Patna: यह कहानी मगध महिला कॉलेज में आम है. आए दिन कॉलेज कैंपस में स्टूडेंट्स इन बातों को लेकर परेशान रहती हैं. जिस स्टूडेंट से बात करें उसी का कहना है कि कॉलेज में लड़कों का आना मना है लेकिन ड्राइवर को नहीं. प्रोफेसर्स के साथ ड्राइवर गाड़ी लेकर कैंपस में आते हैं.


 केस वन : अवंतिका हॉस्टल के बाहर कुछ स्टूडेंट बैठ कर बातें कर रही थीं। दूर खड़ा एक गाड़ी का ड्राइवर मोबाइल से उसकी वीडियो बना रहा था। कॉलेज की एक प्रोफेसर उधर से गुजर रही थीं। उन्होंने ड्राइवर को खूब डांटा।  केस टू : होम साइंस डिपार्टमेंट की स्टूडेंट रागिनी (बदला हुआ नाम) डिपार्टमेंट की ओर जा रही थी। तभी उसके डे्रस को लेकर एक ड्राइवर ने कुछ कमेंट किया। उस लड़की ने ड्राइवर को डांटा भी फिर भी उसे देखकर वह हंसता रहा।  ड्राइवर दिन भर कैंपस में ही रहता है


प्रोफेसर तो क्लास करने डिपार्टमेंट में चले जाते हैं, लेकिन ड्राइवर दिन भर कैंपस में ही रहता है और लड़कियों को घूरता रहता है। कैंपस में स्कूटी पार्किंग की जगह ही प्रोफेसर की गाड़ी की पार्किंग होती है और ड्राइवर भी उसी में बैठा रहता है। लिजर टाइम पास के लिए स्टूडेंट्स वहीं आकर छाया में बैठती हैं। ड्राइवर लोग इसी का नाजायज फायदा उठाते हैं। अब जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो स्टूडेंट्स ने इसकी कंप्लेन पीयू स्टूडेंट्स यूनियन से की है। Principal को दिया letter

इस कंप्लेन की गंभीरता को लेकर पीयू स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से प्रिंसिपल डा। डॉली सिन्हा को एक लेटर दिया गया है। यूनियन की सेक्रेटरी अनुप्रिया ने बताया कि मेरे पास कई लड़कियों ने कंप्लेन की है। मैंने आज प्रिंसिपल को एक लेटर दिया है, जिसमें कहा गया है कि कॉलेज कैंपस में ड्राइवर के आने पर पाबंदी लगाई जाए या फिर उसके बैठने के प्वाइंट को चेंज किया जाए। क्योंकि वहां जब गल्र्स बैठती हैं तो ड्राइवर अश्लील गाने बजाते रहते हैं और मोबाइल से गल्र्स की वीडियो फिल्म भी बनाते हैं। कमेंट करने से नहीं आते बाजस्टूडेंट्स के अनुसार गाड़ी के अंदर वो गलत तरीके बैठे या सोये रहते हैं। साथ ही ऑडियो चला कर भोजपुरी गाने सुनते रहते हैं। ना तो उन्हें बैठने का सलीका है और ना ही बोलने का। एक स्टूडेंट रोशनी ने बताया कि अगर हम गल्र्स एक साथ वहां बैठ कर बातें करना चाहें तो वो हमें देखकर हंसता है और घूरता रहता है। वहीं अगर कोई लड़की अकेली रहती है तो उसके डे्रस पर कमेंट करने से भी बाज नहीं आते। बॉटनी की मीनाक्षी ने बताया कि पहले महिला गार्ड होने से हमें शिकायत का मौका नहीं था। डर से कोई कुछ नहीं कहता है। प्रोफेसर का ड्राइवर है प्रिंसिपल से इसकी कौन शिकायत करने जाएगा।

डर से नहीं जाते प्रिंसिपल के पास
प्रिंसिपल मैम तो कार को खुद ड्राइव करके आती हैं। कई प्रोफेसर हैं जो ड्राइवर को लेकर आती हैं, जो पूरे टाइम कैंपस में बैठा रहता है। साइकोलॉजी की मोनिका ने बताया कि काफी अनइजी फिल होता है। कई बार प्रिंसिपल मैम के पास जाने की सोची, लेकिन डर से नहंी जाती हंू।कैंपस में टाइम बिताने का यही प्लेस है ऑनर्स और सब्सिडियरी की क्लास के बीच गैप होने के कारण स्टूडेंट्स को घंटों कॉलेज कैंपस में रहना पड़ता है। मॉर्निंग में ऑनर्स की क्लास के बाद सब्सिडियरी की क्लास दोपहर बाद होती है। इस कारण स्टूडेंट्स को कैंपस में रहना पड़ता है। पार्किंग एरिया कॉलेज के स्पोट्र्स ग्राउंड के पास है। यहीं थोड़ी दूरी पर कैंटीन भी है। इस कारण मैक्सिमम स्टूडेंट्स यहीं पर क्लास होने तक इंतजार करती हैं। वीमेंस कॉलेज में ड्राइवर को नहीं है एलाऊ
अगर बात पटना वीमेंस कॉलेज की करें तो वहां तमाम प्रोफेसर को खुद ही गाड़ी ने आना होता है। अगर प्रोफेसर को ड्राइविंग नहीं आती है तो वो ड्राइवर के साथ आती तो हैं, लेकिन ड्राइवर उन्हें कॉलेज छोड़ कर वापस चला जाता है। कॉलेज एडमिनिस्टे्रशन की ओर से जारी निर्देश के अनुसार कैंपस में गाड़ी लगा तो सकते हैं, लेकिन उसमें ड्राइवर नहीं बैठा रह सकता है।  कई बार तो ड्राइवर हमारे कपड़े देखकर आपस में बातें करके हंसते रहते हैं। यहां बैठने के दौरान अगर हमारी नजर उनकी ओर जाती है तो पता चलता है कि वो लगातार हमें गाड़ी में बैठ कर घूर रहा है। गैती, थर्ड ईयर, इंगलिश ऑनर्स। यह कोई एक दिन की बात नहीं है, बल्कि हर दिन एक जैसा हाल है। हर दिन सुबह से यहां पर मैम लोगों की गाड़ी आकर लगती है और उनका ड्राइवर लड़कियों को घूरता रहता है। सानादीवा, सेकेण्ड ईयर, इंगलिश ऑनर्स।  नाम का गल्र्स कॉलेज है। यहां कोई भी लड़का जब चाहे कैंपस में आ जाता है। क्या कर सकते हैं। यहां पर टाइम पास करना हमलोगों की मजबूरी है। क्लास आवर ऐसा है कि घंटों इंतजार कीजिए।नेहा, थर्ड ईयर, मैथ ऑनर्स। कई बार तो हमलोग इरिटेट होकर गुस्सा भी करते हैं। लेकिन इसका कोई फर्क उन पर नहीं पड़ता है। वो लगातार घूरते रहते हैं। कई बार तो हमने डांटा भी है, फिर भी आदत नहीं सुधरती है।संजना, थर्ड ईयर, मैथ ऑनर्स। 
हां, इस तरह की कंप्लेन आई है। प्र्रिंसिपल से बात हुई है। कॉलेज कैंपस में जगह की कमी है। इस प्रॉब्लम को हम डिसिप्लीनरी कमेटी में रखेंगे। इसमें स्टूडेंट्स लीडर के साथ टीचर्स भी होंगी। हम सभी मिल कर इसे साल्व करेंगे। डा। सुहेली मेहता, मेंबर, डिसिप्लीनरी कमेटी।

Posted By: Inextlive