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-पहली बार प्रयागराज के कुंभ में शामिल हो रहा किन्नर अखाड़ा

prakashmani.tripathi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले में इस बाद किन्नर अखाड़ा अनोखी छटा बिखेरेगा। इसके लिए किन्नर अखाड़ा की ओर से खास तौर पर किन्नर आर्ट विलेज तैयार कराया जा रहा है। किन्नर आर्ट विलेज के क्यूरेटर पुनीत रेड्डी ने बताया कि किन्नर कला के क्षेत्र में अपनी रुचि को दुनिया के सामने लाने के इरादे से किन्नर आर्ट विलेज का आयोजन किया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय किन्नर कलाकार प्रतिभाग करेंगे।

परम्परा से लेकर आधुनिकता तक

-इस आर्ट विलेज में आमजन किन्नरों की दुनिया के हर पहलू से वाकिफ हो सकेंगे।

-इसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में किन्नर जुटेंगे।

-फोटोग्राफी, पेंटिंग, वास्तुकला से जुड़े किन्नर, हस्तशिल्प कारीगर आदि शामिल होंगे।

-चित्र प्रदर्शनी, कविता लेखन, कला प्रदर्शनी, दृश्य कला, फिल्में, इतिहास, साहित्य, नृत्य एवं संगीत होगा यहां।

-इसमें आध्यात्मिक ज्ञान और कला के क्षेत्र का भी ज्ञान मिलेगा।

-कलिकाल से लेकर रामायण, महाभारत आदि में किन्नरों के महत्व के बारे में भी जनमानस को जानने-समझने का मौका मिलेगा।

विभिन्न कंपनियां ले रहीं रुचि

आर्ट विलेज में भाग लेने के लिए विभिन्न कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित विभिन्न कंपनियों ने इंट्रेस्ट शो किया है।

नटराज के गण हैं किन्नर

किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज का कहना है कि किन्नर का उल्लेख पुराणों में भी वर्णित है। किन्नर का अर्थ होता है शिव किंकर। भगवान शिव के नटराज स्वरूप ही किन्नरों के आराध्य देव हैं। ऐसे में भगवान नटराज के गण किन्नर जहां भी उपस्थित होंगे वहां पर आर्ट और कला की प्रस्तुति होना आवश्यक है।

किन्नर महापुराण का होगा लोकार्पण

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि कुंभ में किन्नर अखाड़े की ओर से किन्नर पुराण का लोकार्पण भी होगा। इसमें किन्नरों की उत्पत्ति कैसे हुई, किन्नर कब से हैं, ऐसी कितनी ही बातें हैं जो मुख्यधारा के समाज को नहीं पता है, उनको जानकारी मिलेगी।

छह जनवरी को पेशवाई

प्रयागराज कुंभ में किन्नर अखाड़े ने छह जनवरी को देवत्व यात्रा (पेशवाई) निकालने की योजना बनाई है। चूंकि किन्नर अखाड़े का प्रयाग का यह पहला कुंभ है, इसलिए देवत्व यात्रा कहीं अधिक भव्य होगी। इसके अलावा, यह किन्नर अखाड़े का दूसरा कुंभ है, जिसमें देवत्व यात्रा निकाली जाएगी। इससे पहले 2016 के उज्जैन कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े ने अपनी पहली देवत्व यात्रा निकाली थी।

किन्नरों का क्या वजूद था और इनका कितना महत्व था, आम जनता को इस बारे में अवगत कराना हमारी ही जिम्मेदारी है। इसे लेकर बहुत सारे साहित्यकार और धर्म के ज्ञाताओं के साथ किन्नर अखाड़े की बातचीत जारी है। सोशल मीडिया के विभिन्न साधनों के जरिए इसका प्रचार हो रहा है।

-स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

आचार्य महामंडलेश्वर, किन्नर अखाड़ा

Posted By: Inextlive