हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या और अनुभवों से कुछ न कुछ सीखता रहता है। जीवन में अनुभवों का लाभ हर किसी को जरूर लेना चाहिए। कैसे हम भी अच्छे अनुभवों का जीवन में लाभ ले सकते हैं बता रहे हैं विनीत टंडन...


विनीत टंडन। कुछ दिन पहले मैं चालीस लोगों की एक टीम के साथ मसूरी में था। टीम का निर्माण करने के अभ्यास के रूप में वहां 'खजाने की खोज' नामक एक क्रिया-कलाप करवाया गया। इस खेल में पूरे समूह को बराबर आकार की छोटी-छोटी टोलियों में बांटा गया और प्रत्येक टोली को टीम के रूप में काम करना, संकेतों का पालन करना, खजाना खोजना और सबसे कम समय में विजेता बनना था। जब मैं यह क्रिया-कलाप कर रहा था, तब मुझे एहसास हुआ कि यह खेल तो हमारे जीवन के साथ कितनी समानता रखता है और इस तरह यह लेख लिखने के लिए मेरी प्रेरणास्त्रोत बन गया। यहां ऐसे कुछ उपयोगी सबक बताए जा रहे हैं जो इस खेल ने मुझे सिखाए और जो आपके लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं:खेल की शुरुआत:
जब हमारी टीम ने खेलना शुरू किया था तब हमें बहुत ही अस्पष्ट सुराग दिया गया था, जो इस खेल में हमारे लिए पहला शुरुआती बिंदु था। हमें मसूरी का पूरा शहर खंगालना था और हमें बिल्कुल भी मालूम नहीं था कि हमारा अगला सुराग क्या होगा। हम सड़कों पर लोगों से मिले, गूगल सर्च किया, अनेक बार अपने रास्तों को बदला और जब हम अपने शुरुआती घंटे में इस महत्वपूर्ण खोज को पूरा नहीं कर पाए तो हम लगभग हार मानने ही वाले थे। यही तो हमारे जीवन के लिए भी सच है। हम सब नहीं जानते हैं कि हम अपने जीवन में क्या चाहते हैं और हम अपनी यात्रा शुरू करते हैं। माता-पिता को मालूम नहीं होता है कि उनके बच्चे क्या बन सकते हैं। इसलिए, यहां यह गौर करना जरूरी है कि अगर अभी मालूम नहीं है कि आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं तो फिक्र मत कीजिए।अपनी क्षमताओं का हो एहसास:


सुरागों को खोजते समय, हम मसूरी में पूरे मॉल रोड पर लगभग 3-4 बार भटके, हर अलग रास्ते पर गए और शाम को जब मैंने अपने मोबाइल पर अपने कदमों को चेक किया तो मैंने पाया कि मैं उस दिन लगभग 18 हजार कदम चल चुका हूं। चलने के कदमों को लेकर रोजाना की मेरी सामान्य औसत सिर्फ 6 हजार कदम है, लेकिन जब मुझे इस सच्चाई का एहसास हुआ तब तक मैं अनजाने में अपनी क्षमता से 3 गुना अधिक पहले ही चल चुका था। मैं वाकई थका हुआ था, लेकिन फिर भी एक लक्ष्य के लिए खुद पर जोर डालना संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देता है। ऐसा ही जीवन के साथ भी है।पूर्वानुमान में गलती: अक्सर जब हम कोई काम शुरू करते हैं तो हम पहले से तयशुदा धारणाओं के साथ आगे बढ़ते हैं। फलां कार्य कैसे होगा, इस बारे में हम कार्यनीतियों और रुझानों का पूर्वानुमान लगा लेते हैं। लेकिन जब आप मैदान में उतरते हैं तब आपको एहसास होता है कि आपके सभी पूर्वानुमान पूरी तरह से गलत साबित हो गए हैं। ये भी ठीक है। नए पूर्वानुमान लगाइये, नए सिरे से सबको स्वीकार कीजिए और आगे बढ़ते रहिये। जो आप अपने करियर में आगे चाहते हैं, उसमें अतीत को बाधा मत बनने दीजिये। जैसा कि लोगों का कहना है, रूप अस्थायी है, श्रेणी स्थायी है। अगर आप अपने करियर को सच्चे उत्कृष्ट तरीके से विकसित करना चाहते हैं तो मेरा विश्वास कीजिए, आप काम-धंधे से कभी बाहर नहीं होंगे।

Posted By: Vandana Sharma