भारत सरकार के मेक इन इंडिया का विजन काफी ब्रॉड है.

prayagraj@inext.co.in
PRAYAGRAJ: भारत सरकार के मेक इन इंडिया का विजन काफी ब्रॉड है। इसको लेकर काफी काम किया जा रहा है। लेकिन मेक इन इंडिया का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक हम स्किल इंडिया को डेवलप नहीं करते। यह बात कूपर रोड स्थित द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया इलाहाबाद चैप्टर के ऑफिस में हुए दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के टी-प्वाइंट मिलेनियल्स डिस्कशन में कंपनी सेक्रेटरीज और इसकी पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं ने कही।

स्किल के नाम पर पढ़ा रहे थ्योरी
डिस्कशन में शामिल लोगों ने कहा कि ऐसे समय में जबकि इंप्लॉयमेंट की क्राइसिस बढ़ती जा रही है, युवाओं को स्किल बेस्ड एजुकेशन देना जरूरी है। यही नहीं, स्मॉल वर्किंग प्रोफेशनल्स को भी और स्पेशलाइज्ड तरीके से आगे ले जाने की जरूरत है। गवर्नमेंट ने इसके लिए प्लानिंग की है और इसपर काफी पैसा भी खर्च किया जा रहा है। लेकिन हमारे ज्यादातर इंस्टीट्यूशंस स्किल्ड एजुकेशन के नाम पर अनुदान तो पा रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकली स्ट्रांग बनाने के बजाए केवल थियरी पढ़ाई जा रही है। डिस्कशन में शामिल एक्सप‌र्ट्स ने कहा कि देश में निवेश के लिए आ रहे विदेशी बाजारों से कड़ी टक्कर तभी हो सकती है, जब हम स्किल इंडिया को ग्राउंड लेवल तक फॉलो करें।

न्यू इंडिया पर करना होगा फोकस
टी-प्वाइंट डिस्कशन में बात घूमी तो चुनावों पर चर्चा शुरू हुई। इसमें कुछ लोगों का मत था कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए। इनका कहना था कि यदि सभी दल एक साथ आएं और इसपर जल्द सहमति बनाएं तो यह न्यू इंडिया की दिशा में एक जरूरी कदम होगा। इनका स्पष्ट मत था कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ-साथ होने से नेताओं की सभा में बनने वाले चुनावी रंजिश जैसे माहौल में न केवल कमी आएगी। बल्कि केन्द्र और राज्य की सरकारों के पैरलल काम करने के कारण प्लानिंग को बेहतर तरीके से अमलीजामा पहनाए जाने में भी सुविधा होगी। वहीं दूसरी ओर इसके विपक्ष में बोलने वालों का मत था कि साथ-साथ चुनाव के फैसले के पूर्व एक व्यापक विमर्श भी होना जरूरी है।

एलॉकेशन के साथ टाइमली हो यूटिलाइजेशन
इस दौरान आम बजट पर भी चर्चा हुई। सीएस एक्सप‌र्ट्स ने सरकार द्वारा पेश गए बजट को विजनरी बताया। उन्होंने कहा कि यह एक प्रोग्रेसिव बजट है। इसे मध्यमवर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया। वहीं बजट में इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट पर भी खासा फोकस किया गया है। छात्र-छात्राओं का कहना था कि बजट का एलॉकेशन जितना इंपॉर्टेट है, उतना ही इंपॉर्टेट फैक्टर यह भी है कि हम उसका यूटिलाइजेशन कितने बेहतर तरीके से कर पाते हैं? उन्होंने कहा कि एक बेहतर बजट का सदुपयोग तभी सुनिश्चित है, जब हम उसके यूटिलाइजेशन को तय समय में पूरा करके दिखाएं।

 

 

कड़क मुद्दा
विकासशील भारत को सस्टेनेबल डेवलपमेंट की ओर जाना होगा। स्किल इंडिया का सपना केवल शहरों से पूरा नहीं होगा। विश्व की सबसे ज्यादा युवाओं की की आबादी वाले देश में सबसे ज्यादा युवा हमारे गांव में ही हैं। जिन तक डिजिटल इंडिया की पहुंच बनाना जरूरी है। यदि हम गांव में मेक इन इंडिया का सपना पूरा करेंगे तो यंग एज में वहां से मूव करके शहरों की ओर आने वाले युवा न्यू इंडिया को साकार करने में हेल्पफुल होंगे।

मेरी बात
मुझे नहीं लगता कि नोटबंदी और जीएसटी से देश को कोई नुकसान हुआ है। इतने बड़े देश में जब भी कोई बड़ा स्टेप उठाया जाता है तो वहां प्रॉब्लम नहीं होगी। ऐसा हो नहीं सकता है। मेरे अनुसार सरकार ने बहुत सोच समझकर कदम उठाया और इसे फॉलो किया।
-अभिषेक मिश्रा, सीएस एंड एक्स। चेयरमैन

गैस सिलेंडर के दामों को लेकर वे लोग ज्यादा हल्ला मचाते हैं जो कारोबार के यूज के लिए घरेलू गैस की कीमतों पर इसका उपयोग करना चाहते हैं। घरेलू स्तर पर पर्याप्त मात्रा में सब्सिडीयुक्त सिलेंडर सरकार दे रही है। सरकार की उज्जवला योजना ने भी आम गृहणियों के लिए बेहतर तरीके से वर्क किया है।
-महुआ मजूमदार, सीएस एंड सेक्रेटरी

स्किल इंडिया का हाल इसी से समझा जा सकता है कि ट्रिपल-सी और ओ-लेवल जैसे कम्प्यूटर कोर्स का सर्टिफिकेट स्टूडेंट्स पैसा देकर हासिल कर रहे हैं। यही कारण है कि कई सारे कॉम्पटीटिव एग्जाम्स में इनसे जुड़ी पोस्ट्स तो खूब आ रहे हैं। लेकिन वैकेंसी को फिल कर पाना ही मुश्किल साबित हो रहा है।
-ऐश्वर्या, छात्रा

गवर्नमेंट ने जीएसटी लागू करके बेहतर कदम उठाया है। इससे निश्चित रुप से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। यह जरूर है कि गवर्नमेंट ने इसे लागू करते समय वह जरूरी उपाय नहीं किए, जिससे लोगों को परेशान होना पड़ा। फिर भी मुझे लगता है कि जीएसटी से देश को आने वाले समय में बड़ा फायदा होगा।
-दिव्या, छात्रा

गांव में न मेक इन इंडिया दिख रहा है और न ही डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप प्रोग्राम की कनेक्टिविटी की तो बात ही छोड़ दें। वहां युवाओं की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। सरकार को चाहिए कि वह पेपर से उठकर जमीनी स्तर तक जाकर काम करे। जिससे आम आदमी का कुछ भला हो सके।
-सुभ्रति शर्मा, छात्रा

थर्ड जेंडर को मान्यता प्रदान करना एक अच्छा कदम है। लेकिन केवल मान्यता भर से ही उन्हें सोसायटी में हर स्तर पर बराबरी का मौका मिल जाए, ऐसा नहीं होगा। इसके लिए सोसायटी को भी उन्हें एक्सेप्ट करना होगा। यह भी जरूरी है कि सरकार उनके शैक्षिक विकास, रोजगार आदि के लिए प्रॉपर तरीके से प्लानिंग करे।
-तन्मय चटर्जी, सीएस एंड चेयरमैन

ब्लैक मनी पर नियंत्रण लगा है, यह कह पाना थोड़ा मुश्किल काम है। ऊपर से एक हजार के नोट को बंद करके दो हजार का नोट लांच कर दिया गया। इससे तो कालाबाजारी करने वालों को और ज्यादा सहूलियत हो गई। नोट को डंप करके रखने वाले पहले भी रखते थे और आज भी रखने में सफल हो रहे हैं।
-सारिक, सीए

फ्री इंटरनेट फैसेलिटी बच्चों का बचपन छीन रही है। पहले बच्चे पार्को में खेला करते थे। पेड़ों पर चढ़ा करते थे। इससे उनकी क्रिएटिविटी डेवलप होती थी। अब तो पैरेंट्स खुद तो बिजी हैं और बच्चे भी पूरे दिन मोबाइल पर ही बिजी रहते हैं। गवर्नमेंट को इस दिशा में भी काम करना चाहिए।
-राम कुमार मिश्रा, कास्ट एंड व‌र्क्स एकाउंटेंट

ईवीएम को लेकर विवाद खड़ा करना ठीक नहीं है। बेहतर है कि हम ईवीएम को लेकर जो कमियां गिनाई जा रही हैं, उनसे पार पाकर उसे और बेहतर बनाएं। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि ईवीएम में गड़बड़ी को कोई साबित भी नहीं कर सका है। बैलट पेपर से चुनाव हमें काफी पीछे लेकर चले जाएंगे।
-आयुष सिन्हा, सीएस

अगर हमें अर्थव्यवस्था का समुचित विकास चाहिए तो ब्लैक मनी के ट्रांजैक्शन को बेहतर तरीके से ट्रेस करना होगा। क्योंकि ब्लैक मनी हमारी अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह चाट रही है। सरकार ने इस दिशा में कदम तो बढ़ाया है। लेकिन इसका ईमानदारी से इंप्लीमेंट होना अभी बाकी है।
-हर्ष तिवारी, सीएस

Posted By: Inextlive