'महाभारत' का प्रसारण 25 साल पहले दूरदर्शन पर शुरू हुआ था. इस पर बीबीसी की ख़ास पेशकश के पहले हिस्से में हमने आपको बताया था कि युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान और दुर्योधन का किरदार निभाने वाले पुनीत इस्सर की ज़िंदगी में महाभारत के बाद क्या बदलाव आए.


इस शृंखला की दूसरी और आख़िरी कड़ी में जानिए भीष्म पितामह का किरदार निभाने वाले  मुकेश खन्ना, शकुनि का किरदार निभाने वाले गूफ़ी पेंटल और गांधारी का किरदार निभाने वाली रेणुका इसरानी की दास्तां उन्हीं के शब्दों में.मुकेश खन्ना (भीष्म पितामह)मैंने सुना है कि टीवी पर दोबारा एक नया 'महाभारत' लाने की तैयारी है. मैं कहता हूं कि 25 साल पहले जो 'महाभारत' बन गया वैसा तो अब बन ही नहीं सकता.मुकेश खन्ना ने 'महाभारत' में भीष्म पितामह का किरदार निभाया था.तब मुझे द्रोणाचार्य का किरदार मिला जो मैंने स्वीकार भी कर लिया. लेकिन मेरी क़िस्मत में तो 'आयुष्मान भव:' कहना लिखा था.भीष्म पितामह का रोल विजेंद्र घाटगे को दिया गया. लेकिन शायद उन्हें सफ़ेद दाढ़ी लगाना गवारा नहीं था.
वो नहीं आए. तब मुझे इस रोल को करने का सौभाग्य मिला और मैं इस बात को अपनी ख़ुशनसीबी मानता हूं.ऐतिहासिक कामयाबी'महाभारत' को लोगों का अपार प्यार मिला. ऐसी कामयाबी आज तक किसी भी टीवी कार्यक्रम को नहीं मिली.लोग मज़ाक में कहते थे कि कोई दुश्मन देश भारत पर 'महाभारत' के प्रसारण के वक़्त हमला कर दे तो जीत जाएगा क्योंकि उस वक़्त पूरा देश और सुरक्षा बल भी सीरियल देख रहे होते.नुक़सान


वैसे तो मुझे 'महाभारत' करने के 90 फ़ीसदी फ़ायदे हुए लेकिन कुछ नुक़सान भी हुए. भीष्म पितामह का किरदार निभाने के बाद मुझे ज़्यादातर बुज़ुर्ग किरदारों के रोल मिलने लगे.'महाभारत' को 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा टीआरपी मिली.'महाभारत' की शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच काफ़ी दोस्ताना रिश्ता क़ायम हो गया. हमारे परिवारों के बीच भी दोस्ती हो गई.हम छुट्टियों पर पिकनिक मनाने जाते. कई सालों तक दीवाली और होली हम साथ मनाते. हालांकि समय के साथ अब मिलना-जुलना काफ़ी कम हो गया है लेकिन हमारे बीच दोस्ती क़ायम है.रेणुका इसरानी (गांधारी)'महाभारत' से पहले मैं 'हम लोग' जैसा लोकप्रिय सीरियल कर चुकी थी. लेकिन गांधारी के किरदार ने मुझे सच्चे मायनों में लोगों के घर-घर तक पहुंचा दिया सेट पर उन दिनों ज़ोरदार माहौल हुआ करता था.इतनी दिलचस्प बातें हुईं कि आज भी याद करके भावुक हो जाती हूं. निर्देशक रवि चोपड़ा हम सब कलाकारों का बेहद ध्यान रखते थे. बस मुझे एक बात का अफ़सोस है कि उऩ दिनों मैं बेहद युवा थी लेकिन मुझे गांधारी का बुज़ुर्ग किरदार दिया गया.

मुझे लगता कि मैं लोगों को कैसे समझाऊं कि अभी मैं जवान हूं क्योंकि लोग तो मेरा वही किरदार देखकर मुझे बुज़ुर्ग समझते. लेकिन मैं कहूंगी कि मुझे कभी भी रोल्स की कमी नहीं रही.'महाभारत' मेरे करियर का वो अविस्मरणीय अध्याय है जिसे मैं भूलूंगी नहीं. मैं हमेशा बीआर चोपड़ा और रवि चोपड़ा की ऋणी रहूंगी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh