- बनारस में बढ़ रहे मलेरिया के केस, मलेरिया विभाग रो रहा स्टाफ की कमी का रोना

-नगर निगम को जरूरत महसूस नहीं होती पूरे शहर में फॉगिंग कराने की

डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वास्थ्य विभाग को तीन साल में प्रदेश को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य दिया गया है लेकिन उसकी हालत को देखकर इस लक्ष्य को पाना आसान नहीं दिख रहा। डिस्ट्रिक्ट में मलेरिया के मामले बढ़ते ही जा रहे है। इस पर रोक लगाने में मलेरिया विभाग और नगर निगम विफल साबित हो रहा हैं। हो भी क्यों न, विभाग के पास पर्याप्त संसाधन है और न मैन पावर। मलेरिया विभाग के पास इतने फिल्ड वर्कर भी नहीं है, जिससे घर-घर जाकर दवा का छिड़काव हो सके। नगर निगम भी इसी समस्या से जूझ रहा है।

नहीं किसी को जानकारी

मच्छरों से शहर को निजात दिलाने में स्वास्थ्य महकमे की सुस्ती बनी हुई है। हेल्थ डिपार्टमेंट और नगर निगम के काम कागज पर ही चल रहे हैं। नगर निगम के अधिकारियों को फॉगिंग और नालियों में दवा के छिड़काव की जानकारी तक नहीं है। उनका कहना है कि हर एरिया में फॉगिंग नहीं कराया सकता। जिन एरिया में मच्छरों से बीमारी फैलती है, सिर्फ वहीं फॉगिंग कराई जाएगी। जबकि मलेरिया विभाग का कहना हैं कि ऐसी कोई लकीर नहीं खींची गई है, हर एरिया में फॉगिंग जरूरी है।

गिनती के कर्मचारी

मलेरिया विभाग में लंबे समय से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। नगर निगम के पास जहां पर्याप्त संसाधन नहीं है। वहीं करीब 40 लाख की आबादी वाले इस जिले में मलेरिया विभाग के पास फॉगिंग व घरों में लार्वा की जांच करने के लिए सिर्फ 60 कर्मचारी हैं। अधिकारियों के मुताबिक पूरे शहर को कवर करने के लिए तीन जोन में बांटा गया है। ग्रामीण क्षेत्र अलग है। हर जोन में उतनी टीम काम नहीं कर रही जितने की जरूरत है।

पर्याप्त दवाएं भी नहीं

विभागों में पर्याप्त मात्रा में दवाएं तक नहीं है। ऐसा तब है जब मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं। आंकड़ों की माने तो पिछले ढाई माह में मलेरिया के अब तक दस से ज्यादा मामले आ चुके हैं।

एक नजर

मलेरिया विभाग

60 कर्मचारी हैं

160 की जरूरत

संसाधन

42 हैंड कंप्रेसर स्प्रेयर (10 लीटर)

10 हैंड कंप्रेसर स्प्रेयर (3.5 लीटर)

4 हैंड कंप्रेसर स्प्रेयर (1.5 लीटर)

6 स्प्रे पंप मैपसेट

दवा व केमिकल है स्टाक में

590 लीटर लार्वी साइडल केमिकल,

147.5 किग्रा डाइ स्लो जोरान

10 लीटर पाइरेट्रम,

नगर निगम के संसाधन

3 बड़ी फॉगिंग वैन

5 पोर्टेबल फॉगिंग साइकिल

(दवा व केमिकल की जानकारी नहीं)

जरूरत के मुताबिक फॉगिंग वैन व पोर्टेबल फॉगिंग साइकिल है। इसमें इस्तेमाल होने वाले लार्वा साइडल केमिकल की उपलब्धता जानकारी नहीं है।

डॉ। एके दूबे, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

डिपार्टमेंट में मैन पावर की जबरदस्त कमी है.संसाधन भी उतने ज्यादा नहीं है। ऐसे मच्छरों को कंट्रोल करने में काफी समस्या है।

शरद पांडेय, डीएमओ, जिला मलेरिया विभाग

Posted By: Inextlive