हुए कहा, "चुप रहो. तुमने पांडवों के साथ इतना बुरा क्यों किया."
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि लोग कितनी शिद्दत से इस धारावाहिक का अनुसरण करते थे और हमारे किरदार किस हद तक हमसे जुड़ गए थे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh