बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.

- नगर निगम के बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन ऑफिस में फर्जी डॉक्यूमेंट्स लगाकर जारी कराए जा रहे हैं सर्टिफिकेट

- जिंदा होने के बाद भी मिलीभगत से जारी करा लिया डेथ सर्टिफिकेट, जांच में खुलासा, एफआईआर की तैयारी

- बीते डेढ़ साल में एक दर्जन से अधिक मामले आ चुके हैं सामने, सबसे ज्यादा डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए

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KANPUR : क्या आप किसी जिंदा व्यक्ति को मार सकते हैं? ये सवाल सुनते ही आपके हाथ-पांव भले ही फूलने लगें लेकिन नगर निगम के लिए ये बाएं हाथ का काम है. अब तक वो कितने ही जिंदा लोगों को 'मृत' बना चुके हैं. जी हां, नगर निगम के बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन में ऑफिस जिंदा को मारने का गोरखधंधा तेजी से चल रहा है. बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.

शिकायत के बाद जांच में कई मामले ऐसे पाए गए हैं, जिसमें फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर सर्टिफिकेट जारी कराया गया. बर्थ ही नहीं डेथ सर्टिफिकेट भी फर्जी तरीके से जारी किए जा चुके हैं. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो कई ऐसे में मामले सामने आए, जिसमें जांच चल रही है. 2018 से अब तक ऐसे 12 मामले सामने आ चुके हैं. डेथ सर्टिफिकेट में फर्जी दाह संस्कार सर्टिफिकेट, डॉक्टर की डेथ रिपोर्ट तक लगाई गई है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक ऐसे मामलों में जांच कर एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की जाएगी.

प्रेमलता जिंदा, सर्टिफिकेट में मृत

किदवई नगर निवासी प्रेमलता जीवित हैं. लेकिन फर्जी डेथ सर्टिफिकेट और डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया गया. 11 फरवरी को आवेदन किया गया था. सूचनादाता अजय कुमार सविता ने यह कहकर आवेदन किया कि प्रेमलता का दुनिया में कोई नहीं है और वह उनका पड़ोसी है. इसके लिए एफिडेबिट भी लगाया गया. जांच कर विभाग द्वारा डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया.

पैदा कहीं और, सर्टिफिकेट कानपुर का

हरजेंदर नगर निवासी एमडी नायर ने अपनी बेटी का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया. कंप्लेन में हुई जांच में यह पाया गया कि बेटी का जन्म कानपुर में नहीं हुआ है. जबकि बर्थ सर्टिफिकेट फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए नगर निगम से जारी कराया गया. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा कूट रचित तरीके से सर्टिफिकेट बनवाने के तहत निरस्त करने के साथ ही आवेदक के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं.

डॉक्टर की रिपोर्ट भी फर्जी

नगर निगम के जन्म-मृत्यु डिपार्टमेंट में सबसे ज्यादा फर्जी मामले डेथ सर्टिफिकेट से जुड़े होते हैं. घर में होने वाली मौतों में लोग फर्जी डॉक्टर की रिपोर्ट तैयार कर डेथ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करते हैं. शक होने पर जोनल के रेवेन्यू इंस्पेक्टर मौके पर जांच और पूछताछ करते हैं. रिपोर्ट गलत पाए जाने पर आवेदन निरस्त कर दिया जाता है. वहीं बर्थ के नए मामलों के मुकाबले पुरान बर्थ सर्टिफिकेट में बनने में फर्जीवाड़े की गुंजाइश ज्यादा रहती है.

पुलिस की भूमिका संदिग्ध

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रेमलता के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट मामले में जोनल ऑफिस में काकादेव थाने के पुलिसकर्मी भी सर्टिफिकेट की फोटोकॉपी लेने पहुंचे थे, लेकिन ऊपर से आदेश न होने पर उन्हें वापस कर दिया गया.

जांच की नहीं ठाेस व्यवस्था

जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन ऑफिस में सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जांच की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. कर्मचारी अपने विवेक के आधार पर ही तय करता है कि लगाए गए डॉक्यूमेंट फर्जी हैं या नहीं. जांच होने पर भी कोई ठोस रिपोर्ट नहीं लगाई जाती है. जबकि 5 से 10 साल पुराने बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़े की गुंजाइश सबसे ज्यादा रहती है.

नियमों के तहत ही बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं. जीवित का डेथ सर्टिफिकेट बनने के मामले में जेडएसओ से रिपोर्ट मांगी गई है. साथ ही आवेदक के खिलाफ एफआईआर कराने के भी निर्देश दिए गए हैं.

-डॉ. अजय संखवार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम.

Posted By: Manoj Khare