इस बार महाशिवरात्रि 04 मार्च 2019 को है। आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की पूजा कैसे करें और पूजा सामग्री में किन—किन चीजों को रखनी जरूरी है।

इस बार महाशिवरात्रि 04 मार्च 2019 को पड़ रही है। इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन इस दिन भगवान शिव की पूजा कैसे करें और पूजा सामग्री में किन—किन चीजों की जरूरत पड़ती है, यह जानना बेहद जरूरी है।

पूजा की तैयारी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के शोध छात्र ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार, इस दिन व्रती को चाहिए कि प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर अपने ललाट पर भस्म का त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करे और हाथ में जल लेकर

शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येSहं महाफलम्।

निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जत्पते।।

यह मंत्र पढ़कर जल को छोड़ दें। फिर दिनभर (शिव का स्मरण करते हुए) मौन रहें।

पूजा सामग्री


सायंकाल के समय फिर स्नान करके शिव मंदिर में जाकर सुविधानुसार पूर्व या उत्तरमुख करके बैठें और तिलक तथा रुद्राक्ष धारण करके 'ममाखिलपापक्षयपूर्वकसकलाभीष्टसिद्धये शिवपूजनं करिष्ये' यह संकल्प करें।

इसके बाद ऋतुकाल के गन्ध-पुष्पादि, बिल्वपत्र, धतूरे के फूल, घृत मिश्रित गुग्गुल की धूप, दीप, नैवेद्य, और नीराजनादि आवश्यक पूजा की सामग्री अपने पास रखें।

पूजा


रात्रि के प्रथम प्रहर में 'पहली', द्वितीय में 'दूसरी', तृतीय में 'तीसरी' और चतुर्थ में 'चौथी' पूजा करें। चारों पूजन पंचोपचार, षोडशोपचार, राजोपचार- जिस विधि से बन सके समानरूप से करें और साथ में रूद्रपाठादि भी करते रहें। इस प्रकार करने से पाठ, पूजा, जागरण और उपवास- सभी सम्पन्न हो सकते हैं। पूजा की समाप्ति में आरती, मन्त्रपुष्पाञ्जलि और अर्घ्य परिक्रमा करें तथा प्रत्येक पूजन में

' मया कृतान्यनेकानि पापानि हर शंकर।

शिवरात्रौ ददाम्यर्घ्यमुमाकान्त गृहाण मे।।' से अर्घ्य देकर

संसारक्लेशदग्धस्य व्रतेनानेन शंकर।

प्रसीद सुमुखो नाथ ज्ञानदृष्टिप्रदो भव।। से प्रार्थना करें।

महाशिवरात्रि के व्रत से पुनर्जन्म से मिल जाती है मुक्ति

स्कन्दपुराण में कहा गया है कि महाशिवरात्रि का पूजन, जागरण और उपवास करने वाला मनुष्य माता का दूध कभी नहीं पी सकता अर्थात् उसका पुनर्जन्म नहीं हो सकता। शिवरात्रि के व्रत में कठिनाई तो इतनी है कि इसे वेदपाठी विद्वान ही यथाविधि सम्पन्न कर सकते हैं और सरलता इतनी है कि पठित-अपठित, धनी-निर्धन सभी अपनी-अपनी सुविधा या सामर्थ्य के अनुसार हजारों रुपये लगा कर भारी समारोह अथवा मेहनत-मजदूरी से प्राप्त हुए कुछ रुपये के गाजर, बेर और मूली आदि सर्वसुलभ फल-फूल आदि से पूजन कर सकते हैं और दयालु शिव जी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सभी पूजाओं से प्रसन्न होते हैं।

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Posted By: Kartikeya Tiwari